कंठीर
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कंठीर - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कण्ठीख)[1]
उदाहरण-
सीत मेह मारुत तप सहणों शकस बतो कंठीर रहैं। - रघुनाथ रूपक[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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