रमाकांत आचरेकर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:01, 23 January 2021 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''रमाकांत विठ्ठल अचरेकर''' (अंग्रेज़ी: ''Ramakant Vitthal Achrekar'', ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

रमाकांत विठ्ठल अचरेकर (अंग्रेज़ी: Ramakant Vitthal Achrekar, जन्म- 5 दिसम्बर, 1932, बम्बई; मृत्यु- 2 जनवरी, 2019) भारतीय क्रिकेट कोच थे। वह मुम्बई के शिवाजी पार्क में युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षण दिया करते थे। सचिन तेंदुलकर के अलावा रमाकांत अचरेकर विनोद कांबली, प्रवीण आम्रे, समीर दिघे और बलविंदर सिंह संधू के भी कोच रहे। वे बेहद सख्त कोच थे। इतने सख्त कि यदि उनका कोई प्रशिक्षु अच्छा भी खेले, तब भी मुश्किल से ही खुशी जाहिर करते थे। भारतीय क्रिकेट में उनके अतुलनीय योगदान को देखने हुए भारत सरकार ने उन्हें 'द्रोणाचार्य पुरस्कार' भी प्रदान किया गया था। उन्हें 'पद्म श्री' से नवाजा गया।

परिचय

रमाकांत आचरेकर का जन्म एक मराठी परिवार में 5 दिसंबर 1932 को मालवन ग्राम, महाराष्ट्र में हुआ। उनके करीबी परिवार के सदस्यों और दोस्तों द्वारा उन्हें 'बाबा' कहा जाता था। जब रमाकांत आचरेकर 11 साल के थे, तब वह अपने माता-पिता के साथ बम्बई (वर्तमान मुंबई) आ गये थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दादर पश्चिम के छबीलदास हाई स्कूल से की। यही वह स्थान था जहाँ उन्होंने क्रिकेट में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया।

सख्त कोच

रमाकांत आचरेकर ने यूं तो हजारों क्रिकेटरों को प्रशिक्षण दिया, लेकिन उन्हें हमेशा सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के गुरु के रूप में ही पहचाना गया। कोच आचरेकर के बारे में यह बात मशहूर है कि वे बेहद सख्त कोच थे। इतने सख्त कि यदि उनका कोई प्रशिक्षु अच्छा भी खेले, तब भी मुश्किल से ही खुशी जाहिर करते थे। आखिर उनके इसी अनुशासन की वजह से सचिन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर बने और प्रशंसकों ने उन्हें भगवान तक का दर्जा दे दिया।

द्रोणाचार्य अवार्डी अचरेकर का हमेशा से मानना रहा कि खेल कौशल के धनी कोई भी खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को तभी दुनिया के सामने ला सकता है, जब वह अनुशासित रहे। सचिन और विनोद कांबली ने शारदाश्रम स्‍कूल के लिए कई बड़ी पारियां खेलीं। तभी से आचरेकर ने इन दोनों की प्रतिभा को खास मान लिया था। उन्‍होंने अपने इन दोनों शिष्‍यों के खेल को सुधारने के साथ-साथ इन्‍हें अनुशासित रहने का पाठ भी पढ़ाया। कोच आचरेकर का मानना था कि उनके कई शिष्‍य प्रतिभा के मामले में सचिन के बराबर या उससे बेहतर थे, लेकिन अनुशासन ने सचिन के कॅरियर को ऊंचाई पर पहुंचाया। कोच की ओर से दिए गए अनुशासन के इस 'पाठ' को सचिन ने हमेशा याद रखा।

सचिन के गुरु

रमाकांत आचरेकर ने कुछ समय के लिए भारतीय स्टेट बैंक में भी काम किया था, जहाँ उनकी मुलाकात एक अन्य बैंकर क्रिकेटर अजीत वाडेकर से हुई। आचरेकर खुद एक सफल क्रिकेटर नहीं बन सके। इसलिए उन्होंने बॉम्बे में उभरते क्रिकेटरों को कोचिंग देना शुरू कर दिया। सचिन तेंदुलकर से उनकी पहली मुलाकात पर, जब सचिन के बड़े भाई अजीत उन्हें आचरेकर के पास ले गए थे, उन्होंने कहा- "पहली बार जब मैंने सचिन को देखा तो वह दूसरे लड़कों की तरह ही लग रहा था, कुछ खास नहीं। लेकिन फिर मैंने उसे नेट्स में देखा। वह हर समय गेंद को मार रहा था। उसे जोर से मार रहा था। कभी रक्षा नहीं खेल रहा था। उनके पास अच्छी कलाई का काम था और अद्भुत सजगता थी"।

सचिन तेंदुलकर बचपन में बेहद शरारती थे। जब सचिन 11 साल के थे, तब बड़े भाई अजीत ही उन्‍हें कोचिंग के लिए रमाकांत आचरेकर के पास लेकर गए। सचिन शुरुआती दौर में अनुशासित नहीं थे। इस मौके पर कोच के एक थप्पड़ ने सचिन की दुनिया बदलकर रख दी। सचिन तेंदुलकर ने एक बार बताया था, "यह मेरे स्कूल के दिनों की बात है. मैं अपने स्कूल (शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल) की जूनियर टीम से खेल रहा था और हमारी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम (मुंबई) में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी. उसी दिन आचरेकर सर ने मेरे लिए प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था. उन्होंने मुझसे स्कूल के बाद वहां जाने के लिए कहा था. सर ने कहा, 'मैंने उस टीम के कप्तान से बात की है। तुम्हें चौथे नंबर पर बैटिंग करनी है'।

सचिन ने बताया, "मैं उस प्रैक्टिस मैच को खेलने नहीं गया और वानखेडे स्टेडियम सीनियर टीम का मैच देखने जा पहुंचा। मैं वहां अपने स्कूल की सीनियर टीम को चीयर कर रहा था। खेल के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा। मैंने उन्हें नमस्ते किया। अचानक सर ने मुझसे पूछा कि आज तुमने कितने रन बनाए? मैंने जवाब में कहा- सर, मैं सीनियर टीम को चीयर करने के लिए यहां आया हूं। यह सुनते ही आचरेकर सर ने सबके सामने मुझे एक थप्पड़ लगाया।" सचिन ने अपने इस थप्पड़ के प्रकरण के बारे में आगे बताया, "कोच आचरेकर ने कहा कि तुम दूसरों के लिए तालियां बजाने के लिए नहीं बने हो। मैं चाहता हूं कि तुम मैदान पर खेलो और लोग तुम्हारे लिए तालियां बजाएं"। सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उनके (आचरेकर) एक-एक शब्‍द अभी भी मुझे याद हैं।[1]

भेलपूरी और आचरेकर

सचिन तेंदुलकर ने एक बार बताया था कि- "सर बेहद सख्त थे। वे अनुशासन से समझौता नहीं करते थे, लेकिन ख्याल भी रखते थे और प्यार भी करते थे। सर ने मुझे कभी नहीं कहा कि तुम अच्छा खेले। वे तारीफ नहीं करते थे, लेकिन मुझे पता है कि जब सर मुझे भेलपूरी या पानी पूरी खिलाने ले जाते थे तो वे खुश होते थे। मैंने मैदान पर कुछ अच्छा किया था"। कोच आचरेकर 1980 के दशक में सचिन तेंदुलकर को मध्य मुंबई के दादर के शिवाजी पार्क में कोचिंग देते थे।

एक प्रथम श्रेणी मैच

सचिन तेंदुलकर जब पहली बार रमाकांत आचरेकर के पास पहुंचे तो उनकी उम्र 11 साल थी। यह भी संयोग ही है कि आचरेकर ने भी 11 की उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू किया था हालांकि, वे कभी देश के लिए नहीं खेल पाए। सचिन ने अपनी किताब 'प्लेइंग इट माय वे' में इसका जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है- "गुरु आचरेकर ने एक बार मुझे बताया था कि उन्होंने भी 1943 में 11 साल की उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू किया था। बाद में वे कई क्लबों के लिए खेले। इनमें गुलमोहर मिल्स और मुंबई फोर्ट भी शामिल हैं। उन्हें 1963 में एक प्रथम श्रेणी मैच खेलने का भी मौका मिला। उन्होंने यह मैच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से खेला था लेकिन इससे आगे कॅरियर नहीं बढ़ा सके"।

क्रिकेट मंत्र

भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेल चुके चंद्रकांत पंडित ने एक बार बातचीत के दौरान बताया था कि- "आचरेकर सर का प्रैक्टिस से अधिक जोर मैच खेलने पर होता था। आचरेकर सर कहते थे कि प्रैक्टिस कम करो, मैच ज्‍यादा खेलो। उनका कहना था कि मैच खेलने से किसी भी खिलाड़ी के खेल में प्रतिस्‍पर्धा का भाव आता है और ऐसे माहौल में ही उसका सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन सामने आता है। हर सप्‍ताह वे एक-दो मैच जरूर आयोजित कराते थे। यदि ऐसा संभव नहीं हो पाता था तो वे अपने पास ट्रेनिंग लेने वाले क्रिकेटरों की ही दो टीमें बनाकर उनके मैच कराते थे। चंद्रकांत पंडित भी आचरेकर के शिष्‍य रह चुके हैं। आचरेकर की कोच के तौर पर यह भी खासियत रही कि वे जिसे योग्य नहीं मानते थे, उसे क्रिकेट की तालीम नहीं देते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः