भाई धर्मसिंह गुरुद्वारा हस्तिनापुर: Difference between revisions

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'''भाई धर्मसिंह गुरुद्वारा''' सैफपुर में स्थित है, जो [[हस्तिनापुर]] से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। इस गुरुद्वारे का निर्माण 'खालसा पंथ' के '[[पंच प्यारे]]' में से एक भाई धर्मसिंह की स्मृति में कराया गया था। इस गुरुद्वारे की [[सिक्ख धर्म]] में बहुत मान्यता है।


*भाई धर्मसिंह 'पंच प्यारे' में से एक थे, जिन्हें [[गुरु गोविन्द सिंह]] ने चुना था।
*भाई धर्मसिंह 'पंच प्यारे' में से एक थे, जिन्हें [[गुरु गोविन्द सिंह]] ने चुना था।

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भाई धर्मसिंह गुरुद्वारा सैफपुर में स्थित है, जो हस्तिनापुर से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। इस गुरुद्वारे का निर्माण 'खालसा पंथ' के 'पंच प्यारे' में से एक भाई धर्मसिंह की स्मृति में कराया गया था। इस गुरुद्वारे की सिक्ख धर्म में बहुत मान्यता है।

  • भाई धर्मसिंह 'पंच प्यारे' में से एक थे, जिन्हें गुरु गोविन्द सिंह ने चुना था।
  • गुरु गोविन्द सिंह ने अपने शिष्‍यों में से उन पाँच लोगों का नाम पूछा था, जो उनके कारण अपना आत्‍म-बलिदान करने को तैयार हो जाएँ। 'पंच प्यारे' को ही पहले समूह में सिक्‍खों के वफादारों के रूप में जाना जाता है। इन्‍हीं पाँच स्‍वंय सेवकों में से एक भाई धर्मसिंह भी थे।
  • भाई धर्मसिंह मूलत: जाट समुदाय के थे। उनका नाम 'धरम दास' था। वह भाई संतराम और माई सबहो के पुत्र थे। भाई धर्मसिंह का जन्‍म सैफपुर-करमचंद, हस्तिनापुर में 1666 में हुआ था। भाई धर्मसिंह काफ़ी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उन्‍होंने सिक्ख धर्म को उस समय पेश किया, जब वह मात्र 13 वर्ष के थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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