नमिनाथ: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 6: | Line 6: | ||
*नमिनाथ के प्रथम आर्य का नाम अनिला बताया जाता है। | *नमिनाथ के प्रथम आर्य का नाम अनिला बताया जाता है। | ||
*[[आषाढ़ मास]] के कृष्ण पक्ष की [[नवमी]] तिथि को भगवान नमिनाथ ने मिथिला में दीक्षा की प्राप्ति की थी। | *[[आषाढ़ मास]] के कृष्ण पक्ष की [[नवमी]] तिथि को भगवान नमिनाथ ने मिथिला में दीक्षा की प्राप्ति की थी। | ||
*दीक्षा प्राप्ति के पश्चात नौ महीनें तक कठोर तप करने के बाद नमिनाथ को [[मार्गशीर्ष मास|मार्गशीर्ष माह]] के शुक्ल पक्ष की [[एकादशी]] तिथि को मिथिला में ही 'बकुल' वृक्ष के नीचे 'कैवल्य ज्ञान' की प्राप्ति हुई। | *दीक्षा प्राप्ति के पश्चात नौ महीनें तक कठोर तप करने के बाद नमिनाथ को [[मार्गशीर्ष मास|मार्गशीर्ष माह]] के शुक्ल पक्ष की [[एकादशी]] तिथि को मिथिला में ही 'बकुल' वृक्ष के नीचे '[[कैवल्य ज्ञान]]' की प्राप्ति हुई। | ||
*नमिनाथ ने [[वैशाख मास|वैशाख माह]] के कृष्ण पक्ष की [[दशमी]] तिथि को [[सम्मेद शिखर]] पर 536 साधुओं के साथ [[निर्वाण]] प्राप्त किया।<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Jainism/Tirthankar/Naminath|title=श्री नमिनाथ जी|accessmonthday=27 फ़रवरी|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | *नमिनाथ ने [[वैशाख मास|वैशाख माह]] के कृष्ण पक्ष की [[दशमी]] तिथि को [[सम्मेद शिखर]] पर 536 साधुओं के साथ [[निर्वाण]] प्राप्त किया।<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Jainism/Tirthankar/Naminath|title=श्री नमिनाथ जी|accessmonthday=27 फ़रवरी|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref> | ||
Revision as of 09:19, 18 January 2013
नमिनाथ जैन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थंकरों में इक्कीसवें तीर्थंकर थे। नमिनाथ जी का जन्म मिथिला के इक्ष्वाकु वंश में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अश्विनी नक्षत्र में हुआ था। इनकी माता का नाम विप्रा रानी देवी और पिता का नाम राजा विजय था।
- नमिनाथ के शरीर का वर्ण सुवर्ण और इनका चिह्न नील-कमल था।
- इनके यक्ष का नाम भृकुटी और यक्षिणी का नाम गांधारी देवी था।
- जैन धर्मावलम्बियों के अनुसार नमिनाथ जी के गणधरों की कुल संख्या 17 थी, जिनमें शुभ स्वामी इनके प्रथम गणधर थे।
- नमिनाथ के प्रथम आर्य का नाम अनिला बताया जाता है।
- आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को भगवान नमिनाथ ने मिथिला में दीक्षा की प्राप्ति की थी।
- दीक्षा प्राप्ति के पश्चात नौ महीनें तक कठोर तप करने के बाद नमिनाथ को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मिथिला में ही 'बकुल' वृक्ष के नीचे 'कैवल्य ज्ञान' की प्राप्ति हुई।
- नमिनाथ ने वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को सम्मेद शिखर पर 536 साधुओं के साथ निर्वाण प्राप्त किया।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्री नमिनाथ जी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 27 फ़रवरी, 2012।
संबंधित लेख