गुरु रामदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
(7 intermediate revisions by 4 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Guru ramdas.jpg|thumb|200px|गुरु रामदास]] | [[चित्र:Guru ramdas.jpg|thumb|200px|गुरु रामदास]] | ||
[[सिक्ख|सिक्खों]] के चौथे गुरु | '''गुरु रामदास''' (जन्म- [[24 सितम्बर]], 1534 ई.; मृत्यु- [[1 सितम्बर]], 1581) [[सिक्ख|सिक्खों]] के चौथे गुरु थे। इन्होंने [[सिक्ख धर्म]] के सबसे प्रमुख पद गुरु को [[1 सितम्बर]], 1574 ई. में प्राप्त किया था। इस पद पर ये 1 सितम्बर, 1581 ई. तक बने रहे थे। ये सिक्खों के तीसरे [[गुरु अमरदास]] के दामाद थे। इन्होंने 1577 ई. में 'अमृत सरोवर' नामक एक नये नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर [[अमृतसर]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ। | ||
*गुरु रामदास ने 'सतोषसर' नामक पवित्र सरोवर की खुदाई भी आरंभ कराई थी। | |||
*गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरू हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट [[अकबर]] भी उनका सम्मान करता था। | |||
*गुरु रामदास के कहने पर अकबर ने एक वर्ष [[पंजाब]] से लगान नहीं लिया। | |||
*इस कारण गुरु की गद्दी को लोगों से पर्याप्त धन प्राप्त हो गया था। | |||
*गुरु रामदास के बाद गुरु की गद्दी वंश-परंपरा में चलने लगी। | |||
*उन्होंने अपने पुत्र [[गुरु अर्जुन देव]] को अपने बाद गुरु नियुक्त किया। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{cite book | last =शर्मा | first =लीलाधर | title =भारतीय चरित कोश | edition = | publisher =शिक्षा भारती, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =पृष्ठ 234| chapter =}} | {{cite book | last =शर्मा | first =लीलाधर | title =भारतीय चरित कोश | edition = | publisher =शिक्षा भारती, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =पृष्ठ 234| chapter =}} | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{सिक्ख धर्म}} | {{सिक्ख धर्म}} | ||
[[Category:सिक्ख धर्म कोश]] [[Category:सिक्खों के गुरु]] [[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]] [[Category:चरित कोश | [[Category:सिक्ख धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] [[Category:सिक्खों के गुरु]] [[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]] [[Category:चरित कोश]] | ||
[[Category:सिक्ख धर्म]] | [[Category:सिक्ख धर्म]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 07:15, 20 August 2023
thumb|200px|गुरु रामदास गुरु रामदास (जन्म- 24 सितम्बर, 1534 ई.; मृत्यु- 1 सितम्बर, 1581) सिक्खों के चौथे गुरु थे। इन्होंने सिक्ख धर्म के सबसे प्रमुख पद गुरु को 1 सितम्बर, 1574 ई. में प्राप्त किया था। इस पद पर ये 1 सितम्बर, 1581 ई. तक बने रहे थे। ये सिक्खों के तीसरे गुरु अमरदास के दामाद थे। इन्होंने 1577 ई. में 'अमृत सरोवर' नामक एक नये नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- गुरु रामदास ने 'सतोषसर' नामक पवित्र सरोवर की खुदाई भी आरंभ कराई थी।
- गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरू हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट अकबर भी उनका सम्मान करता था।
- गुरु रामदास के कहने पर अकबर ने एक वर्ष पंजाब से लगान नहीं लिया।
- इस कारण गुरु की गद्दी को लोगों से पर्याप्त धन प्राप्त हो गया था।
- गुरु रामदास के बाद गुरु की गद्दी वंश-परंपरा में चलने लगी।
- उन्होंने अपने पुत्र गुरु अर्जुन देव को अपने बाद गुरु नियुक्त किया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 234।
संबंधित लेख