छतर मंज़िल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:52, 2 March 2014 by गोविन्द राम (talk | contribs) ('thumb|छतर मंज़िल '''छतर मंज़िल''' ([[अंग्रेज़...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|छतर मंज़िल छतर मंज़िल (अंग्रेज़ी: Chattar Manzil) लखनऊ का एक ऐतिहासिक भवन है। इसके निर्माण का प्रारंभ अवध के नवाब ग़ाज़ीउद्दीन हैदर ने किया था और उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने इसको पूरा करवाया। इस दुमंज़िली इमारत का मुख्य कक्ष दुमंज़िली ऊँचाई का है और उसके ऊपर एक विशाल सुनहरी छतरी है जो दूर से देखी जा सकती है। इस छतरी के कारण ही इस भवन का नाम छतर मंज़िल पड़ा है। वर्तमान इसमें केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान का कार्यालय है।

इतिहास

इतिहासकारों का मानना है कि इस इमारत का निर्माण 1810 के आस-पास छतर कुंवर की याद में करवाया गया था। सआदत अली खान की मौत के बाद उनके बेटे ग़ाज़ीउद्दीन हैदर ने इस इमारत के निर्माण कार्य को पूरा करवाया। फरहत बख्स पैलेस का निर्माण मूल रूप से फ्रांसीसी जनरल क्लाउड मार्टिन ने करवाया था। इसके निर्माण में जितनी भी लकड़ी लगी उसके लिए गोमती नदी के किनारे लगे पेड़ को काटा गया था। कहा जाता है कि छतर मंज़िल का पूरा निर्माण 1781 में हो गया था और 1800 तक मार्टिन आखिरी सांस तक इसी में रहे। लोगों का कहना है कि उनको कांस्टेंटिया में सुपुर्द-ए-खाक किया गया जो जिसे आज लामार्टीनियर ब्वायज कॉलेज के नाम से जानते हैं।[1]

नवाबों का आवासीय भवन

छतर मंज़िल अवध के नवाब वाजिद अली शाह की 1847-1856 तक आवासीय भवन हुआ करती थी। इसके बाद नवाबों का आवासीय क्षेत्र कैसरबाग हो गया जिसे ‘कसर-ए-सुल्तान’ राजा का महल भी कहा जाता था। इसके अलावा नवाब सआदत अली खान ने बारादरी को कोर्ट (न्यायालय) और चीना बाजार के रूप में विकसित किया जो फरहत बख्स से काफी नज़दीक थी। इनके पुत्र ग़ाज़ीउद्दीन हैदर को अवध का पहले राजा के रूप में राज्याभिषेक किया गया। फरहत बख्स के किनारे मूर्तियों और फूलों की क्यारियां उसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती थी जिसे गुलिस्तान-ए-इरम (गार्डेन ऑफ पैराडाइज) के नाम से जाना जाता था। इसी फूल के बगीचे के सामने कोठी का निर्माण कराया गया था जिसे दर्शन बिलास के नाम से जाना जाता था।[1]

फरहत बख्स पैलेस

फरहत बख्स पैलेस या छतर मंज़िल का निर्माण इंडो इटैलियन स्टाइल में बना है। गोमती नदी के किनारे बसे इस भवन पर प्राकृतिक छाया इसको और सुंदर बनाती है। हाल ही में छतर मंज़िल पर प्रदूषण का प्रभाव पड़ने के बाद पुरातत्व विभाग ने इसके संरक्षण का जिम्मा उठाया है। आज़ादी के बाद फरहत बख्स और छतर मंजिल को केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान को दे दिया गया जिसमें संस्थान का कार्यालय संचालित किया गया जो आज अपने नवीन भवन में स्थानांतरित कर दिया गया है। छोटा छतर मंजिल जिसमें राज्य सरकार का दफ्तर हुआ करता था वो 1960 के दशक में अचानक ढह गया था।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 कभी यहां आराम फरमाते थे वाजिद अली शाह (हिंदी) अमर उजाला। अभिगमन तिथि: 2 मार्च, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः