कंकल
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
कंकल - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कृकल)[1]
चव्य या चाब का पौधा।
विशेष - यह मलक्का द्वीप में बहुत होता है। भारतवर्ष के मलाबार प्रदेश में भी होता है। इसका फल गजपीपर है। लकड़ी भी दवा के काम में आती है। जड़ को चैकठ कहते हैं। बंगाल में जड़ घोर लकड़ी रंगने के काम आती है। इसका अकेला रंग कपड़े पर पीलापन लिए हुए बादामी होता है और बक्कम के साथ मिलाने से लाल बादामी रंग आता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्द सागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी.ए. (मूल सम्पादक) |प्रकाशक: शंभुनाथ वाजपेयी द्वारा, नागरी मुद्रण वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 717 |
संबंधित लेख
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
Retrieved from "https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=कंकल&oldid=666916"