गंगाबाई: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) (माताजी महारानी तपस्विनी को अनुप्रेषित (रिडायरेक्ट)) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''गंगाबाई''' [[पेशवा]] [[नारायणराव]] की पत्नी थीं। अठारह [[वर्ष]] की अवस्था में ही जब नारायणराव को [[30 अगस्त]], 1773 ई. को समय से वेतन प्राप्त न होने के कारण क्रोधोन्मत्त सिपाहियों ने मार डाला, तब [[रघुनाथराव]] पेशवा बनकर राजकाज देखने लगा। गंगाबाई [[नाना फड़नवीस]] के परामर्श से ही प्रत्येक कार्य करती थीं।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88|title=गंगाबाई|accessmonthday=25 जनवरी|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
*रघुनाथराव भले ही [[पेशवा]] बन गया था, किंतु यह बात अनेक लोगों को अप्रिय थी। अत: रघुनाथराव के विरोधी लोगों ने नाना फड़नवीस और हरिंपथ फड़के के नेतृत्व में एक परिषद की स्थापना की। | |||
*उस समय गंगाबाई गर्भवती थीं। अत: इन लोगों ने रघुनाथराव को पदच्युत करने की योजना बनाई, जिसके अनुसार गंगाबाई के गर्भ से बालक का जन्म होने पर उसे पदच्युत करना सहज था। अत: उन लोगों ने गंगाबाई को पुरंदर भेजने की व्यवस्था की ताकि उनका कोई अनिष्ट न कर सके और वे लोग इस भावी पेशवा के जन्म की प्रतीक्षा में गंगाबाई के नाम से पेशवा का काम चलाने लगे। | |||
*[[18 मई]], 1774 ई. को गंगाबाई के पुत्र हुआ, जिसे माधवराव नारायण के नाम से अभिहित किया गया और जन्म के चालीसवें दिन उसे लोगों ने [[पेशवा]] घोषित कर दिया। पीछे यही सवाई माधवराव के नाम से प्रख्यात हुआ। | |||
*[[माधवराव नारायण|माधवराव]] के बड़े होने तक गंगाबाई उसके नाम पर शासन कार्य देखती रहीं और वे [[नाना फड़नवीस]] के परामर्श के अनुसार ही चलती थीं। इससे परिषद में मतभेद उत्पन्न हो गया और लोगों ने यह अपवाद फैलाना आरंभ किया कि गंगाबाई का फड़नवीस के साथ अवैध संबंध है और उससे उन्हें गर्भ है। गंगाबाई इस लोकापवाद को सहन न कर सकीं और विष खाकर उन्होंने अपना प्राणांत कर लिया। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{मराठा साम्राज्य}} | |||
[[Category:मराठा साम्राज्य]][[Category:जाट-मराठा काल]][[Category:इतिहास कोश]] | |||
__INDEX__ |
Latest revision as of 12:24, 25 October 2017
गंगाबाई पेशवा नारायणराव की पत्नी थीं। अठारह वर्ष की अवस्था में ही जब नारायणराव को 30 अगस्त, 1773 ई. को समय से वेतन प्राप्त न होने के कारण क्रोधोन्मत्त सिपाहियों ने मार डाला, तब रघुनाथराव पेशवा बनकर राजकाज देखने लगा। गंगाबाई नाना फड़नवीस के परामर्श से ही प्रत्येक कार्य करती थीं।[1]
- रघुनाथराव भले ही पेशवा बन गया था, किंतु यह बात अनेक लोगों को अप्रिय थी। अत: रघुनाथराव के विरोधी लोगों ने नाना फड़नवीस और हरिंपथ फड़के के नेतृत्व में एक परिषद की स्थापना की।
- उस समय गंगाबाई गर्भवती थीं। अत: इन लोगों ने रघुनाथराव को पदच्युत करने की योजना बनाई, जिसके अनुसार गंगाबाई के गर्भ से बालक का जन्म होने पर उसे पदच्युत करना सहज था। अत: उन लोगों ने गंगाबाई को पुरंदर भेजने की व्यवस्था की ताकि उनका कोई अनिष्ट न कर सके और वे लोग इस भावी पेशवा के जन्म की प्रतीक्षा में गंगाबाई के नाम से पेशवा का काम चलाने लगे।
- 18 मई, 1774 ई. को गंगाबाई के पुत्र हुआ, जिसे माधवराव नारायण के नाम से अभिहित किया गया और जन्म के चालीसवें दिन उसे लोगों ने पेशवा घोषित कर दिया। पीछे यही सवाई माधवराव के नाम से प्रख्यात हुआ।
- माधवराव के बड़े होने तक गंगाबाई उसके नाम पर शासन कार्य देखती रहीं और वे नाना फड़नवीस के परामर्श के अनुसार ही चलती थीं। इससे परिषद में मतभेद उत्पन्न हो गया और लोगों ने यह अपवाद फैलाना आरंभ किया कि गंगाबाई का फड़नवीस के साथ अवैध संबंध है और उससे उन्हें गर्भ है। गंगाबाई इस लोकापवाद को सहन न कर सकीं और विष खाकर उन्होंने अपना प्राणांत कर लिया।
|
|
|
|
|