अंग (संदर्भ): Difference between revisions
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'''अंग छूना''' = शपथ खाना, माथा छूना, कसम खाना।<br /> | *'''अंग छूना''' = शपथ खाना, माथा छूना, कसम खाना।<br /> | ||
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सूर हृदय ते टरत न गोकुल अंग छुवत हों तेरो।<ref>[[सूरदास]]</ref> | 'सूर हृदय ते टरत न गोकुल अंग छुवत हों तेरो।'<ref>[[सूरदास]]</ref> | ||
'''अंग टूटना''' = जम्हाई के साथ आलस्य से अंगों का फैलाया जाना। अंगड़ाई आना।<br /> | *'''अंग टूटना''' = जम्हाई के साथ आलस्य से अंगों का फैलाया जाना। अंगड़ाई आना।<br /> | ||
'''अंग तोड़ना''' = अंगड़ाई लेना।<br /> | *'''अंग तोड़ना''' = अंगड़ाई लेना।<br /> | ||
'''अंग धरना''' = पहनना। धारण करना। व्यवहार करना।<br /> | *'''अंग धरना''' = पहनना। धारण करना। व्यवहार करना।<br /> | ||
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नैन न आवै नींदड़ी, अंग न जामै मासु।<ref>कबीर सागर संग्रह, भाग 1, पृ. 43</ref> | नैन न आवै नींदड़ी, अंग न जामै मासु।<ref>कबीर सागर संग्रह, भाग 1, पृ. 43</ref> | ||
'''अंग मोड़ना''' = 1. शरीर के भागों को सिकोड़ना। लज्जा से देह छिपाना। 2. अंगड़ाई लेना।<br /> | *'''अंग मोड़ना''' = 1. शरीर के भागों को सिकोड़ना। लज्जा से देह छिपाना। 2. अंगड़ाई लेना।<br /> | ||
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अंगन मोरति भोर उठी छिति पूरति अंग सुगंध झकोरन।<ref>व्यंगार्थ कौमुदी</ref> | अंगन मोरति भोर उठी छिति पूरति अंग सुगंध झकोरन।<ref>व्यंगार्थ कौमुदी</ref> | ||
3. पीछे | 3. पीछे पटना, भागना, नटना, बचना।<br /> | ||
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रे पतंग निःशंक जल, जलत न मोड़े अंग। पहिले तो दीपक जलै पीछे जलै पतंग<ref> (शब्द.)</ref>। | रे पतंग निःशंक जल, जलत न मोड़े अंग। पहिले तो दीपक जलै पीछे जलै पतंग<ref> (शब्द.)</ref>। | ||
'''अंग लगाना''' = 1. आलिंगन करना। छाती से लगाना। 2. शरीर पुष्ट होना।<br /> | *'''अंग लगाना''' = 1. आलिंगन करना। छाती से लगाना। 2. शरीर पुष्ट होना।<br /> | ||
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'वह खाता तो बहुत है, पर उसके अंग नहीं लगता' (शब्द)। | 'वह खाता तो बहुत है, पर उसके अंग नहीं लगता' (शब्द)। | ||
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'किसी के अंग लग गया, पड़ा पड़ा क्या होता' (शब्द.)। | 'किसी के अंग लग गया, पड़ा पड़ा क्या होता' (शब्द.)। | ||
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'यह बच्चा हमारे अंग लगा है'<ref> (शब्द.)</ref>। | 'यह बच्चा हमारे अंग लगा है'<ref> (शब्द.)</ref>। | ||
'''अंग लगाना''' या '''अंग लाना''' = 1. आलिंगन | *'''अंग लगाना''' या '''अंग लाना''' = <br /> | ||
1. आलिंगन करना, छाती से लगाना, परिरंभण करना, लिपटाना।<br /> | |||
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'पर नारी पैनी छुरी कोउ नहि लाओ अंग।<ref>(शब्द.)</ref> | 'पर नारी पैनी छुरी कोउ नहि लाओ अंग।<ref>(शब्द.)</ref> | ||
2. | 2. हिलाना, परचाना। | ||
3. [[विवाह]], देना, विवाह में देना।<br /> | |||
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'इस कन्या को किसी के अंग लगा दे'<ref> (शब्द.)।</ref> | 'इस कन्या को किसी के अंग लगा दे'<ref> (शब्द.)।</ref> | ||
4. अपने शरीर के आराम में खर्च करना। 5. | 4. अपने शरीर के आराम में खर्च करना। | ||
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'सात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिय तुला इक अंग।'<ref>तुलसी शब्दावली</ref> | 'सात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिय तुला इक अंग।'<ref>तुलसी शब्दावली</ref> | ||
6. भेद। प्रकार। | 6. भेद। प्रकार। भाँति। तरह।<br /> | ||
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(क) 'को कृपालु स्वामी सारिखो,, राखै सरनागत सब अंग बल बिहीन को।'<ref>तुलसी ग्रंथावली, पृ. 564</ref> | (क) 'को कृपालु स्वामी सारिखो,, राखै सरनागत सब अंग बल बिहीन को।'<ref>तुलसी ग्रंथावली, पृ. 564</ref><br /> | ||
(ख) 'अंग अंग नीके भाव गूड़ भाव के प्रभाव, जाने को सुभाव रूप पचि पहिचानी है।'<ref>केशवदास शब्दावली</ref> | (ख) 'अंग अंग नीके भाव गूड़ भाव के प्रभाव, जाने को सुभाव रूप पचि पहिचानी है।'<ref>[[केशवदास|केशवदास शब्दावली]]</ref> | ||
7 आधार, आलंबन।<br /> | 7 आधार, आलंबन।<br /> | ||
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'[[राधा]] राधारमन को रस सिंगार में अंग।'<ref>भिखारीदास ग्रंथावली, भाग 1, पृ. 4</ref> | '[[राधा]] राधारमन को रस सिंगार में अंग।'<ref>[[भिखारीदास|भिखारीदास ग्रंथावली]], भाग 1, पृ. 4</ref> | ||
8. सहायक, सुहृद, पक्ष का, तरफदार। | |||
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'रौरे अंग जोग जग को है।'<ref>[[रामचरितमानस]], 2।284</ref> | |||
9. एक संबोधंन, प्रिय, प्रियवर। | |||
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'यह निश्चय ज्ञानी को जाते कर्ता दीखै करै न अंग।'<ref>निश्चल (शब्द.)</ref> | |||
10. जलमग्न,ज्योतिष। | |||
11. प्रत्यययुक्त शब्द का प्रत्ययरहित भाग, प्रकृति।<ref>[[व्याकरण]]</ref> | |||
12. छह की संख्या। | |||
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'बरसि अचल गुण अंग ससी संवति, तवियौ जस करि श्रीभरतर।'<ref>वेलि, दू. 305</ref> | |||
13.[[ वेद]] के 6 अंग; यथा- शिक्षा, [[कल्प]], [[व्याकरण]], [[निरुक्तम|निरुक्त]], [[ज्योतिष]], [[छंद]]। | |||
14. [[नाटक]] में [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]] और [[वीर रस]] को छोड़कर शेष [[रस]] जो अप्रधान रहते हैं। | |||
15. [[नाटक]] में [[नायक]] या अंगी का कार्यसाधक पात्र; जैसे- 'वीरचरित' में [[सुग्रीव]], [[अंगद]], [[विभीषण]]आदि। | |||
16. नाटक की 5 संधियों के अंतर्गत एक उपविभाग। | |||
17. मन। | |||
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'सुनत राव इह कथ्थ फुनि, उपजिय अचरज अंग। सिथिल अंग धीरज रहित, भयो दुमति मति पंग।'<ref>[[पृथ्वीराजरासो]], पृ. 3।18</ref> | |||
18. साधन जिसके द्वारा कोई कार्य संपादित किया जाये। | |||
19. सेना के चार अंग या विभाग; यथा- [[हाथी]], [[घोड़ा|घोड़े]], रथ, पैदल ('[[चतुरंगिणी सेना|चतुरंगिणी]]')। | |||
20.राजनीति के सात अंग यथा- स्वामी, [[अमात्य]], सुहृद्, कोष, राष्ट्र, सेना। | |||
21. [[योग]] के आठ अंग यथा- यम, नियम, प्राणायाम, प्रत्याहार, [[ध्यान]], धारणा और समाधि। | |||
22. [[बंगाल]] में [[भागलपुर]] के आसपास का प्राचीन जनपद, जिसकी राजधानी [[चंपापुरी]] थी। कहीं-कहीं इसका विस्तार वैद्यनाथ से लेकर [[भुवनेश्वर]] ([[उड़ीसा|उड़ीसा प्रदेश]]) तक लिखा है। | |||
23. ध्रुव के एक [[भक्त]] का नाम। | |||
24. उपाय । | |||
25. लक्षण।<ref>अन्य कोश</ref> | |||
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Latest revision as of 09:34, 25 June 2021
अंग - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत अंङ्ग)[1]
1. शरीर, बदन, देह, गात्र, तन, जिस्म।
उदाहरण- "अभिशाप ताप की ज्वाला से जल रहा आज मन और अंग।"[2]
2. शरीर का भाग, अवयव।
उदाहरण- "भूषन सिथिल अंग भूषन सिथिल अंग।"[3]
मुहावरा
- अंग उभरना = युवावस्था आना।
- अंग करना = स्वीकार करना, ग्रहण करना।
उदाहरण-
(क) जाकौ मनमोहन अंग करै।[4]
(ख) जाको हरि दृढ़ करि अंग कन्यो।[5]
- अंग छूना = शपथ खाना, माथा छूना, कसम खाना।
उदाहरण-
'सूर हृदय ते टरत न गोकुल अंग छुवत हों तेरो।'[6]
- अंग टूटना = जम्हाई के साथ आलस्य से अंगों का फैलाया जाना। अंगड़ाई आना।
- अंग तोड़ना = अंगड़ाई लेना।
- अंग धरना = पहनना। धारण करना। व्यवहार करना।
- अंग में मास न जमना = दुबला पतला रहना। क्षीण रहना।
उदाहरण-
नैन न आवै नींदड़ी, अंग न जामै मासु।[7]
- अंग मोड़ना = 1. शरीर के भागों को सिकोड़ना। लज्जा से देह छिपाना। 2. अंगड़ाई लेना।
उदाहरण-
अंगन मोरति भोर उठी छिति पूरति अंग सुगंध झकोरन।[8]
3. पीछे पटना, भागना, नटना, बचना।
उदाहरण-
रे पतंग निःशंक जल, जलत न मोड़े अंग। पहिले तो दीपक जलै पीछे जलै पतंग[9]।
- अंग लगाना = 1. आलिंगन करना। छाती से लगाना। 2. शरीर पुष्ट होना।
उदाहरण-
'वह खाता तो बहुत है, पर उसके अंग नहीं लगता' (शब्द)।
3. काम में आना।
उदाहरण-
'किसी के अंग लग गया, पड़ा पड़ा क्या होता' (शब्द.)।
4. हिलना, परचना।
उदाहरण-
'यह बच्चा हमारे अंग लगा है'[10]।
- अंग लगाना या अंग लाना =
1. आलिंगन करना, छाती से लगाना, परिरंभण करना, लिपटाना।
उदाहरण-
'पर नारी पैनी छुरी कोउ नहि लाओ अंग।[11]
2. हिलाना, परचाना।
3. विवाह, देना, विवाह में देना।
उदाहरण-
'इस कन्या को किसी के अंग लगा दे'[12]
4. अपने शरीर के आराम में खर्च करना।
5. ओर, तरफ, पक्ष।
उदाहरण-
'सात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिय तुला इक अंग।'[13]
6. भेद। प्रकार। भाँति। तरह।
उदाहरण-
(क) 'को कृपालु स्वामी सारिखो,, राखै सरनागत सब अंग बल बिहीन को।'[14]
(ख) 'अंग अंग नीके भाव गूड़ भाव के प्रभाव, जाने को सुभाव रूप पचि पहिचानी है।'[15]
7 आधार, आलंबन।
उदाहरण-
'राधा राधारमन को रस सिंगार में अंग।'[16]
8. सहायक, सुहृद, पक्ष का, तरफदार।
उदाहरण-
'रौरे अंग जोग जग को है।'[17]
9. एक संबोधंन, प्रिय, प्रियवर।
उदाहरण-
'यह निश्चय ज्ञानी को जाते कर्ता दीखै करै न अंग।'[18]
10. जलमग्न,ज्योतिष।
11. प्रत्यययुक्त शब्द का प्रत्ययरहित भाग, प्रकृति।[19]
12. छह की संख्या।
उदाहरण-
'बरसि अचल गुण अंग ससी संवति, तवियौ जस करि श्रीभरतर।'[20]
13.वेद के 6 अंग; यथा- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष, छंद।
14. नाटक में श्रृंगार और वीर रस को छोड़कर शेष रस जो अप्रधान रहते हैं।
15. नाटक में नायक या अंगी का कार्यसाधक पात्र; जैसे- 'वीरचरित' में सुग्रीव, अंगद, विभीषणआदि।
16. नाटक की 5 संधियों के अंतर्गत एक उपविभाग।
17. मन।
उदाहरण-
'सुनत राव इह कथ्थ फुनि, उपजिय अचरज अंग। सिथिल अंग धीरज रहित, भयो दुमति मति पंग।'[21]
18. साधन जिसके द्वारा कोई कार्य संपादित किया जाये।
19. सेना के चार अंग या विभाग; यथा- हाथी, घोड़े, रथ, पैदल ('चतुरंगिणी')।
20.राजनीति के सात अंग यथा- स्वामी, अमात्य, सुहृद्, कोष, राष्ट्र, सेना।
21. योग के आठ अंग यथा- यम, नियम, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि।
22. बंगाल में भागलपुर के आसपास का प्राचीन जनपद, जिसकी राजधानी चंपापुरी थी। कहीं-कहीं इसका विस्तार वैद्यनाथ से लेकर भुवनेश्वर (उड़ीसा प्रदेश) तक लिखा है।
23. ध्रुव के एक भक्त का नाम।
24. उपाय ।
25. लक्षण।[22]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 04 |
- ↑ कामायनी, पृ. 162
- ↑ भूषण ग्रंथावली, पृ. 129
- ↑ सूरदास
- ↑ तुलसी साहब की शब्दावली
- ↑ सूरदास
- ↑ कबीर सागर संग्रह, भाग 1, पृ. 43
- ↑ व्यंगार्थ कौमुदी
- ↑ (शब्द.)
- ↑ (शब्द.)
- ↑ (शब्द.)
- ↑ (शब्द.)।
- ↑ तुलसी शब्दावली
- ↑ तुलसी ग्रंथावली, पृ. 564
- ↑ केशवदास शब्दावली
- ↑ भिखारीदास ग्रंथावली, भाग 1, पृ. 4
- ↑ रामचरितमानस, 2।284
- ↑ निश्चल (शब्द.)
- ↑ व्याकरण
- ↑ वेलि, दू. 305
- ↑ पृथ्वीराजरासो, पृ. 3।18
- ↑ अन्य कोश