कुंजा रास, मणिपुर: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:14, 2 October 2021
कुंजाा रास (अंग्रेज़ी: Kunja Raas) भारत के मणिपुर राज्य में किये जाने वाले 'महारास लीला' का संक्षिप्त रूप है। कुंजा रास का प्रदर्शन आश्विन माह (अक्टूबर-नवंबर) की पूर्णिमा को किया जाता है। यह 'गोविंद लीलामृत' पर आधारित है।
- कुंजा रास को महारास लीला का अंग माना जाता है। इसमें 'रस पंचाध्यायी' के पूर्ण पाठ का अभिनय नहीं किया जाता। यह पत्तियों, फूलों और पक्षियों से सुशोभित कुंजा में भगवान श्रीकृष्ण, राधा और गोपियों के दैनिक नाटक का चित्रण है।
- इस रासलीला की संरचना में गोपी अभिसार, बृंदावन वमन, भंगी परेंग, रूप वमन, प्रार्थना, पुष्पांजलि और कुंजा आरती शामिल है।
- कुंजा रास की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के कुंजा में प्रवेश के साथ होती है। वह लीला शुरू करने के लिए सभी गोपियों को बांसुरी बजाकर बुलाते हैं। सूत्रधार की बाईं ओर दो बाल कलाकार भगवान कृष्ण का अभिनय करते हैं और बांसुरीवादक उनके लिए पार्श्व से बांसुरी बजाते हैं।[1]
- गोपियाँ बांसुरी की मधुर आवाज सुनकर बेचैन हो जाती हैं। वे कुंजा की ओर भागती हैं। इसमें गोपी अभिसार का प्रदर्शन किया जाता है।
- गोपियाँ भगवान श्रीकृष्ण और राधा के चरणों में पुष्प अर्पित करती हैं।
- अंत में पुजारी और सभी श्रोता खड़े होकर आरती करते हैं और 'हरि बोल हरि बोल' बोलते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मणिपुर के पर्व–त्योहार (हिंदी) apnimaati.com। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2021।
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