थालमकली

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:47, 20 July 2018 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''थालमकली''' केरल की प्राचीन लोक कला है। इस कला को '...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

थालमकली केरल की प्राचीन लोक कला है। इस कला को 'थालीकाक्काली' नाम से भी जाना जाता है।

  • यह केरल की एक ऐसी कला है, जिसमें सबसे ज्यादा शारीरिक क्षमता का प्रयोग होता है। यह यहां की संस्कृति में सबसे ज्यादा प्रचलित है।
  • मालप्पुरम ज़िले में इस कला का सबसे ज्यादा चलन है।
  • ऐसा कहा जाता है कि इस कला के इतना लोकप्रिय होने की वजह 'थालीकेट्टू' (बनावटी शादी कराने का एक तरह का रिवाज है, जिसमें लड़कियां जब अपनी युवावस्था में कदम रखती हैं) त्योहार के दौरान होने वाली प्रस्तुतियां हैं।
  • थालीकेट्टू में प्रस्तुति देने वाले गोल घेरा बनाकर खड़े होकर एक सुर में गाते हैं। इसके बाद वे अपने दोनों हाथों में तश्तरियां लेकर उलझाव पैदा करने वाले ढंग से गोल-गोल घूमते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः