सतपुड़ा पर्वतश्रेणी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
(3 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Satpura-Mountain-Range.jpg|thumb|250px|सतपुड़ा पर्वतश्रेणी]]
[[चित्र:Satpura-Mountain-Range.jpg|thumb|250px|सतपुड़ा पर्वतश्रेणी]]
'''सतपुड़ा पर्वतश्रेणी''' पहाड़ियों की श्रृंखला है। सतपुड़ा पर्वतश्रेणी दक्कन पठार का अंग है और [[पश्चिम भारत|पश्चिमी भारत]] में स्थित है।  
'''सतपुड़ा पर्वतश्रेणी''' [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] एवं [[ताप्ती नदी|ताप्ती]] की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार [[छोटा नागपुर पठार]] तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: [[ग्रेनाइट]] एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी [[धूपगढ़ शिखर|धूपगढ़]] 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है।
*[[मध्य प्रदेश]] और [[महाराष्ट्र]] राज्यों में 900 किमी तक प्रायद्वीपीय भारत के सबसे चौड़े क्षेत्र में फैला हिस्सा।
==नामकरण==
*सतपुड़ा पर्वतश्रेणी, जिसके नाम का अर्थ सात वलय है, [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] (उत्तर) और [[ताप्ती नदी|ताप्ती]] (दक्षिण) नदियों के बीच जल-विभाजक का काम करती है।  
यह [[विंध्याचल]] के दक्षिण में स्थित महान् पर्वत श्रेणी है। 'सतपुड़ा' शब्द 'सप्तपुत्र' का [[अपभ्रंश]] कहा जाता है। कुछ विद्वानों का मत है कि सतपुड़ा पर्वत की सात श्रेणियां हैं, जिसके कारण ही इसे 'सप्तपुत्र' का अभिधान दिया गया था। [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]] धार्मिक पौराणिक [[महाकाव्य]] '[[महाभारत]]' में इस [[पर्वत]] को नर्मदा और ताप्ती के बीच में वर्णित किया गया है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=931|url=}}</ref>
[[चित्र:Satpura-Mountain-Range-1.jpg|thumb|250px|left|सतपुड़ा पर्वतश्रेणी]]
====विस्तार====
*सतपुड़ा पर्वतश्रेणी की चोटियों की ऊंचाई 1,200 मीटर है और इनमें पश्चिम में राजपिपला पहाड़ियाँ, उत्तर में महादेव पहाड़ियाँ एवं पूर्व में मैकाल पहाड़ियाँ शामिल हैं।  
सतपुड़ा पहाड़ी क्षेत्र [[मध्य प्रदेश]] और [[महाराष्ट्र]] राज्यों में 900 कि.मी. तक प्रायद्वीपीय [[भारत]] के सबसे चौड़े क्षेत्र में फैला हुआ हिस्सा है। मैकाल पहाड़ी की सर्वोच्च चोटी [[अमरकंटक]] 1036 मीटर है, जहाँ से नर्मदा एवं [[सोन नदी]] निकलती हैं। सतपुड़ा पर्वतश्रेणी की औसत ऊँचाई 900 मीटर है। इस पर्वतश्रेणी के नाम का अर्थ 'सात वलय' है, [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] (उत्तर) और [[ताप्ती नदी|ताप्ती]] (दक्षिण) नदियों के बीच जल-विभाजक का काम करती है।  
*यद्यपि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी आर्थिक रूप से कमज़ोर है, तथापि इसके दक्षिण-पूर्वी हिस्से में [[मैंगनीज]] और कोयले के कुछ भंडार हैं। यह व्यापक रूप से वनाच्छादित है और देश के अन्य [[पठार|पठारों]] से अलग है, इसके जंगलों में पश्चिम में क़ीमती सागौन के पेड़ हैं।  
[[चित्र:Satpura-Mountain-Range-1.jpg|thumb|250px|सतपुड़ा पर्वतश्रेणी]]
*[[महादेव पहाड़ियाँ|महादेव पहाड़ियों]] की ऊपरी वैनगंगा एवं पेंछ घाटियों में थोड़ी- बहुत खेती की जाती है और ऊपरी पहाड़ियों पर [[गोंड]] जनजाति के लोग झूम खेती करते हैं। मध्य प्रदेश में [[पंचमढ़ी]] एक पर्यटक स्थल है और [[छिंदवाड़ा]] एक छोटा प्रशासनिक केंद्र है।
==खनिज भंडार==
सतपुड़ा पर्वतश्रेणी की चोटियों की ऊंचाई 1,200 मीटर है और इनमें पश्चिम में राजपिपला पहाड़ियाँ, उत्तर में [[महादेव पहाड़ियाँ]] एवं पूर्व में मैकाल पहाड़ियाँ शामिल हैं। यद्यपि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी आर्थिक रूप से कमज़ोर है, तथापि इसके दक्षिण-पूर्वी हिस्से में [[मैंगनीज]] और [[कोयला|कोयले]] के कुछ भंडार हैं।


{{लेख प्रगति
यह व्यापक रूप से वनाच्छादित है और देश के अन्य [[पठार|पठारों]] से अलग है, इसके जंगलों में पश्चिम में क़ीमती सागौन के पेड़ हैं। महादेव पहाड़ियों की ऊपरी वैनगंगा एवं पेंछ घाटियों में थोड़ी-बहुत खेती की जाती है और ऊपरी पहाड़ियों पर [[गोंड|गोंड जनजाति]] के लोग झूम खेती करते हैं।
|आधार=
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}  
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}  
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{पर्वत}}
{{पहाड़ी और पठार}}{{पर्वत}}
[[Category:पर्वत]]
[[Category:पहाड़ी और पठार]][[Category:पर्वत]][[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:भूगोल कोश]]
[[Category:मध्य प्रदेश]][[Category:महाराष्ट्र]]
[[Category:मध्य प्रदेश]]
[[Category:महाराष्ट्र]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 11:26, 1 August 2017

thumb|250px|सतपुड़ा पर्वतश्रेणी सतपुड़ा पर्वतश्रेणी नर्मदा एवं ताप्ती की दरार घाटियों के बीच राजपीपला पहाड़ी, महादेव पहाड़ी एवं मैकाल श्रेणी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर विस्तृत है। पूर्व में इसका विस्तार छोटा नागपुर पठार तक है। यह पर्वत श्रेणी एक ब्लाक पर्वत है, जो मुख्यत: ग्रेनाइट एवं बेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है। इस पर्वत श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ 1350 मीटर है, जो महादेव पर्वत पर स्थित है।

नामकरण

यह विंध्याचल के दक्षिण में स्थित महान् पर्वत श्रेणी है। 'सतपुड़ा' शब्द 'सप्तपुत्र' का अपभ्रंश कहा जाता है। कुछ विद्वानों का मत है कि सतपुड़ा पर्वत की सात श्रेणियां हैं, जिसके कारण ही इसे 'सप्तपुत्र' का अभिधान दिया गया था। हिन्दू धार्मिक पौराणिक महाकाव्य 'महाभारत' में इस पर्वत को नर्मदा और ताप्ती के बीच में वर्णित किया गया है।[1]

विस्तार

सतपुड़ा पहाड़ी क्षेत्र मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में 900 कि.मी. तक प्रायद्वीपीय भारत के सबसे चौड़े क्षेत्र में फैला हुआ हिस्सा है। मैकाल पहाड़ी की सर्वोच्च चोटी अमरकंटक 1036 मीटर है, जहाँ से नर्मदा एवं सोन नदी निकलती हैं। सतपुड़ा पर्वतश्रेणी की औसत ऊँचाई 900 मीटर है। इस पर्वतश्रेणी के नाम का अर्थ 'सात वलय' है, नर्मदा (उत्तर) और ताप्ती (दक्षिण) नदियों के बीच जल-विभाजक का काम करती है। thumb|250px|सतपुड़ा पर्वतश्रेणी

खनिज भंडार

सतपुड़ा पर्वतश्रेणी की चोटियों की ऊंचाई 1,200 मीटर है और इनमें पश्चिम में राजपिपला पहाड़ियाँ, उत्तर में महादेव पहाड़ियाँ एवं पूर्व में मैकाल पहाड़ियाँ शामिल हैं। यद्यपि सतपुड़ा पर्वतश्रेणी आर्थिक रूप से कमज़ोर है, तथापि इसके दक्षिण-पूर्वी हिस्से में मैंगनीज और कोयले के कुछ भंडार हैं।

यह व्यापक रूप से वनाच्छादित है और देश के अन्य पठारों से अलग है, इसके जंगलों में पश्चिम में क़ीमती सागौन के पेड़ हैं। महादेव पहाड़ियों की ऊपरी वैनगंगा एवं पेंछ घाटियों में थोड़ी-बहुत खेती की जाती है और ऊपरी पहाड़ियों पर गोंड जनजाति के लोग झूम खेती करते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 931 |

संबंधित लेख