भारत के मुख्य न्यायाधीश: Difference between revisions
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| मुम्बई उच्च न्यायालय | |||
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Revision as of 06:14, 28 August 2022
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति
उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के परामर्शानुसार की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस प्रसंग में राष्ट्रपति को परामर्श देने से पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं तथा इस समूह से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं। अनुछेद 124 के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह लेगा। वहीं अन्य जजों की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी पड़ेगी।[2]
योग्यताएँ
उच्चतम न्यायालय के लिए न्यायाधीश में निम्न योग्यताएँ होना अनिवार्य है-
- वह भारत का नागरिक हो।
- कम से कम पांच साल के लिए उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो।
- किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो।
- वह राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिए।
- उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने हेतु किसी भी प्रदेश के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश का पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है और वह 62 वर्ष की आयु पूरी न किया हो।
कार्यकाल
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होती है। न्यायाधीशों को केवल (महाभियोग) दुर्व्यवहार या असमर्थता के सिद्ध होने पर संसद के दोनों सदनों द्वारा दो-तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति भी रहे।
- ↑ भारत के मुख्य न्यायाधीशों के नाम, उनकी योग्यताएँ एवं कार्यकाल अवधि (हिन्दी) samanyagyan.com। अभिगमन तिथि: 2 फ़रवरी, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
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