मलयालम भाषा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "॰" to ".")
m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
Line 21: Line 21:
*नंबियार की पौराणिक कथाओं को प्रवाहपूर्ण कथा छंदों में ‘थुल्लाल’ के लिए रचा गया, जो उनके ही द्वारा आविष्कृत काव्य-पाठ व नृत्य की एक सम्मिश्रित नाटक-शैली थी।  
*नंबियार की पौराणिक कथाओं को प्रवाहपूर्ण कथा छंदों में ‘थुल्लाल’ के लिए रचा गया, जो उनके ही द्वारा आविष्कृत काव्य-पाठ व नृत्य की एक सम्मिश्रित नाटक-शैली थी।  
*उन्नै वरियार के 'नल - चरितम' को सामान्यतः नृत्य रंगमंच की एक अन्य शैली, [[कथकली]], के लिए लिखि गई सर्वोत्तम नाट्य रचना माना जाता है।
*उन्नै वरियार के 'नल - चरितम' को सामान्यतः नृत्य रंगमंच की एक अन्य शैली, [[कथकली]], के लिए लिखि गई सर्वोत्तम नाट्य रचना माना जाता है।
==सम्बंधित लिंक==
==संबंधित लेख==
{{भाषा और लिपि}}
{{भाषा और लिपि}}
[[Category:भाषा_और_लिपि]][[Category:साहित्य_कोश]]__INDEX__
[[Category:भाषा_और_लिपि]][[Category:साहित्य_कोश]]__INDEX__

Revision as of 17:10, 14 September 2010

उत्पत्ति

मलयालम द्रविड़ भाषा परिवार के दक्षिण द्रविड़ उपसमूह की भाषा है। मलयालम का विकास तमिल की किसी पश्चिमी बोली से हुआ, या फिर आदि-द्रविड़ की एक शाखा से, जिससे आधुनिक तमिल का भी विकास हुआ। इस भाषा का प्राचीनतम प्रमाण लगभग 830 ई. का एक अभिलेख है। आरंभ में संस्कृत शब्दों के व्यापक अंतर्वाह ने मलयालम लिपि (ग्रंथ लिपि से उत्पन्न, जो स्वयं ब्राह्मी लिपि से पैदा हुई) को प्रभावित किया।

शब्द ध्वनि और लिपि

इसमें द्रविड़ ध्वनियों के साथ सभी संस्कृत ध्वनियों के लिए भी अक्षर है। इस भाषा को लिखने के लिए कोलेलुट्टू (शलाका लिपि) का भी इस्तेमाल होता है, जिसकी उत्पत्ति तमिल लेखन प्रणाली से हुई है। तमिल ग्रंथ लिपि का भी उपयोग होता है।

व्याकरण

  • सामान्य द्रविड़ भाषाओं की तरह इसके उपवाक्य में कर्ता - कर्म - क्रिया का शब्दक्रम होता है।
  • इसमें कर्ता-कर्म-कारक चिह्न होते हैं; लेकिन अन्य द्रविड़ भाषाओं के विपरीत इसमें समापिका क्रिया का रुपांतरण पुरूष, वचन व लिंग के बजाय सिर्फ़ काल के अनुरूप होता है।

भाषा क्षेत्र

मलयालम भाषा मुख्यतः दक्षिण-पश्चिमी तटीय राज्य केरल में बोली जाती है, यह केरल और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप की राजभाषा है; लेकिन सीमावर्ती कर्नाटक और तमिलनाडु के द्विभाषी समुदाय के लोग भी यह भाषा बोलते हैं।

बोलने वालों की संख्या

मध्य 1997 में मलयालम भाषी लोगों की संख्या लगभग तीन करोड़ साठ लाख थी। इस भाषा में क्षेत्र और जाति आधारित बोलियां हैं। औपचारिक, साहित्यिक भाषा और आम बोलचाल की भाषा में अंतर है।

मलयाली साहित्य

  • दक्षिण भारत की मलयालम भाषा में रचनाओं का प्रारंभिक भंडार उपलब्ध है।
  • उपलब्ध साहित्यिक कृति 'राम-चरितम' (12वीं सदी के उत्तरर्द्ध या 13वीं सदी के पूर्वार्द्ध में) है।
  • बाद के काल के लोकप्रेय पट्टू (गीत) साहित्य को छोड़ कर मुख्य रूप से श्रृंगारिक कविताएं लिखी गई, जो मलयालम और संस्कृत की सम्मिश्रित 'मणि-प्रवलम शैली' में रची गई हैं।
  • 15वीं सदी में ‘गीत’ धारा से ‘शुद्ध’ मलयालम का इस्तेमाल किया गया और यह चेरूस्सेरी की लंबी कविता 'कृष्ण-गाथा' में काव्य के उच्च स्तर तक पहुंची।
  • 16वीं सदी के पूर्वार्द्ध में भक्ति आंदोलन के प्रभाव से एझुथाचन की महान कविता रची गई। इनकी 'आध्यात्म-रामायणम' को उतना ही सम्मान दिया जाता है, जितना उत्तरी भारत में तुलसीदास के रामचरितमानस को दिया जाता है।
  • मलयालम कविता के नृत्य एवं रंगमंच से घनिष्ठ संपर्क के कारण दो प्रमुख कवि कुंजन 'नंबियार' (1705-1770) और 'उन्नै वरियार' (दोनों समकालीन) उदय हुआ।
  • नंबियार की पौराणिक कथाओं को प्रवाहपूर्ण कथा छंदों में ‘थुल्लाल’ के लिए रचा गया, जो उनके ही द्वारा आविष्कृत काव्य-पाठ व नृत्य की एक सम्मिश्रित नाटक-शैली थी।
  • उन्नै वरियार के 'नल - चरितम' को सामान्यतः नृत्य रंगमंच की एक अन्य शैली, कथकली, के लिए लिखि गई सर्वोत्तम नाट्य रचना माना जाता है।

संबंधित लेख