Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 16"

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-सामातट में
 
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+[[पंजाब]] में
 
+[[पंजाब]] में
 
-[[पांचाल]] में
 
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||[[चित्र:Satluj-River.jpg|right|120px|सतलुज नदी, पंजाब]]प्राचीन समय में [[पंजाब]] [[भारत]] और [[ईरान]] का क्षेत्र था। यहाँ [[मौर्य]], बैक्ट्रियन, [[यूनानी]], [[शक]], [[कुषाण]] और [[गुप्त]] आदि अनेक शक्तियों का उत्थान और पतन हुआ। पंजाब मध्यकाल में [[मुस्लिम]] शासकों के अधीन रहा। यहाँ सबसे पहले गज़नवी, ग़ोरी, [[ग़ुलाम वंश]], [[ख़िलजी वंश]], [[तुग़लक वंश|तुग़लक]], [[लोदी वंश|लोदी]] और [[मुग़ल वंश]] के शासकों ने राज किया। 15वीं और 16वीं शती में [[गुरु नानकदेव]] जी की शिक्षाओं से [[भक्ति आन्दोलन]] ने ज़ोर पकड़ा। [[सिक्ख धर्म|सिक्ख पंथ]] ने एक धार्मिक और सामाजिक आन्दोलन को जन्म दिया, मूल रूप से जिसका उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों को दूर करना था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[पंजाब]]
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||[[चित्र:Satluj-River.jpg|right|120px|सतलुज नदी, पंजाब]]प्राचीन समय में [[पंजाब]] [[भारत]] और [[ईरान]] का क्षेत्र था। यहाँ [[मौर्य]], [[बैक्ट्रिया|बैक्ट्रियन]], [[यूनानी]], [[शक]], [[कुषाण]] और [[गुप्त]] आदि अनेक शक्तियों का उत्थान और पतन हुआ। पंजाब मध्यकाल में [[मुस्लिम]] शासकों के अधीन रहा। यहाँ सबसे पहले [[महमूद ग़ज़नवी|ग़ज़नवी]], [[मुहम्मद ग़ोरी|ग़ोरी]], [[ग़ुलाम वंश]], [[ख़िलजी वंश]], [[तुग़लक वंश|तुग़लक]], [[लोदी वंश|लोदी]] और [[मुग़ल वंश]] के शासकों ने राज किया। 15वीं और 16वीं शती में [[गुरु नानकदेव]] जी की शिक्षाओं से [[भक्ति आन्दोलन]] ने ज़ोर पकड़ा। [[सिक्ख धर्म|सिक्ख पंथ]] ने एक धार्मिक और सामाजिक आन्दोलन को जन्म दिया, मूल रूप से जिसका उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों को दूर करना था।{{point}}अधिक जानकारी के देखें:-[[पंजाब]]
  
 
{[[सातवाहन]] शासकों की राजकीय [[भाषा]] क्या थी?
 
{[[सातवाहन]] शासकों की राजकीय [[भाषा]] क्या थी?
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+[[प्राकृत भाषा|प्राकृत]]
 
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-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||'प्राकृत भाषा' भारतीय आर्य-भाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्त्व कम होने लगा तो [[प्राकृत भाषा]] अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्राकृत भाषा]]
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||'प्राकृत भाषा' भारतीय आर्य-भाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्त्व कम होने लगा तो [[प्राकृत भाषा]] अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्राकृत भाषा]]
  
 
{किस [[कुषाण]] शासक ने सर्वाधिक [[स्वर्ण]] मुद्रायें जारी कीं?
 
{किस [[कुषाण]] शासक ने सर्वाधिक [[स्वर्ण]] मुद्रायें जारी कीं?
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-ईरानियों ने
 
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-[[शक|शकों]] ने
 
-[[शक|शकों]] ने
||'युइशि जाति', जिसे 'यूची क़बीला' के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन [[तिब्बत]] के उत्तर-पश्चिम में 'तकला मक़ान' की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। इस समय वहाँ हूणों के आक्रमण प्रारम्भ हो चुके थे। युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड [[हूण]] आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में [[शक]] जाति का निवास था। यूची क़बीले के लोगों ने [[कुषाण वंश]] प्रारम्भ किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[कुषाण]]  
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||'युइशि जाति', जिसे '[[यूची क़बीला]]' के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन [[तिब्बत]] के उत्तर-पश्चिम में 'तकला मक़ान' की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। इस समय वहाँ [[हूण|हूणों]] के आक्रमण प्रारम्भ हो चुके थे। युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड [[हूण]] आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में [[शक]] जाति का निवास था। यूची क़बीले के लोगों ने [[कुषाण वंश]] प्रारम्भ किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[कुषाण]]  
  
{प्राचीन [[भारत]] में सर्वप्रथम किस वंश के शासकों ने 'द्वैध शासन प्रणाली' की शुरुआत की?
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{[[प्राचीन भारत]] में सर्वप्रथम किस वंश के शासकों ने 'द्वैध शासन प्रणाली' की शुरुआत की?
 
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-[[शक|शकों]] ने
 
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+[[कुषाण|कुषाणों]] ने
 
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-[[मौर्य|मौर्यों]] ने
 
-[[मौर्य|मौर्यों]] ने
||'कुषाण' भी शकों की ही तरह मध्य [[एशिया]] से निकाले जाने पर [[क़ाबुल]]-[[कंधार]] की ओर यहाँ आ गये थे। उस काल में यहाँ के हिन्दी यूनानियों की शक्ति कम हो गई थी, उन्हें कुषाणों ने सरलता से पराजित कर दिया। उसके बाद उन्होंने क़ाबुल-कंधार पर अपना राज्याधिकार क़ायम किया। उनके प्रथम राजा का नाम [[कुजुल कडफ़ाइसिस]] था। उसने क़ाबुल–कंधार के यवनों (हिन्दी यूनानियों) को हराकर [[भारत]] की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर बसे हुए पह्लवों को भी पराजित कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[कुषाण साम्राज्य|कुषाण]]  
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||'कुषाण' भी शकों की ही तरह मध्य [[एशिया]] से निकाले जाने पर [[क़ाबुल]]-[[कंधार]] की ओर यहाँ आ गये थे। उस काल में यहाँ के हिन्दी यूनानियों की शक्ति कम हो गई थी, उन्हें कुषाणों ने सरलता से पराजित कर दिया। उसके बाद उन्होंने क़ाबुल-कंधार पर अपना राज्याधिकार क़ायम किया। उनके प्रथम राजा का नाम [[कुजुल कडफ़ाइसिस]] था। उसने क़ाबुल–कंधार के [[यवन|यवनों]] (हिन्दी यूनानियों) को हराकर [[भारत]] की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर बसे हुए पह्लवों को भी पराजित कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[कुषाण साम्राज्य|कुषाण]]  
  
 
{निम्न में से किस विद्वान ने [[कनिष्क]] की राजसभा को सुशोभित नहीं किया?
 
{निम्न में से किस विद्वान ने [[कनिष्क]] की राजसभा को सुशोभित नहीं किया?
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||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी 'कुषाण' नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। वह केवल युइशि राज्यों को जीतकर ही संतुष्ट नहीं हुआ, अपितु उसने समीप के पार्थियन और [[शक]] राज्यों पर भी आक्रमण किए। अनेक इतिहासकारों का मत है कि [[कुषाण]] किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था। यह नाम [[युइशि जाति]] की उस शाखा का था, जिसने अन्य चारों युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण]]
 
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी 'कुषाण' नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। वह केवल युइशि राज्यों को जीतकर ही संतुष्ट नहीं हुआ, अपितु उसने समीप के पार्थियन और [[शक]] राज्यों पर भी आक्रमण किए। अनेक इतिहासकारों का मत है कि [[कुषाण]] किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था। यह नाम [[युइशि जाति]] की उस शाखा का था, जिसने अन्य चारों युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण]]
  
{किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी?
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{किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुई?
 
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-ऋग्वैदिक काल
 
-ऋग्वैदिक काल
-उत्तर वैदिक काल
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-[[उत्तर वैदिक काल]]
 
+धर्मशास्त्र के काल
 
+धर्मशास्त्र के काल
 
-उत्तर-गुप्त काल
 
-उत्तर-गुप्त काल
  
{प्राचीन [[भारत]] में 'निष्क' नाम से किसे जाना जाता था?
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{[[प्राचीन भारत]] में 'निष्क' नाम से किसे जाना जाता था?
 
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+स्वर्ण आभूषण
 
+स्वर्ण आभूषण
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
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[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
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[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
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Revision as of 11:52, 24 November 2014

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

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1 ary bharat mean bahar se ae. ve sarvapratham kis sthan par base the?

samatat mean
pragjyotishapur mean
panjab mean
paanchal mean

2 satavahan shasakoan ki rajakiy bhasha kya thi?

pali
sanskrit
prakrit
uparyukt mean se koee nahian

3 kis kushan shasak ne sarvadhik svarn mudrayean jari kian?

kadafaisis pratham
kadafaisis dvitiy
kanishk
vim kadafaisis

4 kis vansh ke shasakoan ne 'kshatrap pranali' ka prayog kiya?

kushanoan ne
hind-yavanoan ne
eeraniyoan ne
shakoan ne

5 prachin bharat mean sarvapratham kis vansh ke shasakoan ne 'dvaidh shasan pranali' ki shuruat ki?

shakoan ne
guptoan ne
kushanoan ne
mauryoan ne

6 nimn mean se kis vidvan ne kanishk ki rajasabha ko sushobhit nahian kiya?

ashvaghosh
nagarjun
vasumitr
vasubandhu

7 sarvapratham rom ke sath kin logoan ka vyapar prarambh hua?

kushanoan ka
tamiloan evan cheroan ka
vakatakoan ka
shakoan ka

8 prasiddh 'resham marg' par kis vansh ke shasakoan ka adhikar tha?

mauryoan ka
shakoan ka
kushanoan ka
guptoan ka

9 kis kal mean achhoot ki avadharana spasht roop se udit huee?

rrigvaidik kal
uttar vaidik kal
dharmashastr ke kal
uttar-gupt kal

10 prachin bharat mean 'nishk' nam se kise jana jata tha?

svarn abhooshan
gayean
taanbe ke sikke
chaandi ke sikke

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan