Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 2"

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+[[पावापुरी]]
 
+[[पावापुरी]]
 
-[[वाराणसी]]
 
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||[[चित्र:Jal-Mandir-Pawapuri.jpg|right|100px|जल मंदिर, पावापुरी]]'[[बिहार शरीफ़]]' से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व [[पावापुरी]] जैनियों का प्रमुख [[तीर्थ स्थल]] है। [[जैन धर्म]] के [[ग्रंथ]] '[[कल्पसूत्र]]' के अनुसार [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने पावापुरी में एक [[वर्ष]] बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन धर्म के संम्प्रदाय का [[सारनाथ]] माना जाता है। महावीर स्वामी द्वारा 'जैन संघ' की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी। उनकी मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 'अपापा' के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी। [[कनिंघम]] ने पावा का अभिज्ञान कसिया के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित फ़ाज़िलपुर नामक ग्राम से किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पावापुरी]]
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||[[चित्र:Jal-Mandir-Pawapuri.jpg|right|100px|जल मंदिर, पावापुरी]]'[[बिहार शरीफ़]]' से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व [[पावापुरी]] जैनियों का प्रमुख [[तीर्थ स्थल]] है। [[जैन धर्म]] के [[ग्रंथ]] '[[कल्पसूत्र]]' के अनुसार [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने पावापुरी में एक [[वर्ष]] बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन धर्म के संम्प्रदाय का [[सारनाथ]] माना जाता है। महावीर स्वामी द्वारा 'जैन संघ' की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी। उनकी मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 'अपापा' के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी। [[कनिंघम]] ने पावा का अभिज्ञान कसिया के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित फ़ाज़िलपुर नामक ग्राम से किया है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पावापुरी]]
  
 
{किस विदेशी दूत ने अपने को 'भागवत' घोषित किया था?
 
{किस विदेशी दूत ने अपने को 'भागवत' घोषित किया था?
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-[[प्लूटार्क]]
 
-[[प्लूटार्क]]
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
 
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||[[चित्र:Heliodorus-Pillar-Vidisha.jpg|right|80px|हेलिओडोरस स्तम्भ]]'हेलिओडोरस' 'दियोन' का पुत्र और [[तक्षशिला]] का निवासी था। वह पाँचवें [[शुंग वंश|शुंग]] राजा काशीपुत भागभद्र के राज्य काल के चौदहवें वर्ष में तक्षशिला के [[यवन]] राजा एण्टिआल्कीडस (लगभग 140-130 ई.पू.) का दूत बनकर [[विदिशा]] आया था। [[हेलिओडोरस]] यवन होते हुए भी [[भागवत धर्म]] का अनुयायी हो गया था। उसके द्वारा निर्मित [[विदिशा]] का 'गरुड़ स्तम्भ' [[कला]] का एक अच्छा नमूना है। यह मूलत: [[अशोक]] के ही स्तम्भों के आदर्श पर बना था। पर साथ ही उसमें कुछ मौलिक विशेषतायें भी हैं। इसका सबसे निचला भाग आठ कोनों का है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हेलिओडोरस]], [[हेलिओडोरस स्तम्भ]]
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||[[चित्र:Heliodorus-Pillar-Vidisha.jpg|right|80px|हेलिओडोरस स्तम्भ]]'हेलिओडोरस' 'दियोन' का पुत्र और [[तक्षशिला]] का निवासी था। वह पाँचवें [[शुंग वंश|शुंग]] राजा काशीपुत भागभद्र के राज्य काल के चौदहवें वर्ष में तक्षशिला के [[यवन]] राजा एण्टिआल्कीडस (लगभग 140-130 ई.पू.) का दूत बनकर [[विदिशा]] आया था। [[हेलिओडोरस]] यवन होते हुए भी [[भागवत धर्म]] का अनुयायी हो गया था। उसके द्वारा निर्मित [[विदिशा]] का 'गरुड़ स्तम्भ' [[कला]] का एक अच्छा नमूना है। यह मूलत: [[अशोक]] के ही स्तम्भों के आदर्श पर बना था। पर साथ ही उसमें कुछ मौलिक विशेषतायें भी हैं। इसका सबसे निचला भाग आठ कोनों का है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हेलिओडोरस]], [[हेलिओडोरस स्तम्भ]]
  
 
{[[वैदिक काल|वैदिक कालीन]] लोगों ने सर्वप्रथम किस [[धातु]] का प्रयोग किया?
 
{[[वैदिक काल|वैदिक कालीन]] लोगों ने सर्वप्रथम किस [[धातु]] का प्रयोग किया?
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+[[ताँबा]]
 
+[[ताँबा]]
 
-[[सोना]]
 
-[[सोना]]
||[[चित्र:Copper.jpg|right|100px|ताँबा]]'ताँबा' [[गुलाबी रंग]] और [[लाल रंग]] की एक चमकदार [[धातु]] है। यह [[चाँदी]] के अतिरिक्त [[विद्युत]] की सबसे अच्छी सुचालक है। विद्युत सुचालक होने के कारण इसका प्रयोग विद्युत यंत्र '[[कैलोरीमीटर]]' आदि बनाने में किया जाता है। [[भारत]] में [[ताँबा|ताँबे]] का प्रयोग काफ़ी लम्बे समय से किया जाता रहा है। [[वैदिक काल]] में इसका प्रथमत: प्रयोग किया गया था। [[झारखण्ड|झारखण्ड राज्य]] का सिंहभूमि ज़िला ताँबा उत्खनन की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। यहाँ से [[उड़ीसा|उड़ीसा राज्य]] तक लगभग 140 कि.मी. लम्बी पट्टी में ताँबा मिलता है। [[राजस्थान]] का [[खेतड़ी]] ताँबा क्षेत्र [[सिन्धु घाटी सभ्यता|सिन्धु घाटी सभ्यता काल]] से ही ताँबा उत्खनन का प्रमुख क्षेत्र रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ताँबा]]
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||[[चित्र:Copper.jpg|right|100px|ताँबा]]'ताँबा' [[गुलाबी रंग]] और [[लाल रंग]] की एक चमकदार [[धातु]] है। यह [[चाँदी]] के अतिरिक्त [[विद्युत]] की सबसे अच्छी सुचालक है। विद्युत सुचालक होने के कारण इसका प्रयोग विद्युत यंत्र '[[कैलोरीमीटर]]' आदि बनाने में किया जाता है। [[भारत]] में [[ताँबा|ताँबे]] का प्रयोग काफ़ी लम्बे समय से किया जाता रहा है। [[वैदिक काल]] में इसका प्रथमत: प्रयोग किया गया था। [[झारखण्ड|झारखण्ड राज्य]] का सिंहभूमि ज़िला ताँबा उत्खनन की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। यहाँ से [[उड़ीसा|उड़ीसा राज्य]] तक लगभग 140 कि.मी. लम्बी पट्टी में ताँबा मिलता है। [[राजस्थान]] का [[खेतड़ी]] ताँबा क्षेत्र [[सिन्धु घाटी सभ्यता|सिन्धु घाटी सभ्यता काल]] से ही ताँबा उत्खनन का प्रमुख क्षेत्र रहा है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ताँबा]]
  
 
{हल सम्बन्धी अनुष्ठान का पहला व्याख्यात्मक वर्णन कहाँ से मिला है?
 
{हल सम्बन्धी अनुष्ठान का पहला व्याख्यात्मक वर्णन कहाँ से मिला है?
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-[[ऐतरेय ब्राह्मण]] में
 
-[[ऐतरेय ब्राह्मण]] में
 
-[[पंचविंश ब्राह्मण]] में
 
-[[पंचविंश ब्राह्मण]] में
||'शतपथ ब्राह्मण' शुक्ल यजुर्वेद की दोनों शाखाओं 'काण्व' व 'माध्यन्दिनी' से सम्बद्ध है। यह सभी [[ब्राह्मण ग्रन्थ|ब्राह्मण ग्रन्थों]] में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण [[ग्रन्थ]] है। इसका रचयिता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। '[[शतपथ ब्राह्मण]]' में वैदिक [[संस्कृत]] के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। इसमें [[यज्ञ|यज्ञों]] को जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। हल सम्बन्धी अनुष्ठान का विस्तृत वर्णन भी इसमें प्राप्त होता है। [[अश्वमेध यज्ञ]] के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख इसमें है, जिसमें [[जनक]], [[दुष्यन्त]] और [[जनमेजय]] का नाम महत्त्वपूर्ण है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शतपथ ब्राह्मण]]
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||'शतपथ ब्राह्मण' शुक्ल यजुर्वेद की दोनों शाखाओं 'काण्व' व 'माध्यन्दिनी' से सम्बद्ध है। यह सभी [[ब्राह्मण ग्रन्थ|ब्राह्मण ग्रन्थों]] में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण [[ग्रन्थ]] है। इसका रचयिता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। '[[शतपथ ब्राह्मण]]' में वैदिक [[संस्कृत]] के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। इसमें [[यज्ञ|यज्ञों]] को जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। हल सम्बन्धी अनुष्ठान का विस्तृत वर्णन भी इसमें प्राप्त होता है। [[अश्वमेध यज्ञ]] के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख इसमें है, जिसमें [[जनक]], [[दुष्यन्त]] और [[जनमेजय]] का नाम महत्त्वपूर्ण है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शतपथ ब्राह्मण]]
  
 
{किस [[वेद]] की रचना गद्य एवं पद्य दोनों में की गई है?
 
{किस [[वेद]] की रचना गद्य एवं पद्य दोनों में की गई है?
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+[[यजुर्वेद]]
 
+[[यजुर्वेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] 'यर्जुवेद' मूलतः कर्मकाण्ड वाला [[ग्रन्थ]] है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। [[यजुर्वेद]] में [[आर्य|आर्यों]] की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झाँकी मिलती है। 'यजुर्वेद ग्रन्थ' से पता चलता है कि आर्य '[[सप्त सिंघव]]' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। [[यजुर्वेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक [[पुरोहित]] करता था। इस [[वेद]] में अनेक प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] को सम्पन्न करने की विधियों का उल्लेख है। यह 'गद्य' तथा 'पद्य' दोनों में लिखा गया है। गद्य को 'यजुष' कहा गया है। यजुर्वेद से '[[उत्तर वैदिक काल]]' की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन की जानकारी मिलती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]]
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||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] 'यर्जुवेद' मूलतः कर्मकाण्ड वाला [[ग्रन्थ]] है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। [[यजुर्वेद]] में [[आर्य|आर्यों]] की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झाँकी मिलती है। 'यजुर्वेद ग्रन्थ' से पता चलता है कि आर्य '[[सप्त सिंघव]]' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। [[यजुर्वेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक [[पुरोहित]] करता था। इस [[वेद]] में अनेक प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] को सम्पन्न करने की विधियों का उल्लेख है। यह 'गद्य' तथा 'पद्य' दोनों में लिखा गया है। गद्य को 'यजुष' कहा गया है। यजुर्वेद से '[[उत्तर वैदिक काल]]' की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन की जानकारी मिलती हैं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]]
 
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Latest revision as of 06:08, 15 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
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1 mahavir ne 'jain sangh' ki sthapana kahaan ki thi?

kundagram
vaishali
pavapuri
varanasi

2 kis videshi doot ne apane ko 'bhagavat' ghoshit kiya tha?

megasthaniz
heliodoras
plootark
uparyukt mean se koee nahian

3 vaidik kalin logoan ne sarvapratham kis dhatu ka prayog kiya?

loha
kaansa
taanba
sona

4 hal sambandhi anushthan ka pahala vyakhyatmak varnan kahaan se mila hai?

gopath brahman mean
shatapath brahman mean
aitarey brahman mean
panchaviansh brahman mean

5 kis ved ki rachana gady evan pady donoan mean ki gee hai?

rrigved
samaved
yajurved
atharvaved

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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