खानवा: Difference between revisions
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 130-131| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{राजस्थान के ऐतिहासिक स्थान}} | |||
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | {{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | ||
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Latest revision as of 08:13, 24 May 2018
खानवा राजस्थान में भरतपुर के निकट एक ग्राम है, जो फतेहपुर सीकरी से 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) उत्तर-पश्चिम में स्थित है। 'भारतीय इतिहास' में प्रसिद्ध 'खानवा का युद्ध' मेवाड़ के राणा साँगा और बाबर के मध्य इसी स्थान पर शनिवार, 17 मार्च, 1527 ई. को हुआ था।
- 'खानवा का युद्ध' जो कोई दस घंटे चला, अविस्मरणीय युद्धों में से एक है। यद्यपि राजपूत वीरता से लड़े, किंतु विजयश्री बाबर को हासिल हुई।
- शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो, जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा।
- पानीपत युद्ध का कार्य खानवा के युद्ध ने पूरा किया।
- बाबर द्वारा राणा साँगा पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब भारत विजय के सपने को साकार कर सकते थे।
- खानवा की विजय ने मुग़ल साम्राज्यवाद के बीजारोपण के मार्ग से बहुत बड़ी बाधा हटा दी थी।
- राजपूतों की हार का एक कारण पवार राजपूतों की सेना का ठीक युद्ध के समय महाराणा को छोड़कर बाबर से जा मिलना था।
- इस युद्ध के पश्चात् बाबर के क़दम भारत में पूरी तरह से जम गए, जिससे भावी महान् मुग़ल साम्राज्य की नींव पड़ी।
- खानवा को 'कनवा' नाम से भी जाना जाता है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 130-131| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार