भोजली गीत: Difference between revisions
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'''भोजली गीत''' ([[अंग्रेज़ी]]: '' | '''भोजली गीत''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bhojli'') [[छत्तीसगढ़]] का एक लोकगीत है। छत्तीसगढ़ की महिलाएँ ये गीत [[सावन]] के महीने में गाती हैं। सावन का महीना, जब चारों ओर हरियाली दिखाई पड़ती है तब गाँव में भोजली का आवाज़ें हर ओर सुनाई देती हैं।<br /> | ||
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*छत्तीसगढ़ में महिलायें [[धान]], [[गेहूँ]], [[जौ]] या उड़द के थोड़े दाने को एक टोकनी में बोती हैं। उस टोकनी में खाद [[मिट्टी]] पहले रखती हैं। उसके बाद सावन माह में [[शुक्ल पक्ष]] की [[नवमी]] को बो देती है। जब पौधे उगते है, उसे 'भोजली देवी' कहा जाता है। | *छत्तीसगढ़ में महिलायें [[धान]], [[गेहूँ]], [[जौ]] या उड़द के थोड़े दाने को एक टोकनी में बोती हैं। उस टोकनी में खाद [[मिट्टी]] पहले रखती हैं। उसके बाद सावन माह में [[शुक्ल पक्ष]] की [[नवमी]] को बो देती है। जब पौधे उगते है, उसे 'भोजली देवी' कहा जाता है। |
Latest revision as of 17:37, 11 April 2021
भोजली गीत (अंग्रेज़ी: Bhojli) छत्तीसगढ़ का एक लोकगीत है। छत्तीसगढ़ की महिलाएँ ये गीत सावन के महीने में गाती हैं। सावन का महीना, जब चारों ओर हरियाली दिखाई पड़ती है तब गाँव में भोजली का आवाज़ें हर ओर सुनाई देती हैं।
- छत्तीसगढ़ में महिलायें धान, गेहूँ, जौ या उड़द के थोड़े दाने को एक टोकनी में बोती हैं। उस टोकनी में खाद मिट्टी पहले रखती हैं। उसके बाद सावन माह में शुक्ल पक्ष की नवमी को बो देती है। जब पौधे उगते है, उसे 'भोजली देवी' कहा जाता है।
- भोजली सेवा करती है महिलायें, इसका अर्थ है भोजली के पास बैठकर गीत गाती हैं।
- रक्षा बन्धन के बाद भोजली को ले जाते हैं नदी में और वहाँ उसका विसर्जन करते हैं। अगर नदी आसपास नहीं है तो किसी नाले में या तालाब में, भोजली को बहा देते हैं। इस प्रथा को कहते हैं- भोजली ठण्डा करना।
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