Difference between revisions of "मांट"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " कस्बा" to " क़स्बा")
Line 1: Line 1:
*माँट क़स्बा [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[मथुरा]] नामक नगर में स्थित है। माँट मथुरा से आठ मील दूर है।  
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
*[[मथुरा]] - नौहझील मार्ग पर माँट स्थित हैं।
+
|चित्र=Blank-Image-2.jpg
*यह स्थान श्री [[कृष्ण]]-[[बलराम]] गोपबालकों के साथ गाय चराने का स्थान था।  
+
|चित्र का नाम=माँट
*यहाँ पर पहले से ही दधि, दूध के बड़े-बड़े बर्तन बनते थे और छोटी मटकी बनती थी। यहाँ होकर सखियाँ दधि, दूध के माँट लेकर बेचने हेतु जाया करती थीं, रास्ते में पूर्व वरदान पूर्ति हेतु श्री कृष्ण दधि, दूध लुट कर खाते थे और किसी दिन किसी की और किसी दिन किसी की मटकी गिरा देते थे।  
+
|विवरण= माँट [[मथुरा]] से आठ मील है। यह मथुरा-नौहझील मार्ग पर स्थित है। यह स्थान श्री [[कृष्ण]]-[[बलराम]] गोप-बालकों के साथ [[गाय]] चराने का स्थान था।
*इन उपरोक्त दोनों कारणों से इस स्थान का नाम माँट पड़ा। एक पुरानी कहावत भी है----  
+
|राज्य=[[उत्तर  प्रदेश]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=[[मथुरा]]
 +
|निर्माता=
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=
 +
|भौगोलिक स्थिति=
 +
|मार्ग स्थिति=
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि=हिन्दू धार्मिक स्थल
 +
|कब जाएँ=कभी भी
 +
|कैसे पहुँचें=
 +
|हवाई अड्डा=
 +
|रेलवे स्टेशन=
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=बस, कार, ऑटो आदि
 +
|क्या देखें=
 +
|कहाँ ठहरें=
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=
 +
|ए.टी.एम=
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=
 +
|संबंधित लेख=[[गोकुल]], [[ब्रह्माण्ड घाट महावन]], [[बरसाना]], [[नन्दगाँव]], [[महावन]], [[बलदेव मन्दिर मथुरा]], [[मथुरा]], [[ब्रज]]
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=माँट से [[कुषाण]] [[कनिष्क|सम्राट कनिष्क]]<ref>120 ई.</ref> और विमकेडफिसस की कायपरिमाण मूर्तियाँ प्राप्त हुईं थीं, जो [[मथुरा संग्रहालय]] में सुरक्षित हैं। कनिष्क की मूर्ति लाल पत्थर की है और वर्तमान दशा में शिरविहीन है।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन={{अद्यतन|11:07, 28 जुलाई 2016 (IST)}}
 +
}}
 +
 
 +
'''माँट''' क़स्बा [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] [[राज्य]] के [[मथुरा]] नामक नगर में स्थित है। माँट मथुरा से आठ मील दूर है। [[मथुरा]] - नौहझील मार्ग पर माँट स्थित है। यह स्थान श्री [[कृष्ण]]-[[बलराम]] गोप-बालकों के साथ गाय चराने का स्थान था।
 +
*यहाँ पर पहले से ही [[दही|दधि]], [[दूध]] के बड़े-बड़े बर्तन बनते थे और छोटी मटकी बनती थी। यहाँ होकर सखियाँ दधि, दूध के माँट लेकर बेचने हेतु जाया करती थीं, रास्ते में पूर्व वरदान पूर्ति हेतु श्रीकृष्ण दधि, दूध लुट कर खाते थे और किसी दिन किसी की और किसी दिन किसी की मटकी गिरा देते थे।
 +
*इन उपरोक्त दोनों कारणों से इस स्थान का नाम माँट पड़ा। एक पुरानी कहावत भी है-
 
<center><poem>
 
<center><poem>
'''धनि-धनि माँट गांव के चोर।  
+
'''धनि-धनि माँट गांव के चोर।
 
'''वृन्दावन कूँ ऐसे देखे जैसे चन्द्र चकोर॥'''</poem></center>
 
'''वृन्दावन कूँ ऐसे देखे जैसे चन्द्र चकोर॥'''</poem></center>
*गांव में श्री [[बलदेव मन्दिर मथुरा|दाऊजी]], श्री [[शिव|महादेव]] जी का मन्दिर एंव प्रसिद्ध श्री वैरुआ बाबा (देवराहा बाबा) का आश्रम दर्शनीय हैं।
+
*गांव में श्री [[बलदेव मन्दिर मथुरा|दाऊजी]], श्री [[शिव|महादेव]] जी का मन्दिर एंव प्रसिद्ध श्री वैरुआ बाबा<ref>देवराहा बाबा</ref> का आश्रम दर्शनीय है।
 
*इस ग्राम से कुषाणकाल के अनेक महत्त्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए हैं।
 
*इस ग्राम से कुषाणकाल के अनेक महत्त्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए हैं।
*[[संस्कृत]] में एक शिलालेख से जो यहाँ से प्राप्त हुआ था। विदित होता है कि महाराजधिराज देवपुत्र [[हुविष्क]] के पितामह ने जो सत्य और धर्म से सदैव स्थिर थे एक देवकुल बनवाया था जो कालांतर में नष्ट भ्रष्ट हो गया था। अत: किसी महादंडनायक के पुत्र ने जो राजकर्मचारी था इस देवकुल का जीर्णोद्धार करवाया और [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] तथा अतिथियों के लिए प्रतिदिन सदाव्रत का प्रबंध किया।  
+
*संस्कृत में एक शिलालेख से जो यहाँ से प्राप्त हुआ था, उससे विदित होता है कि महाराजधिराज देवपुत्र हुविष्क के पितामह ने जो सत्य और [[धर्म]] से सदैव स्थिर थे, एक देवकुल बनवाया था, जो कालांतर में नष्ट भ्रष्ट हो गया था। अत: किसी महादंडनायक के [[पुत्र]] ने जो राज कर्मचारी था, इस देवकुल का जीर्णोद्धार करवाया और [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] तथा अतिथियों के लिए प्रतिदिन सदाव्रत का प्रबंध किया।
*माँट से कुषाण सम्राट् [[कनिष्क]] (120 ई.) और विमकेडफिसस की कायपरिमाण मूर्तियाँ प्राप्त हुई थीं जो [[मथुरा संग्रहालय]] में सुरक्षित हैं। कनिष्क की मूर्ति लाल पत्थर की है और वर्तमान दशा में शिरविहीन है। इस मूर्ति से कनिष्क की वेषभूषा का अच्छा ज्ञान होता है। इसमें इसे लंबा चोगा और घुटनों तक ऊंचे जूते पहले दिखाया गया है। यह वेशभूषा [[कुषाण|कुषाणों]] के आदयस्थान पश्चिमी [[चीन]] या [[तुर्किस्तान]] में आज तक प्रचलित है।
+
*माँट से कुषाण सम्राट कनिष्क<ref>120 ई.</ref> और विमकेडफिसस की कायपरिमाण मूर्तियाँ प्राप्त हुईं थीं, जो मथुरा संग्रहालय में सुरक्षित हैं। कनिष्क की मूर्ति लाल पत्थर की है और वर्तमान दशा में शिरविहीन है। इस मूर्ति से कनिष्क की वेषभूषा का अच्छा ज्ञान होता है। इसमें इसे लंबा चोगा और घुटनों तक ऊंचे जूते पहने दिखाया गया है। यह वेशभूषा [[कुषाण|कुषाणों]] के आदयस्थान पश्चिमी [[चीन]] या तुर्किस्तान में आज तक प्रचलित है।
 +
 
  
{{लेख प्रगति
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|आधार=
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 
{{ब्रज}}
 
{{ब्रज}}
 
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
 
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
[[Category:कृष्ण]][[Category:ब्रज]]
+
[[Category:कृष्ण]][[Category:ब्रज]][[Category:ब्रज के दर्शनीय स्थल]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:ब्रज_के_धार्मिक_स्थल]]
[[Category:ब्रज के दर्शनीय स्थल]][[Category:ब्रज_के_धार्मिक_स्थल]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

Revision as of 05:37, 28 July 2016

maant
vivaran maant mathura se ath mil hai. yah mathura-nauhajhil marg par sthit hai. yah sthan shri krishna-balaram gop-balakoan ke sath gay charane ka sthan tha.
rajy uttar pradesh
zila mathura
prasiddhi hindoo dharmik sthal
kab jaean kabhi bhi
yatayat bas, kar, aauto adi
sanbandhit lekh gokul, brahmand ghat mahavan, barasana, nandagaanv, mahavan, baladev mandir mathura, mathura, braj


any janakari maant se kushan samrat kanishk[1] aur vimakedaphisas ki kayapariman moortiyaan prapt hueean thian, jo mathura sangrahalay mean surakshit haian. kanishk ki moorti lal patthar ki hai aur vartaman dasha mean shiravihin hai.
adyatan‎

maant qasba bharat ke uttar pradesh rajy ke mathura namak nagar mean sthit hai. maant mathura se ath mil door hai. mathura - nauhajhil marg par maant sthit hai. yah sthan shri krishna-balaram gop-balakoan ke sath gay charane ka sthan tha.

  • yahaan par pahale se hi dadhi, doodh ke b de-b de bartan banate the aur chhoti mataki banati thi. yahaan hokar sakhiyaan dadhi, doodh ke maant lekar bechane hetu jaya karati thian, raste mean poorv varadan poorti hetu shrikrishna dadhi, doodh lut kar khate the aur kisi din kisi ki aur kisi din kisi ki mataki gira dete the.
  • in uparokt donoan karanoan se is sthan ka nam maant p da. ek purani kahavat bhi hai-

dhani-dhani maant gaanv ke chor.
vrindavan kooan aise dekhe jaise chandr chakor॥

  • gaanv mean shri daooji, shri mahadev ji ka mandir eanv prasiddh shri vairua baba[2] ka ashram darshaniy hai.
  • is gram se kushanakal ke anek mahattvapoorn avashesh prapt hue haian.
  • sanskrit mean ek shilalekh se jo yahaan se prapt hua tha, usase vidit hota hai ki maharajadhiraj devaputr huvishk ke pitamah ne jo saty aur dharm se sadaiv sthir the, ek devakul banavaya tha, jo kalaantar mean nasht bhrasht ho gaya tha. at: kisi mahadandanayak ke putr ne jo raj karmachari tha, is devakul ka jirnoddhar karavaya aur brahmanoan tatha atithiyoan ke lie pratidin sadavrat ka prabandh kiya.
  • maant se kushan samrat kanishk[3] aur vimakedaphisas ki kayapariman moortiyaan prapt hueean thian, jo mathura sangrahalay mean surakshit haian. kanishk ki moorti lal patthar ki hai aur vartaman dasha mean shiravihin hai. is moorti se kanishk ki veshabhoosha ka achchha jnan hota hai. isamean ise lanba choga aur ghutanoan tak ooanche joote pahane dikhaya gaya hai. yah veshabhoosha kushanoan ke adayasthan pashchimi chin ya turkistan mean aj tak prachalit hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh

tika tippani aur sandarbh

  1. 120 ee.
  2. devaraha baba
  3. 120 ee.