हेमचंद दासगुप्त: Difference between revisions

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==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
हेमचंद दासगुप्त का जन्म सन [[1878]] ई. में दीनाजपुर ज़िले में हुआ था। ज़िला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करके के उपरांत [[1895]] ई. में इन्होंने 'कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज' में प्रवेश लिया। यहाँ सन [[1900]] में आपने एम. ए. (आनर्स) की डिग्री प्राप्त की। तीन वर्ष पश्चात इनकी नियुक्ति इसी विद्यालय में डिमोंस्ट्रेटर के पद पर हुई। धीरे-धीरे उन्नति करते हुए हेमचंद दासगुप्त इसी विद्यालय में भू-विज्ञान के प्रोफेसर हो गए।
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==विभिन्न संस्थाओं के सदस्य==
==विभिन्न संस्थाओं के सदस्य==
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बहुत-सी संस्थाओं से हेमचंद दासगुप्त का निकट संबंध था। 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' के विकास में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। आप उसकी कार्यकारिणी के सदस्य भी थे तथासन्[[1928]] ई. में उसके भू-विज्ञान विभाग के अध्यक्ष चुने गए थे। 'जियालॉजिकल माइनिंग एण्ड मेटालरजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया' के आप संस्थापकों में से एक थे। [[जमशेदपुर]] में 'टाटा इस्पात कम्पनी' स्थापित करने में इनका प्रमुख हाथ था। इन्हीं की सम्मति से यह कम्पनी जमशेदपुर में स्थापित हुई थी।<ref name="aa"/>
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Latest revision as of 09:47, 11 February 2021

हेमचंद दासगुप्त
पूरा नाम हेमचंद दासगुप्त
जन्म 1878 ई.
जन्म भूमि दीनाजपुर, बंगाल
मृत्यु 1 जनवरी, 1933 ई.
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भू-वैज्ञानिक
शिक्षा एम. ए. (ऑनर्स)
विद्यालय 'कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज'
विशेष योगदान हेमचंद दासगुप्त ने 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। आप उसकी कार्यकारिणी के सदस्य भी थे
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी जमशेदपुर में 'टाटा इस्पात कम्पनी' स्थापित करने में इनका प्रमुख हाथ था। इन्हीं की सम्मति से यह कम्पनी जमशेदपुर में स्थापित हुई थी।

हेमचंद दासगुप्त (जन्म- 1878 ई., दीनाजपुर, बंगाल; मृत्यु- 1 जनवरी, 1933) प्रसिद्ध भू-विज्ञानी थे। 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' के विकास में आपने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। 'जियालॉजिकल माइनिंग एण्ड मेटालरजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया' के संस्थापकों में से हेमचंद दासगुप्ता भी एक थे।

जन्म तथा शिक्षा

हेमचंद दासगुप्त का जन्मसन्1878 ई. में बंगाल के दीनाजपुर ज़िले में हुआ था। ज़िला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करके के उपरांत 1895 ई. में इन्होंने 'कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज' में प्रवेश लिया। यहाँसन्1900 में आपने एम. ए. (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। तीन वर्ष पश्चात् इनकी नियुक्ति इसी विद्यालय में डिमोंस्ट्रेटर के पद पर हुई। धीरे-धीरे उन्नति करते हुए हेमचंद दासगुप्त इसी विद्यालय में भू-विज्ञान के प्रोफेसर हो गए।[1]

विभिन्न संस्थाओं के सदस्य

हेमचंद दासगुप्त ने उसके सेक्रेटरी के रूप में भी कार्य किया। 'कलकत्ता विश्वविद्यालय' की विभिन्न संस्थाओं के भी हेमचंद दासगुप्त सदस्य थे। इनके अतिरिक्त आप 'बंगीय साहित्य परिषद्', 'एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल' तथा 'इंडियन एसोसिएशन फ़ॉर कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस' के भी प्रमुख कार्यकर्ताओं में से थे।

योगदान

बहुत-सी संस्थाओं से हेमचंद दासगुप्त का निकट संबंध था। 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' के विकास में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। आप उसकी कार्यकारिणी के सदस्य भी थे तथासन्1928 ई. में उसके भू-विज्ञान विभाग के अध्यक्ष चुने गए थे। 'जियालॉजिकल माइनिंग एण्ड मेटालरजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया' के आप संस्थापकों में से एक थे। जमशेदपुर में 'टाटा इस्पात कम्पनी' स्थापित करने में इनका प्रमुख हाथ था। इन्हीं की सम्मति से यह कम्पनी जमशेदपुर में स्थापित हुई थी।[1]

निधन

हेमचंद दासगुप्त का जीवन बहुत ही सादा था। 1 जनवरी,सन्1933 को इनका निधन हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 हेमचंद दासगुप्त (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 20 जून, 2015।

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