जम्मू और कश्मीर की कृषि: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "शुरूआत" to "शुरुआत") |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{ | {{लेख विस्तार}} | ||
[[जम्मू और कश्मीर]] राज्य की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या [[कृषि]] पर निर्भर है। धान, [[गेहूँ]] और मक्का यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। कुछ भागों में जौ, बाजरा और ज्वार उगाई जाती है। [[लद्दाख]] में चने की खेती होती है। फलोद्यानों का क्षेत्रफल 242 लाख हेक्टेयर है। राज्य में 2000 करोड़ रुपये के फलों का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है जिसमें अखरोट निर्यात के 120 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य [[सेब]] और अखरोटों के लिए कृषि निर्यात क्षेत्र घोषित किया गया है। बाज़ार हस्तक्षेप योजना की शुरुआत से उचित ग्रेडिंग सुनिश्चित करते हुए फलों की गुणवत्ता में सुधार लाया जाता है। 25 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष अथवा रूप से बागवानी क्षेत्र से रोजगार मिलता हैं। | [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या [[कृषि]] पर निर्भर है। धान, [[गेहूँ]] और मक्का यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। कुछ भागों में जौ, बाजरा और ज्वार उगाई जाती है। [[लद्दाख]] में चने की खेती होती है। फलोद्यानों का क्षेत्रफल 242 लाख हेक्टेयर है। राज्य में 2000 करोड़ रुपये के फलों का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है जिसमें अखरोट निर्यात के 120 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य [[सेब]] और अखरोटों के लिए कृषि निर्यात क्षेत्र घोषित किया गया है। बाज़ार हस्तक्षेप योजना की शुरुआत से उचित ग्रेडिंग सुनिश्चित करते हुए फलों की गुणवत्ता में सुधार लाया जाता है। 25 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष अथवा रूप से बागवानी क्षेत्र से रोजगार मिलता हैं। | ||
कश्मीरी जनसंख्या का अधिकांश भाग विविध तरीक़ों की खेती में लगा हुआ है, जिन्हें स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ढाला गया है। [[चावल]], जो यहाँ का मुख्य भोजन है, [[मई]] में बोया जाता है और [[सितंबर]] में काटा जाता है। मक्का, ज्वार, बाजरा, दलहन<ref>फलियाँ जैसे मटर, सेम तथा मूंग</ref> [[कपास]] और [[तम्बाकू]], चावल के साथ गर्मी की मुख्य फ़सलें है, जबकि [[गेहूँ]] व जौ बसन्त की प्रमुख फ़सलें हैं। कई शीतोष्ण फल व सब्ज़ियाँ शहरी बाज़ारों के नज़दीक क्षेत्रों में उगाई जाती है या काफ़ी पानी वाले क्षेत्रों में, जहाँ की भूमि अच्छी तरह सिंचित और उपजाऊ है। [[कश्मीर की घाटी]] में बड़े-बड़े बाग़ों में सेब, नाशपाती, आडू, अखरोट, बादाम और चेरी उगाए जाते हैं। कश्मीर की घाटी उपमहाद्वीप में केसर की एकमात्र उत्पादक है। झील के किनारों पर विशेष तौर पर सब्ज़ियाँ और फूलों की गहन खेती होती है। ऐसा ही पुनर्प्राप्त दलदली ज़मीन या तैरते हुए बग़ीचों में किया जाता है। भूमि पर जनसंख्या का दबाव सब जगह प्रकट होता है और सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जाता है। झील और नदियाँ [[मछली|मछलियाँ]], सिंघाड़े तथा जल विद्युत उपलब्ध कराती हैं और इनका उपयोग यातायात के लिए भी किया जाता है। जो पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण भी है। पर्वतों से कई प्रकार की लकड़ी प्राप्त होती है और वहीं भेड़ों और दुग्ध उत्पादक जानवरों को चरागाह मिलते हैं। | कश्मीरी जनसंख्या का अधिकांश भाग विविध तरीक़ों की खेती में लगा हुआ है, जिन्हें स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ढाला गया है। [[चावल]], जो यहाँ का मुख्य भोजन है, [[मई]] में बोया जाता है और [[सितंबर]] में काटा जाता है। मक्का, ज्वार, बाजरा, दलहन<ref>फलियाँ जैसे मटर, सेम तथा मूंग</ref> [[कपास]] और [[तम्बाकू]], चावल के साथ गर्मी की मुख्य फ़सलें है, जबकि [[गेहूँ]] व जौ बसन्त की प्रमुख फ़सलें हैं। कई शीतोष्ण फल व सब्ज़ियाँ शहरी बाज़ारों के नज़दीक क्षेत्रों में उगाई जाती है या काफ़ी पानी वाले क्षेत्रों में, जहाँ की भूमि अच्छी तरह सिंचित और उपजाऊ है। [[कश्मीर की घाटी]] में बड़े-बड़े बाग़ों में सेब, नाशपाती, आडू, अखरोट, बादाम और चेरी उगाए जाते हैं। [[कश्मीर की घाटी]] उपमहाद्वीप में केसर की एकमात्र उत्पादक है। [[झील]] के किनारों पर विशेष तौर पर सब्ज़ियाँ और फूलों की गहन खेती होती है। ऐसा ही पुनर्प्राप्त दलदली ज़मीन या तैरते हुए बग़ीचों में किया जाता है। भूमि पर जनसंख्या का दबाव सब जगह प्रकट होता है और सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जाता है। झील और नदियाँ [[मछली|मछलियाँ]], सिंघाड़े तथा जल विद्युत उपलब्ध कराती हैं और इनका उपयोग यातायात के लिए भी किया जाता है। जो पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण भी है। [[पर्वत|पर्वतों]] से कई प्रकार की लकड़ी प्राप्त होती है और वहीं भेड़ों और [[दुग्ध]] उत्पादक जानवरों को चरागाह मिलते हैं। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Revision as of 11:33, 24 December 2011
चित्र:Plus.gif | इस लेख में और पाठ सामग्री का जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
जम्मू और कश्मीर राज्य की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। धान, गेहूँ और मक्का यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। कुछ भागों में जौ, बाजरा और ज्वार उगाई जाती है। लद्दाख में चने की खेती होती है। फलोद्यानों का क्षेत्रफल 242 लाख हेक्टेयर है। राज्य में 2000 करोड़ रुपये के फलों का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है जिसमें अखरोट निर्यात के 120 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य सेब और अखरोटों के लिए कृषि निर्यात क्षेत्र घोषित किया गया है। बाज़ार हस्तक्षेप योजना की शुरुआत से उचित ग्रेडिंग सुनिश्चित करते हुए फलों की गुणवत्ता में सुधार लाया जाता है। 25 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष अथवा रूप से बागवानी क्षेत्र से रोजगार मिलता हैं।
कश्मीरी जनसंख्या का अधिकांश भाग विविध तरीक़ों की खेती में लगा हुआ है, जिन्हें स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ढाला गया है। चावल, जो यहाँ का मुख्य भोजन है, मई में बोया जाता है और सितंबर में काटा जाता है। मक्का, ज्वार, बाजरा, दलहन[1] कपास और तम्बाकू, चावल के साथ गर्मी की मुख्य फ़सलें है, जबकि गेहूँ व जौ बसन्त की प्रमुख फ़सलें हैं। कई शीतोष्ण फल व सब्ज़ियाँ शहरी बाज़ारों के नज़दीक क्षेत्रों में उगाई जाती है या काफ़ी पानी वाले क्षेत्रों में, जहाँ की भूमि अच्छी तरह सिंचित और उपजाऊ है। कश्मीर की घाटी में बड़े-बड़े बाग़ों में सेब, नाशपाती, आडू, अखरोट, बादाम और चेरी उगाए जाते हैं। कश्मीर की घाटी उपमहाद्वीप में केसर की एकमात्र उत्पादक है। झील के किनारों पर विशेष तौर पर सब्ज़ियाँ और फूलों की गहन खेती होती है। ऐसा ही पुनर्प्राप्त दलदली ज़मीन या तैरते हुए बग़ीचों में किया जाता है। भूमि पर जनसंख्या का दबाव सब जगह प्रकट होता है और सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जाता है। झील और नदियाँ मछलियाँ, सिंघाड़े तथा जल विद्युत उपलब्ध कराती हैं और इनका उपयोग यातायात के लिए भी किया जाता है। जो पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण भी है। पर्वतों से कई प्रकार की लकड़ी प्राप्त होती है और वहीं भेड़ों और दुग्ध उत्पादक जानवरों को चरागाह मिलते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ फलियाँ जैसे मटर, सेम तथा मूंग