कटनि: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''कटनि''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 12: Line 12:


फिरत जो अटकत कटनि बिन रसिक सुरसन खियाल्। अनत अनत नित नित हितनि कत सकुचावत लाल। - [[बिहारी|कवि बिहारी]]
फिरत जो अटकत कटनि बिन रसिक सुरसन खियाल्। अनत अनत नित नित हितनि कत सकुचावत लाल। - [[बिहारी|कवि बिहारी]]
'''कटनी''' - [[संज्ञा]] [[स्त्रीलिंग]] ([[हिन्दी]] कटना)
*काटने का औज़ार।
*काटने का काम। फ़सल की कटाई का काम।
उदाहरण-
काटनी के घूँघुर रुनझुन। - वीणा
क्रिया प्रयोग- करना। पड़ना। होना।
मुहावरा- 'कटनी मारना' = [[वैशाख]] [[ज्येष्ठ]] में अर्थात जोतने के पहले कुदाल से खेतों की घास खोदना।
*एक ओर से भागकर दूसरी ओर और फिर उधर से मुड़कर किसी ओर, इसी प्रकार आड़े-तिरछे भागना। कटनी।
क्रिया प्रयोग- काटना। मारना।
मुहावरा- 'कटनी काटना' = इधर से उधर और उधर से इधर भागना। दाहिने से बाईं और बाईं से दाहिने ओर भागना।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 06:08, 7 December 2021

कटनि - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कटना)[1]

  • काट।

उदाहरण-

करत जात जेती कटनि बढ़ि रस सरिता सोत। आलबाल उर प्रेम तरू तितो तितो दृढ़ होत। - कवि बिहारी

  • प्रीति। आसक्ति। रीझन।

उदाहरण-

फिरत जो अटकत कटनि बिन रसिक सुरसन खियाल्। अनत अनत नित नित हितनि कत सकुचावत लाल। - कवि बिहारी

कटनी - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कटना)

  • काटने का औज़ार।
  • काटने का काम। फ़सल की कटाई का काम।

उदाहरण-

काटनी के घूँघुर रुनझुन। - वीणा

क्रिया प्रयोग- करना। पड़ना। होना।

मुहावरा- 'कटनी मारना' = वैशाख ज्येष्ठ में अर्थात जोतने के पहले कुदाल से खेतों की घास खोदना।

  • एक ओर से भागकर दूसरी ओर और फिर उधर से मुड़कर किसी ओर, इसी प्रकार आड़े-तिरछे भागना। कटनी।

क्रिया प्रयोग- काटना। मारना।

मुहावरा- 'कटनी काटना' = इधर से उधर और उधर से इधर भागना। दाहिने से बाईं और बाईं से दाहिने ओर भागना।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 748 |

संबंधित लेख