अशोक का कालक्रम: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "शुरु " to "शुरू ") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{अशोक लेख सूची}} | |||
[[चित्र:Ashoka.jpg|thumb|[[सम्राट अशोक]] (काल्पनिक चित्र)|100px]] | [[चित्र:Ashoka.jpg|thumb|[[सम्राट अशोक]] (काल्पनिक चित्र)|100px]] | ||
* [[अशोक]] प्राचीन [[भारत]] के [[मौर्य]] सम्राट [[बिंदुसार]] का पुत्र था। जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ गृह-युद्ध के बाद 272 ई. पूर्व अशोक को राजगद्दी मिली और 232 ई. पूर्व तक उसने शासन किया। | * [[अशोक]] प्राचीन [[भारत]] के [[मौर्य]] सम्राट [[बिंदुसार]] का पुत्र था। जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ गृह-युद्ध के बाद 272 ई. पूर्व अशोक को राजगद्दी मिली और 232 ई. पूर्व तक उसने शासन किया। |
Latest revision as of 10:52, 2 June 2017
अशोक विषय सूची
[[चित्र:Ashoka.jpg|thumb|सम्राट अशोक (काल्पनिक चित्र)|100px]]
- अशोक प्राचीन भारत के मौर्य सम्राट बिंदुसार का पुत्र था। जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ गृह-युद्ध के बाद 272 ई. पूर्व अशोक को राजगद्दी मिली और 232 ई. पूर्व तक उसने शासन किया।
- अशोक के जीवन और शासन का जो कालक्रम उसके लेखों से विदित होता है उसकी तुलना जनश्रुतियों से करना लाभदायक होगा।
- ये जनश्रुतियां उत्तरी और दक्षिणी दोनों हैं। उत्तरी जनश्रुति दिव्यावदान में और दक्षिणी महावंश में सुरक्षित है।
- कालक्रम के ये दोनों आधार यद्यपि अलग-अलग हैं तथापि अनेक मामलों में ये एक दूसरे का समर्थन करते प्रतीत होते हैं।
- अशोक के अभिषेक की तिथि ईसा पूर्व 270 में निश्चित हो चुकी है।
- अब इसी स्थान से शुरू करके हम अशोक के जीवन व शासन की नीचे लिखी घटनाओं की तिथियां निकाल सकते हैं और उन्हें कालक्रम से सुव्यवस्थित भी कर सकते हैं:
तिथि | विवरण |
---|---|
ईसा पूर्व 304 | अशोक का जन्म (अशोक के सबसे बड़े पुत्र की जन्मतिथि के आधार पर अनुमान कर) |
ईसा पूर्व 286 | अशोक के पिता बिंदुसार ने (18 वर्ष की उम्र में) उसे उज्जैन का वाइसराय बनाकर भेजा।[2] |
ईसा पूर्व 286 |
|
ईसा पूर्व 284 | अशोक के ज्येष्ठ पुत्र महेंद्र का जन्म।[3] |
ईसा पूर्व 282 | अशोक की सबसे बड़ी पुत्री संघमित्रा का जन्म। |
ईसा पूर्व 274 |
|
ईसा पूर्व 270 | अशोक का राज्यभिषेक[5] |
ईसा पूर्व 270-266 | अशोक का छोटा भाई तिस्स उपराज बना।[6] |
ईसा पूर्व 270-240 | असंघिमित्रा अशोक की अग्रमहिषी (पटरानी) [7] |
ईसा पूर्व 268 | संघमित्रा का अग्निब्रह्मा से विवाह। |
ईसा पूर्व 267 | संघमित्रा के पुत्र सुमन का जन्म [8] |
ईसा पूर्व 266 |
(क) इससे पता चलता है कि महावंश में उल्लिखित तिथियाँ उसके अभिषेक से गिनी गई हैं[10] न कि उसके राज्य पाने की तिथि से[11], (ख) इससे एक अतिरिक्त प्रमाण इस बात का मिलता है कि अशोक के राज्य पाने की तिथि सही है, और (ग) इससे लघु चट्टान लेख 1 में अशोक के बौद्ध उपासक बनने की जो तिथि दी है उसकी पुष्टि होती है। |
ईसा पूर्व 266-263 | अशोक ने विहार व चैत्य बनवाये। [16] |
ईसा पूर्व 264 | |
ईसा पूर्व 263- | कुणाल का अशोक की पत्नी पद्मावती के गर्भ से जन्म। [19] |
ईसा पूर्व 262 | थेर तिस्स व सुमित्त की मृत्यु। संघ में अवांछित भिक्षु-भिक्षुणियों की वृद्धि जिससे उदासीन होकर मोग्गलिपुत्त तिस्स संघ से विरक्त रहने लगा [20] |
ईसा पूर्व 262-254 | महेंद्र संघ का अध्यक्ष रहा। अशोक ने मोग्गलिपुत्त तिस्स को बुला भेजा। तिस्स ने उसे संबुद्ध के सिद्धांत का अध्यापन किया। तिस्स को अध्यक्षता में संघ की बैठक। अशोक ने अपधर्मी भिक्षुओं को संघ से निकाल बाहर किया।[21] |
ईसा पूर्व 260-250 | अशोक द्वारा बौद्ध तीर्थों की यात्रा का संभावित काल जिसके अंत में उसने दिव्यावदान 27 के अनुसार धर्मराजिक को पूरा कराया। दिव्यावदान के अनुसार उपगुप्त अशोक को सबसे पहले लुंबिनी वन ले गया फिर उसने उसे बोधिमूल की यात्रा करायी। चट्टान लेख 8 में ई. पू. 260 में अशोक के संबोधि के दर्शन का उल्लेख हैं। रुम्मिनदीई स्तंभ लेख ई. पू. 250 में उसकी लुंबिनी यात्रा का उल्लेख करता है। |
ईसा पूर्व 253 | तृतीय बौद्ध संगीति जिसके अध्यक्ष मोग्गलिपुत्त तुस्स थे। विभिन्न देशों में दूतों का भेजना।[22] |
ईसा पूर्व 252 | लंका जाते हुए महेंद्र ने विदिशा में अपनी माता देवी के दर्शन किये।[23]उसे भिक्षु बने 12 वर्ष बीत चुके थे। |
ईसा पूर्व 240 | अशोक की प्रियपत्नी और संबुद्ध की द्दढ़ विश्वासिनी असंघिमित्रा की मृत्यु।[24] |
ईसा पूर्व 236 | तिष्यरक्षिता अग्रमहिषी बनी।[25] |
ईसा पूर्व 235 | तक्षशिला में विद्रोह। कुणाल वहाँ वाइसराय बनाकर भेजा गया।[26] |
ईसा पूर्व 233 | तिष्यरक्षिता का बोधि-वृक्ष से द्वेष, जिसे उसने नष्ट करने की चेष्टा की।[27] |
ईसा पूर्व 232 | शासन के अड़तीसवें वर्ष में अशोक की मृत्यु। [28] |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मुखर्जी, राधाकुमुद अशोक, प्रथम संस्करण (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: मोतीलाल बनारसीदास, 36-39।
- ↑ महावंश,13,8-11
- ↑ (महावंश 204)
- ↑ (महावंश40-50)
- ↑ (महावंश 22)
- ↑ (महावंश33)
- ↑ (महावंश 85; 20, 2)
- ↑ (महावंश 170)
- ↑ (महावंश 45)
- ↑ (जैसा कि विंसेंट स्मिथ ने किया है)
- ↑ [जैसा कि कैंब्रिज हिस्ट्री (खंड 1,पृष्ठ संख्या 503) में किया है]
- ↑ (महावंश160)
- ↑ (महावंश168)
- ↑ (महावंश170)
- ↑ (महावंश202)
- ↑ (महावंश173, दिव्यावदान 27)
- ↑ (महावंश 204-209)
- ↑ (महावंश197)
- ↑ (दिव्यावदान 27)
- ↑ (महावंश 227-30)।
- ↑ (महावंश231-274, मिला. सांची व सारनाथ के स्तंभ लेख)
- ↑ (महावंश] 12,1-8)
- ↑ (महावंश 13, 1,8-11)
- ↑ (महावंश 20,2)
- ↑ (महावंश 3 व दिव्यावदान 27 में उसे अशोक की अग्रमहिषी कहा है)
- ↑ (दिव्यावदान पृष्ठ संख्या 407)
- ↑ (महावंश. 20, 4-6, दिव्यावदान में बिना तिथि के उलिखित (पृष्ठ संख्या 397 कावेल का संस्करण)
- ↑ (महावंश 20,1-6)