कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन: Difference between revisions
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'''कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन''' अथवा के. एस. कृष्णन (जन्म- [[4 दिसम्बर]], [[1898]]; मृत्यु- [[14 जून]], [[1961]]) प्रसिद्ध [[भौतिक विज्ञान|भौतिक]] वैज्ञानिक थे। '[[मद्रास विश्वविद्यालय]]' ने इनको 'डी. एस. सी.' की उपाधि प्रदान की थी। श्रीनिवास कृष्णन सन [[1945]]-[[1946]] में 'भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी' के अध्यक्ष चुने गए थे। भौतिकी की प्रत्येक दिशा में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा था। प्रकाशिकी, चुंबकत्व, इलेक्ट्रॉनिकी, ठोस अवस्था भौतिकी तथा विशेषकर धातु भौतिकी पर इन्होंने अनेक खोज कीं। [[सी. वी. रमन]] के साथ 'रमण प्रभाव' की खोज में भी इनका योगदान था। | |||
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thumb|कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन अथवा के. एस. कृष्णन (जन्म- 4 दिसम्बर, 1898; मृत्यु- 14 जून, 1961) प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे। 'मद्रास विश्वविद्यालय' ने इनको 'डी. एस. सी.' की उपाधि प्रदान की थी। श्रीनिवास कृष्णन सन 1945-1946 में 'भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी' के अध्यक्ष चुने गए थे। भौतिकी की प्रत्येक दिशा में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा था। प्रकाशिकी, चुंबकत्व, इलेक्ट्रॉनिकी, ठोस अवस्था भौतिकी तथा विशेषकर धातु भौतिकी पर इन्होंने अनेक खोज कीं। सी. वी. रमन के साथ 'रमण प्रभाव' की खोज में भी इनका योगदान था।
जन्म तथा शिक्षा
प्रख्यात भौतिक वैज्ञानिक कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन का जन्म 4 दिसम्बर, 1898 ई. में हुआ था। इन्होंने 'अमेरिकन कॉलेज', मदुरा; 'मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज' एवं 'युनिवर्सिटी कॉलेज ऑव सायंस', कलकत्ता से शिक्षा प्राप्त की थी। 'मद्रास विश्वविद्यालय' ने इनको 'डी. एस. सी.' की उपाधि प्रदान की थी।[1]
अनुसंधान कार्य
'इंडियन एसोसियेशन फॉर कल्टिवेशन ऑव सांयस' (कलकत्ता) के तत्वावधान में श्रीनिवास कृष्णन ने सन 1923 तक अनुसंधान कार्य किया। 1933 से 1942 ई. तक वे 'महेंद्रलाल सरकार रिसर्च सेंटर' में प्रोफेसर तदुपरांत 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' में भौतिकी के प्रोफेसर रहे। 1947 में 'राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला', दिल्ली के प्रथम संचालक बनने का गौरव इन्हें मिला था।
उच्च पदों पर कार्य
वर्ष 1940 में कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन 'रॉयल सोसायटी' के सदस्य चुने गए थे। इसके बाद 1946 में वे 'सर' की उपाधि से विभूषित किए गए। स्वतंत्र भारत की सरकार ने उन्हें 'पद्मभूषण' उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था। सन 1945-46 में कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन 'भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी' के अध्यक्ष चुने गए। फिर 1950 में 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' के भौतिकी विभाग के अध्यक्ष और बाद में इस संस्था के अध्यक्ष चुने गए। आप 'भारतीय परमाणु आयोग' एवं 'भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद' के संचालक मंडल के भी सदस्य थे। इन्होंने अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व सफलतापूर्वक किया था।
योगदान
भौतिकी की प्रत्येक दिशा में श्रीनिवास कृष्णन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। प्रकाशिकी, चुंबकत्व, इलेक्ट्रॉनिकी, ठोस अवस्था तथा विशेषकर धातु भौतिकी पर आपने अनेक खोज कीं। सी. वी. रमन के साथ 'रमण प्रभाव' की खोज में भी इन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। वैज्ञानिक संसार ने प्रकाशिकी एवं मणिभ पर चुंबककीय प्रभाव संबंधी इनके अन्वेषण कार्य को अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण माना था। इनके अनुसंधान संबंधी अनेक निबन्ध 'ट्रैंज़ैंक्शंस ऐंड प्रोसीडिंग्स ऑव रॉयल सोसाइटी'[2] में प्रकाशित हुआ था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन (हिन्दी) भारतकोज। अभिगमन तिथि: 07 जून, 2014।
- ↑ Transactions and Proceedings of Royal Society