कइकुल
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
कइकुल - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कवि+कुल)[1]
कविसमूह। कविवर्ग।
उदाहरण-
अक्खर रस वुज्झनिहार नहि कइकुल भिक्खारि भउँ। - कीर्तिलता[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 732 |
- ↑ कीर्तिलता, पृष्ठ 18, सम्पादक बाबूराम सक्सेना, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, तृतीय संस्करण
संबंधित लेख
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
Retrieved from "https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=कइकुल&oldid=669510"