रंगपुर (गुजरात): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''रंगपुर''' [[गुजरात]] के [[काठियावाड़]] [[प्रायद्वीप]] में सुकभादर नदी के समीप स्थित है। इस स्थल की खुदाई [[वर्ष]] [[1953]-1954]] में ए. रंगनाथ राव द्वारा की गई थी। यहाँ पर पूर्व [[हड़प्पा]] कालीन [[संस्कृति]] के [[अवशेष]] मिले हैं। रंगपुर से मिले कच्ची ईटों के [[दुर्ग]], नालियां, मृदभांड, बांट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ [[धान]] की भूसी के ढेर मिले हैं। | '''रंगपुर''' [[गुजरात]] के [[काठियावाड़]] [[प्रायद्वीप]] में सुकभादर नदी के समीप स्थित है। इस स्थल की खुदाई [[वर्ष]] [[1953]]-[[1954]] में ए. रंगनाथ राव द्वारा की गई थी। यहाँ पर पूर्व [[हड़प्पा]] कालीन [[संस्कृति]] के [[अवशेष]] मिले हैं। रंगपुर से मिले कच्ची ईटों के [[दुर्ग]], नालियां, मृदभांड, बांट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ [[धान]] की भूसी के ढेर मिले हैं। | ||
*यह ऐतिहासिक स्थान गोहिलवाड़ प्रांत में सुकभादर नदी के पश्चिम [[समुद्र]] में गिरने के स्थान से कुछ ऊपर की ओर स्थित है। | *यह ऐतिहासिक स्थान गोहिलवाड़ प्रांत में सुकभादर नदी के पश्चिम [[समुद्र]] में गिरने के स्थान से कुछ ऊपर की ओर स्थित है। | ||
Line 5: | Line 5: | ||
*यहाँ पहली बार की खुदाई के अवशेषों से विद्वानों ने यह समझा था कि ये [[हड़प्पा सभ्यता]] के दक्षिणतम प्रसार के चिन्ह हैं, जिनका समय लगभग 2000 ई. पू. होना चाहिए। | *यहाँ पहली बार की खुदाई के अवशेषों से विद्वानों ने यह समझा था कि ये [[हड़प्पा सभ्यता]] के दक्षिणतम प्रसार के चिन्ह हैं, जिनका समय लगभग 2000 ई. पू. होना चाहिए। | ||
*[[वर्ष]] [[1944]] ई. के [[जनवरी|जनवरी मास]] मे यहाँ [[भारतीय पुरातत्त्व विभाग|पुरातत्त्व विभाग]] ने पुनः उत्खनन किया, जिससे अनेक अवशेष प्राप्त हुए। जिनमें प्रमुख थे- अलंकृत व चिकने मृदभांड, जिन पर हिरण तथा अन्य पशुओं के चित्र हैं; [[स्वर्ण]] तथा कीमती पत्थर की बनी हुईं गुरियां तथा [[धूप]] में सुखाई हुई ईंटे। | *[[वर्ष]] [[1944]] ई. के [[जनवरी|जनवरी मास]] मे यहाँ [[भारतीय पुरातत्त्व विभाग|पुरातत्त्व विभाग]] ने पुनः उत्खनन किया, जिससे अनेक अवशेष प्राप्त हुए। जिनमें प्रमुख थे- अलंकृत व चिकने मृदभांड, जिन पर हिरण तथा अन्य पशुओं के चित्र हैं; [[स्वर्ण]] तथा कीमती पत्थर की बनी हुईं गुरियां तथा [[धूप]] में सुखाई हुई ईंटे। | ||
*यहाँ से भूमि की सतह के नीचे नालियों तथा कमरों के भी चिन्ह मिलें हैं। | *यहाँ से भूमि की सतह के नीचे नालियों तथा कमरों के भी चिन्ह मिलें हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=773|url=}}</ref> | ||
*खुदाई से रंगपुर में अति प्राचीन अणुपाषाण युगीन सभ्यता के भी [[खंडहर]] मिले हैं।<ref>प्रायः 2000-1000 ई. पू.</ref> इस सभ्यता का मूल स्थान बेबिलोनिया बताया जाता है। | *खुदाई से रंगपुर में अति प्राचीन अणुपाषाण युगीन सभ्यता के भी [[खंडहर]] मिले हैं।<ref>प्रायः 2000-1000 ई. पू.</ref> इस सभ्यता का मूल स्थान बेबिलोनिया बताया जाता है। | ||
*रंगपरी के निकटवर्ती अन्य कई स्थानों से सिंधु घाटी सभ्यता के [[अवशेष]] प्रकाश में लाए गये हैं।<ref>नरमान, भंगोल, मधुपुर, वेनीवडार तथा मोटामचिलिया</ref> | *रंगपरी के निकटवर्ती अन्य कई स्थानों से सिंधु घाटी सभ्यता के [[अवशेष]] प्रकाश में लाए गये हैं।<ref>नरमान, भंगोल, मधुपुर, वेनीवडार तथा मोटामचिलिया</ref> |
Latest revision as of 13:13, 2 January 2015
रंगपुर गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप में सुकभादर नदी के समीप स्थित है। इस स्थल की खुदाई वर्ष 1953-1954 में ए. रंगनाथ राव द्वारा की गई थी। यहाँ पर पूर्व हड़प्पा कालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। रंगपुर से मिले कच्ची ईटों के दुर्ग, नालियां, मृदभांड, बांट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ धान की भूसी के ढेर मिले हैं।
- यह ऐतिहासिक स्थान गोहिलवाड़ प्रांत में सुकभादर नदी के पश्चिम समुद्र में गिरने के स्थान से कुछ ऊपर की ओर स्थित है।
- इस स्थान से 1935 तथा 1947 में उत्खनन द्वारा सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष प्रकाश में लाए गये थे।
- यहाँ पहली बार की खुदाई के अवशेषों से विद्वानों ने यह समझा था कि ये हड़प्पा सभ्यता के दक्षिणतम प्रसार के चिन्ह हैं, जिनका समय लगभग 2000 ई. पू. होना चाहिए।
- वर्ष 1944 ई. के जनवरी मास मे यहाँ पुरातत्त्व विभाग ने पुनः उत्खनन किया, जिससे अनेक अवशेष प्राप्त हुए। जिनमें प्रमुख थे- अलंकृत व चिकने मृदभांड, जिन पर हिरण तथा अन्य पशुओं के चित्र हैं; स्वर्ण तथा कीमती पत्थर की बनी हुईं गुरियां तथा धूप में सुखाई हुई ईंटे।
- यहाँ से भूमि की सतह के नीचे नालियों तथा कमरों के भी चिन्ह मिलें हैं।[1]
- खुदाई से रंगपुर में अति प्राचीन अणुपाषाण युगीन सभ्यता के भी खंडहर मिले हैं।[2] इस सभ्यता का मूल स्थान बेबिलोनिया बताया जाता है।
- रंगपरी के निकटवर्ती अन्य कई स्थानों से सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष प्रकाश में लाए गये हैं।[3]
|
|
|
|
|