ताजुज़्बेकी हिन्दी: Difference between revisions

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*सोवियत संघ में तज़ाकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान की सीमा पर हिसार, शहरेनव, रेगार, सूची आदि में बोली जाने वाली इस [[हिन्दी]] बोली का यह नाम डॉ. भोलानाथा तिवारी ने  दिया  है। विस्तार के लिए देखिए 'ताजुज़्बेकी', डॉ. भोलानाथा तिवारी<ref> विस्तार के लिए देखिए 'ताजुज़्बेकी', डॉ. भोलानाथा तिवारी</ref>  
*सोवियत संघ में तज़ाकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान की सीमा पर हिसार, शहरेनव, रेगार, सूची आदि में बोली जाने वाली इस [[हिन्दी]] बोली का यह नाम डॉ. भोलानाथा तिवारी ने  दिया  है। विस्तार के लिए देखिए 'ताजुज़्बेकी', डॉ. भोलानाथा तिवारी<ref> विस्तार के लिए देखिए 'ताजुज़्बेकी', डॉ. भोलानाथा तिवारी</ref>  
*डॉ. भोलानाथा तिवारी के अनुसार इसके बोलने वाले [[दिल्ली]] के आसपास कुछ दक्षिण- पश्चिम से 13वीं सदी के लगभग चलकर [[पंजाबी]] [[अफ़गानिस्तान]] होते हुए, उस क्षेत्र में पहुँचे जहाँ आज हैं।  
*डॉ. भोलानाथा तिवारी के अनुसार इसके बोलने वाले [[दिल्ली]] के आसपास कुछ दक्षिण- पश्चिम से 13वीं [[सदी]] के लगभग चलकर [[पंजाबी]] [[अफ़गानिस्तान]] होते हुए, उस क्षेत्र में पहुँचे जहाँ आज हैं।  
*प्रवास- यात्रा में इनकी भाषा पंजाबी और अफ़ग़ानी से भी प्रभावित हुई, किंतु वह अब भी स्पष्ट रूप से [[हिन्दी]] बोली है। यों शब्द- भण्डार के क्षेत्र में ताजिक, उजबेक तथा रूसी ने इसे प्रभावित किया है।  
*प्रवास- यात्रा में इनकी भाषा पंजाबी और अफ़ग़ानी से भी प्रभावित हुई, किंतु वह अब भी स्पष्ट रूप से [[हिन्दी]] बोली है। यों शब्द- भण्डार के क्षेत्र में ताजिक, उजबेक तथा रूसी ने इसे प्रभावित किया है।  
*मूलत: यह बोली [[ब्रजभाषा|ब्रज]], [[हरियाणी बोली|हरियानी]] तथा [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] के बीच की मालूम होती है।
*मूलत: यह बोली [[ब्रजभाषा|ब्रज]], [[हरियाणी बोली|हरियानी]] तथा [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] के बीच की मालूम होती है।

Revision as of 10:57, 3 October 2011

  • सोवियत संघ में तज़ाकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान की सीमा पर हिसार, शहरेनव, रेगार, सूची आदि में बोली जाने वाली इस हिन्दी बोली का यह नाम डॉ. भोलानाथा तिवारी ने दिया है। विस्तार के लिए देखिए 'ताजुज़्बेकी', डॉ. भोलानाथा तिवारी[1]
  • डॉ. भोलानाथा तिवारी के अनुसार इसके बोलने वाले दिल्ली के आसपास कुछ दक्षिण- पश्चिम से 13वीं सदी के लगभग चलकर पंजाबी अफ़गानिस्तान होते हुए, उस क्षेत्र में पहुँचे जहाँ आज हैं।
  • प्रवास- यात्रा में इनकी भाषा पंजाबी और अफ़ग़ानी से भी प्रभावित हुई, किंतु वह अब भी स्पष्ट रूप से हिन्दी बोली है। यों शब्द- भण्डार के क्षेत्र में ताजिक, उजबेक तथा रूसी ने इसे प्रभावित किया है।
  • मूलत: यह बोली ब्रज, हरियानी तथा राजस्थानी के बीच की मालूम होती है।



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टीका टिप्पणी

  1. विस्तार के लिए देखिए 'ताजुज़्बेकी', डॉ. भोलानाथा तिवारी

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