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| {{Main|विरोधी रंग}} | | {{Main|विरोधी रंग}} |
| प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो रंग बनते है उन्हें विरोधी रंग कहा जाता है। ऑस्टवाल्ड वर्ण चक्र में प्रदर्शित किये गये जाने वाले आमने सामने के रंग विरोधी रंग कहलाते हैं। जैसे- नीले का विरोधी रंग पीला, नारंगी का आसमानी व बैंगनी का विरोधी रंग धानी है। | | प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो रंग बनते है उन्हें विरोधी रंग कहा जाता है। ऑस्टवाल्ड वर्ण चक्र में प्रदर्शित किये गये जाने वाले आमने सामने के रंग विरोधी रंग कहलाते हैं। जैसे- नीले का विरोधी रंग पीला, नारंगी का आसमानी व बैंगनी का विरोधी रंग धानी है। |
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| ==रंगों का मिश्रण==
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| प्रकृति में पाए जाने वाले समस्त रंग तीन प्राथमिक रंगों लाल, हरा, और नीला से मिलकर बनते हैं। इन तीन प्राथमिक रंगों को मिलाने की दो विधियाँ हैं:
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| *योज्य विधि
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| *शेष विधि
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| इसके अतिरिक्त इन दोनों विधियों के सम्मिलित प्रभाव द्वारा भी नए रंग बनते हैं।
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| [[चित्र:Colour.jpg|thumb|left|250px|रंग बिरंगी पेन्सिल]]
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| ==योज्य विधि==
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| योज्य विधि में रंगीन प्रकाश मिलाया जाता है। यदि सफ़ेद दीवार पर दो भिन्न रंगों का प्रकाश पड़े, तो वहाँ एक अन्य रंग की अनुभूति होती है। लाल और हरे रंग का प्रकाश मिलाया जाय तो पीला रंग दिखाई देता है। सभी रंग उपर्युक्त तीन प्राथमिक रंगों को विभिन्न अनुपात में मिलाने से बनते हैं। तीनों रंगों को एक विशेष अनुपात में मिलाने से सफ़ेद रंग बनता है।
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| ;पूरक रंग
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| तीन प्राथमिक रंगों लाल, हरा और नीला में से किन्हीं दो रंगों के मिलाने से, जो रंग बनता है उसे तीसरे रंग का पूरक रंग कहा जाता है। पीले रंग को नीले रंग का पूरक कहा जाता है। क्योंकि पीला रंग शेष दो प्राथमिक रंग लाल और हरा मिलाने से बनता है। किसी रंग में उसका पूरक रंग मिला देने से तीनों रंग इकठ्टे हो जाते हैं और सफ़ेद रंग बन जाता है। इसलिए इसका नाम पूरक रंग पड़ा है। किसी रंग को सफ़ेद बनाने में जिस रंग की कमी होती है उसे पूरक रंग पूरा करता है। इसे निम्न समीकरणों द्वारा अच्छी तरह समझ सकते हैं:
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| <blockquote><span style="color: red">'''लाल'''</span> + <span style="color: green">'''हरा'''</span> + <span style="color: blue">'''नीला'''</span> = <span style="color: white; background:black">'''सफ़ेद'''</span>
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| </blockquote>
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| <blockquote><span style="color: red">'''लाल'''</span> + <span style="color: green">'''हरा'''</span> + <span style="color: blue">'''नीला''' का पूरक</span> =<span style="color: #ffff00">पीला</span></blockquote>
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| इसी तरह हरे का पूरक रंग मजेंटा है, जो लाल और नीला मिलाने से बनता है। लाल का पूरक सियान है, जो नीला और हरा मिलाकर बनता है। उपर्युक्त वर्णन में यह ध्यान में रखना चाहिए कि 'रंग' से यहाँ रंगीन प्रकाश का अर्थ होता है, रंगीन पदार्थ का नहीं।
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| ==शेष विधि==
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| इस विधि में रंगीन पदार्थ मिलाए जाते हैं, चाहे वे पारदर्शी हों अथवा अपारदर्शी। रंगीन पदार्थ सफेद प्रकाश में से कुछ रंग का प्रकाश हटा सकते हैं, उनमें रंग जोड़ने की क्षमता नहीं होती। इसलिये यह विधि शेष विधि कहलाती है। इस विधि से नए रंग बनने का कारण यह है कि अधिकांश पदार्थ शुद्ध एकवर्गी प्रकाश परावर्तित, या पारगत नहीं करते, अन्यथा कोई दो रंगीन पदार्थ मिलाने से केवल काला रंग ही प्राप्त होता। जैसे लाल रंग के फ़िल्टर से केवल लाल रंग का प्रकाश ही जा पाता है। उस पर नीला फ़िल्टर भी लगा दिया जाय, तो लाल फ़िल्टर से निकला हुआ प्रकाश नीले फ़िल्टर में पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाता है, अर्थात दोनों फ़िल्टरों का प्रकाश मिलाने से कोई भी प्रकाश बाहर नहीं जा पाता जिससे वे काले दिखाई पड़ते हैं।
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| [[चित्र:Rgb-mix.jpg|[[लाल रंग|लाल]], [[हरा रंग|हरा]] व [[नीला रंग|नीला]] प्रतिरूप|thumb|200px]]
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| शेष विधि में सफेद प्रकाश में से तीन प्राथमिक रंग (लाल हरा और नीला) हटाए जाते हैं। किसी वस्तु पर रंगीन पदार्थ का लेप, रंगीन छपाई, या [[रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी]] तथा रंगीन फ़िल्टर शेष विधि के कारण ही रंगीन दिखाई देते हैं। इनमें तीन प्राथमिक रंग के पदार्थ होते हैं जिनके रंग आसमानी, मजेंटा तथा पीला हैं। ये तीनों रंग योज्य विधि के पूरक रंग हैं। रंगीन छपाई में भी इन्हीं तीन रंगों की स्याहियाँ प्रयुक्त होती हैं। इन रंगों को इनके अवयवों द्वारा या उस रंग द्वारा व्यक्त किया जा सकता है जो सफेद प्रकाश में नहीं है। उदाहरण के लिए:-
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| <blockquote><span style="color: #ffff00">पीला</span> = <span style="color: green">'''हरा'''</span> + <span style="color: red">'''लाल'''</span> = - <span style="color: blue">'''नीला'''</span></blockquote>
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| अर्थात लाल और हरा रंग मिला देने से पीला रंग बनता है, अथवा सफेद प्रकाश में से नीला रंग निकाल लेने से पीला रंग बनता है। इसी प्रकार
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| <blockquote><span style="color: #CD00CC">'''मजेंटा'''</span>= <span style="color: blue">'''नीला'''</span> + <span style="color: red">'''लाल'''</span> = - <span style="color: green">'''हरा'''</span></blockquote>
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| <blockquote>सियान = <span style="color: blue">'''नीला'''</span> + <span style="color: green">'''हरा'''</span> = - <span style="color: red">'''लाल'''</span></blockquote>
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| सफेद प्रकाश में से तीनों रंग निकाल लेने से काला दिखाई देता है, अर्थात कोई प्रकाश नहीं दिखाई पड़ता है।
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| ====आभा====
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| किसी एक रंग के प्रकाश की तीव्रता अधिक करने, अर्थात सफेद रंग मिलाने से या तीव्रता कम करने, अर्थात काला रंग मिलाने से रंग की आभा में अंतर आ जाता है। एकदम काला और एकदम सफेद में किसी रंग की अनुभूति नहीं होती। परंतु विभिन्न अनुपात में काला और सफेद मिलाने से जो स्लेटी रंग बनते हैं उनके अनुसार किसी भी प्राथमिक अथवा मिश्र रंग की अनेक आभाएँ हो सकती हैं।<ref name="विश्वकोश">हिन्दी विश्वकोश खंड 10</ref>
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| ==लाल हरा व नीला प्रतिरूप==
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| लाल हरा व नीला रंग प्रतिरूप एक ऐसा प्रतिरूप है जिसमें लाल, हरे और नीले रंग का प्रकाश विभिन्न प्रकार से मिश्रित होकर रंगों की एक विस्तृत सारणी का निर्माण करते हैं। [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] में इसे आर जी बी कहा जाता है। लाल हरा व नीला रंग प्रतिरूप का नाम तीन प्राथमिक रंग लाल, हरे और नीले रंग के अंग्रेज़ी नाम के पहले अक्षर से जुड़कर बना है। आर जी बी रंग मॉडल का मुख्य उद्देश्य संवेदन, प्रतिनिधित्व, और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में [[टेलीविश्ज़न|टी.वी.]] और [[कम्प्यूटर]] जैसे चित्र के प्रदर्शन के लिए होता है। हालांकि यह भी पारंपरिक फ़ोटोग्राफी में प्रयोग किया गया है। नीले, हरे व लाल रंगों को परस्पर उपयुक्त मात्रा में मिलाकर अन्य रंग प्राप्त किये जा सकते हैं तथा इनको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाने से श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है।
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| {| class="bharattable" border="1" align="center"
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| |+ लाल हरा नीला प्रतिरूप
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| |-
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| | [[चित्र:Rgb-Mode.jpg|120px|लाल हरा नीला प्रतिरूप]]
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| | [[चित्र:Red-Mode.jpg|120px|[[लाल रंग|लाल]] प्रतिरूप]]
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| | [[चित्र:Green-Mode.jpg|120px|[[हरा रंग|हरा]] प्रतिरूप]]
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| | [[चित्र:Blue-Mode.jpg|120px|[[नीला रंग|नीला]] प्रतिरूप]]
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| |}
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| </center>
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| ==सी. एम. वाई. के. प्रतिरूप==
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| [[क्यान रंग|क्यान]], मैंजेटा ([[रानी रंग|रानी]]), [[पीला रंग|पीला]] व [[काला रंग]] प्रतिरूप एक व्यकलित वर्ण प्रतिरूप है जिसे चतुर्वर्ण भी कहा जाता है। सी.एम.वाई.के. प्रतिरूप रंगीन मुद्रण में प्रयोग किया जाता है। सी.एम.वाई.के. प्रतिरूप किसी विशिष्ट तरंग दैर्ध्य को सोखकर, कार्य करता है। ऐसे प्रतिरूप को व्यकलित प्रतिरूप कहते हैं, क्योंकि यह स्याही श्वेत में से उज्ज्वलता को घटा देता है।
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| <center>
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| {| class="bharattable" border="1" align="center"
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| |+ सी.एम.वाई.के. प्रतिरूप
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| |-
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| | [[चित्र:Rgb-Mode.jpg|120px|सी एम वाई के प्रतिरूप]]
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| | [[चित्र:Cyan-Mode.jpg|120px|[[क्यान रंग|क्यान]] प्रतिरूप]]
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| | [[चित्र:Magenta-Mode.jpg|120px|[[रानी रंग|मैंजेंटा]] प्रतिरूप]]
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| | [[चित्र:Yellow-Mode.jpg|120px|[[पीला रंग|पीला]] प्रतिरूप]]
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| | [[चित्र:Black-Mode.jpg|120px|[[काला रंग|काला]] प्रतिरूप]]
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| |}
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| </center>
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रंग विषय सूची
रंगों के प्रकार
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विवरण
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रंग का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगों से प्रभावित होते हैं।
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उत्पत्ति
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रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।
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मुख्य स्रोत
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रंगों की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्रोत सूर्य का प्रकाश है। सूर्य के प्रकाश से विभिन्न प्रकार के रंगों की उत्पत्ति होती है। प्रिज़्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप या अंग्रेज़ी भाषा में VIBGYOR और हिन्दी में "बैं जा नी ह पी ना ला" कहा जाता है।
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VIBGYOR
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Violet (बैंगनी), Indigo (जामुनी), Blue (नीला), Green (हरा), Yellow (पीला), Orange (नारंगी), Red (लाल)
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रंगों के प्रकार
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प्राथमिक रंग (लाल, नीला और हरा), द्वितीयक रंग और विरोधी रंग
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संबंधित लेख
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इंद्रधनुष, तरंग दैर्ध्य, वर्ण विक्षेपण, अपवर्तन, होली
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अन्य जानकारी
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विश्व की सभी भाषाओं में रंगों की विभिन्न छवियों को भिन्न नाम प्रदान किए गए हैं। लेकिन फिर भी रंगों को क्रमबद्ध नहीं किया जा सका। अंग्रेज़ी भाषा में किसी एक छवि के अनेकानेक नाम हैं।
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रंग अथवा वर्ण का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगों से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।
रंगों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- प्राथमिक रंग या मूल रंग
- द्वितीयक रंग
- विरोधी रंग
प्राथमिक रंग या मूल रंग
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
प्राथमिक रंग या मूल रंग वे रंग हैं जो किसी मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं। ये रंग निम्न हैं-
द्वितीयक रंग
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
द्वितीयक रंग वे रंग होते हैं जो दो प्राथमिक रंगों के मिश्रण से प्राप्त किये जाते हैं। द्वितीयक रंग रानी, सियान व पीला है। इन्हें दो भागो में विभाजित किया जा सकता है-
thumb|250px|रंग बिरंगी पतंगें
जिन रंगों में लाल रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें गर्म रंग कहा जाता हैं। गर्म रंग निम्न हैं-
जिन रंगों में नीले रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें ठंड़े रंग कहा जाता है। ठंड़े रंग निम्न हैं-
- नीलमणी या आसमानी
- समुद्री हरा
- धानी या पत्ती हरा
विरोधी रंग
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो रंग बनते है उन्हें विरोधी रंग कहा जाता है। ऑस्टवाल्ड वर्ण चक्र में प्रदर्शित किये गये जाने वाले आमने सामने के रंग विरोधी रंग कहलाते हैं। जैसे- नीले का विरोधी रंग पीला, नारंगी का आसमानी व बैंगनी का विरोधी रंग धानी है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख