एस. श्रीनिवासन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 50: Line 50:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{वैज्ञानिक}}{{पद्म भूषण}}
{{वैज्ञानिक}}{{पद्म भूषण}}
[[Category:वैज्ञानिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म भूषण (2000)]][[Category:विज्ञान कोश]]
[[Category:वैज्ञानिक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र निदेशक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म भूषण (2000)]][[Category:विज्ञान कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 07:44, 25 December 2021

एस. श्रीनिवासन
पूरा नाम डॉ. सूर्यनारायण श्रीनिवासन
जन्म 14 अप्रैल, 1941
जन्म भूमि तंजावुर, तमिलनाडु
मृत्यु 1 सितंबर, 1999
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम
शिक्षा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई (ऑनर्स), अन्नामलाई विश्वविद्यालय

एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एमई की डिग्री, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर
इंजीनियरिंग मैकेनिक्स में पीएचडी, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी

पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 2000
प्रसिद्धि भारतीय वैज्ञानिक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी देश की अनुप्रयोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लॉन्च वाहनों के विकास की आवश्यकता को महसूस करते हुए एस. श्रीनिवासन को एकीकृत लॉन्च वाहन कार्यक्रम का निदेशक बनाया गया था।
अद्यतन‎

डॉ. सूर्यनारायण श्रीनिवासन (अंग्रेज़ी: S.Srinivasan, जन्म- 14 अप्रैल, 1941; मृत्यु- 1 सितंबर, 1999) प्रसिद्ध वैमानिकी इंजीनियर थे। वह सन 1994 और 1999 के बीच विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम के निदेशक थे। डॉ. एस. श्रीनिवासन अपनी शुरुआत से ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े थे। सन 2000 में भारत सरकार ने उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

परिचय

14 अप्रैल, 1941 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे डॉ. सूर्यनारायण श्रीनिवासन ने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एमई की डिग्री प्राप्त की। हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, उन्होंने 1970 में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग मैकेनिक्स में पीएचडी प्राप्त की।[1]

कॅरियर

एस. श्रीनिवासन ने 1970 में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (तत्कालीन एसएसटीसी), तिरुवनंतपुरम में अपना कॅरियर शुरू किया। वह एसएलवी3 परियोजना में उप परियोजना निदेशक थे, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ काम कर रहे थे, जब भारत ने 18 जुलाई, 1980 को सफल एसएलवी3 मिशन के साथ विशेष 'स्पेस क्लब' में प्रवेश किया था। बाद में उन्हें चुनौतीपूर्ण कार्य सौंपा गया था। पीएसएलवी का निर्माण, जिसने भारत को अपने सुदूर संवेदन उपग्रहों की परिक्रमा करने में आत्मनिर्भर बनाया।

देश की अनुप्रयोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लॉन्च वाहनों के एक परिवार के विकास की आवश्यकता को महसूस करते हुए उन्हें एकीकृत लॉन्च वाहन कार्यक्रम का निदेशक बनाया गया, जिससे संसाधनों की इष्टतम तैनाती और डिजाइनों का पुन: उपयोग किया गया जिससे उच्च स्तर की गुणवत्ता और उत्पादकता प्राप्त हुई। उस क्षमता में उन्होंने जीएसएलवी के विकास और स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे निदेशक बने जून 1994 में और बड़े ठोस रॉकेट बूस्टर के उत्पादन के लिए सुविधा को तैयार करने और घड़ी की सटीकता के साथ वाहनों को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

शार में थोड़े समय के बाद वे अक्टूबर 1994 में वीएसएससी के निदेशक बने और उन्नत प्रौद्योगिकी की दिशा में काम करने की जिम्मेदारी संभाली। एस. श्रीनिवासन एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के फेलो और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और सोसाइटी ऑफ आर एंड डी मैनेजर्स ऑफ इंडिया के सदस्य थे।[1]

सम्मान

एस. श्रीनिवासन के नाम कई पुरस्कार थे, जिनमें राष्ट्रीय वैमानिकी पुरस्कार और एफआईई फाउंडेशन राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं। डॉ. श्रीनिवासन का 1 सितंबर, 1999 को निधन हो गया। राष्ट्र ने उन्हें मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 डॉ. एस. श्रीनिवासन (हिंदी) vssc.gov.in। अभिगमन तिथि: 21 दिसम्बर, 2021।

संबंधित लेख