मणिपुरी नृत्य: Difference between revisions
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Revision as of 11:08, 6 February 2011
[[चित्र:Manipuri-Dance.jpg|thumb|250px|मणिपुरी नृत्य, मणिपुर
Manipuri Dance, Manipur]]
पूर्वोत्तर के मणिपुर क्षेत्र से आया शास्त्रीय नृत्य मणिपुरी नृत्य है। मणिपुरी नृत्य भारत के अन्य नृत्य रूपों से भिन्न है। इसमें शरीर धीमी गति से चलता है, सांकेतिक भव्यता और मनमोहक गति से भुजाएं अंगुलियों तक प्रवाहित होती है। यह नृत्य रूप 18वीं शताब्दी में वैष्णव सम्प्रदाय के साथ विकसित हुआ जो इसके शुरूआती रीति रिवाज और जादुई नृत्य रूपों में से बना है। विष्णु पुराण, भागवत पुराण तथा गीत गोविंदम की रचनाओं से आई विषय वस्तुएं इसमें प्रमुख रूप से उपयोग की जाती हैं।
मेइटी जनजाति
मणिपुर की मेइटी जनजाति की दंत कथाओं के अनुसार जब ईश्वर ने पृथ्वी का सृजन किया तब यह एक पिंड के समान थी। सात लैनूराह ने इस नव निर्मित गोलार्ध पर नृत्य किया, अपने पैरों से इसे मजबूत और चिकना बनाने के लिए इसे कोमलता से दबाया। यह मेइटी जागोई का उद्भव है। आज के समय तक जब मणिपुरी लोग नृत्य करते हैं वे क़दम तेजी से नहीं रखते बल्कि अपने पैरों को भूमि पर कोमलता और मृदुता के साथ रखते हैं। मूल भ्रांति और कहानियां अभी भी मेइटी के पुजारियों या माइबिस द्वारा माइबी के रूप में सुनाई जाती है जो मणिपुरी की जड़ है।
रास नृत्य
महिला 'रास' नृत्य राधा कृष्ण की विषयवस्तु पर आधारित है जो बेले तथा एकल नृत्य का रूप है। पुरुष "संकीर्तन" नृत्य मणिपुरी ढोलक की ताल पर पूरी शक्ति के साथ किया जाता है।
विशेषताएं
मणिपुरी नृत्य के सांगीतिक रूप मणिपुर राज्य की संस्कृति को दर्शाते हैं। यह कला प्राथमिक रूप से विष्णु के जीवन की घटनाओं को प्रदर्शित करते हैं और इसकी अभिव्यक्ति सर्वाधिक कोमल और शक्तिमय रूप से की जाती है। संतुलन और शक्ति को बांधे रखना इस नृत्य शैली की प्रमुख विशेषताएं हैं।
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