प्रयोग:माधवी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
Line 76: Line 76:
|शीर्षक 2=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[गीता फोगाट]] की पुत्री एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं जिन्होंने पहली बार [[भारत]] के लिए [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में स्वर्ण पदक जीता था।
|अन्य जानकारी=महावीर सिंह फोगाट की पुत्री [[गीता फोगाट]] एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं जिन्होंने पहली बार [[भारत]] के लिए [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में स्वर्ण पदक जीता था।
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=16:46, [[27 जनवरी]] [[2017]] (IST)
|अद्यतन=16:46, [[27 जनवरी]] [[2017]] (IST)

Revision as of 10:08, 1 February 2017

माधवी
पूरा नाम गीता फोगाट
जन्म 15 दिसंबर, 1988
जन्म भूमि भिवानी ज़िला, हरियाणा
अभिभावक पिता- महावीर सिंह फोगाट, माता- दया कौर
पति/पत्नी पवन कुमार
कर्म भूमि हरियाणा
खेल-क्षेत्र कुश्ती
प्रसिद्धि राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक, कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता।
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख महावीर सिंह फोगाट
बहन बबीता, रितु, संगीता
भाई दुष्यंत फोगाट
अन्य जानकारी गीता फोगाट को अंतर्राष्ट्रीय खेलों के योगदान के बदले हरियाणा पुलिस का डिप्टी सुपरिनटेंडेंट बनाया गया।
अद्यतन‎ 16:46, 27 जनवरी 2017 (IST)

गीता फोगाट (अंग्रेज़ी: Geeta Phogat, जन्म- 15 दिसंबर, 1988, भिवानी ज़िला, हरियाणा) एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। गीता ने 55 किलो वजन के अंतर्गत 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान हैं जिन्होंने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।[1]

जन्म एवं परिचय

गीता फोगाट का जन्म 15 दिसंबर, 1988 को हरियाणा में भिवानी ज़िले के छोटे से गाँव बलाली के हिन्दू-जाट परिवार में हुआ था, जो अपने पिता से विरासत में मिली पहलवानी को आगे बढ़ा रही हैं। गीता फोगाट की माँ दया कौर एक गृहणि हैं। परिवार में गीता की तीन बहनें बबीता, रितु, संगीता और एक भाई दुष्यंत हैं। गीता और बबीता पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवान हैं और रितु अभी अपने पिता से पहलवानी का प्रशिक्षण ले रही हैं। साथ ही गीता की सबसे छोटी बहन संगीता और भाई दुष्यंत भी पहलवानी के रास्ते पर हैं। गीता के पिता पेशे से एक ग्रीक-रोमन स्टाइल के पहलवान हैं, जो कभी मेट पर तो कभी मिट्टी में ही पहलवानी कर लिया करते थे। वे एक द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं और गीता फोगाट के कोच भी हैं। अपनी पहलवानी से अच्छे-अच्छे पहलवानों के छक्के छुड़ाने वाले महावीर फोगाट धन से गरीब थे, पर लड़कियों के प्रति विचारों को लेकर धनी थे।

जब महावीर फोगाट की पहली संतान बेटी रत्न गीता फोगाट के रूप में हुई और एक वर्ष एक महीने के बाद दूसरी बेटी रत्न बबीता फोगाट का जन्म हुआ तो महावीर सिंह फोगाट ने लड़कों-लड़कियों में भेदभाव ना करते हुए निश्चय किया कि वे उन्हें लड़कों की तरह पहलवान बनाएँगे। गीता फोगाट की बहन बबीता कुमारी और उसके चचेरे भाई विनेश फोगाट भी राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हैं। गीता फोगाट की एक और छोटी बहन रितु फोगाट भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पहलवान हैं और 2016 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।

पहलवानी का सफ़र

पाँच वर्ष के होते ही गीता फोगाट के पिता ने गीता फोगाट और बबीता फोगाट को पहलवानी का प्रशिक्षण देने लगे। शुरुआत में गीता फोगाट के पिता उन्हें दौड़ लगवाने के लिए खेतों में ले जाते थें। धीरे-धीरे समय निकलता गया तो अभ्यास (ट्रेनिंग) कठिन होता चला गया। महावीर फोगाट लड़कों के साथ ही अपनी बेटियों को दौड़ करवाते और दांव-पैच सिखाते थें। अगर वे लड़कों से दौड़ करते समय कमजोर पड़ जातीं तो महावीर सिंह फोगाट गुस्सा भी काफ़ी करते थे। इतनी कठिन अभ्यास के कारण गीता हार भी मान जातीं थी।thumb|250px|गीता फोगाट|leftजैसे-जैसे गीता और बबीता बड़ी होने लगीं तो जमाना उनका सहयोग करने के बजाय अजीब-अजीब मुंह बनाने लगा। कई बार वे ऐसे सोचते थे भी कि "अगर हम किसी दूसरे अखाड़े या और स्टेडियम में होते तो पापा जैसा कोच मिल जाता तो हम कभी भी वापस वहाँ नहीं जाते घर ही आ जाते।" कई बार तो हम को लोगों से विरोध और धमकियाँ भी मिलती थीं।

पर हम सभी अपने पथ पर पूर्ण विश्वास के साथ डटे रहे। उन्हीं दिनों 2000 के सिडनी ऑलिंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कर्ण मल्लेश्वरी ने वेट लिफ्टिंग में भारत के लिये ब्रोंज मैडल जीतीं, जो ऑलिंपिक्स में किसी भी भारतीय महिला खिलाड़ी का पहला पदक था। गीता फोगाट के पिता एक जुनूनी कोच थे। जिससे वो अपने पिता से काफी परेशान हो जाती थीं। इतनी कड़े अभ्यास के बाद महावीर सिंह फोगाट, गीता और बबीता को बड़े-बड़े अखाड़े में कुश्ती के मुक़ाबले के लिए ले जाने लगे। पर पुरुषवादी खेल के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें बेटियों को ना खिलाने की हिदायत भी दे डाली। पर महावीर सिंह फोगाट रुकें नहीं। बल्कि उन्होंने अपनी बेटियों को आगे के अभ्यास के लिए स्पोर्ट्स ऑथोरीटी ऑफ इंडिया में दाखिला दिला दिया। बचपन में मिट्टी में खूब पसीना बहाने वाली गीता और बबीता में वहाँ के कोचों को जल्द ही टैलेंट दिखा और वे उन्हें आधुनिक ट्रेनिंग देने लगे।

जीत का सफर

मेहनत का सुनहरा परिणाम 2009 में आया, जब गीता ने इतिहास रचते हुए जलंधर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतीं, जो ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थीं। इसी तरह 2010 के न्यू दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार सोने का तमगा जीतकर गीता फोगाट ने यह साबित कर दिया। यदि किसी लक्ष्य के लिए जी-तोड़ मेहनत किया जाए तो जमाना भी आपके आड़े नहीं आ सकता। अब गीता के जीत का यह आलम था कि वो 2012 के वर्ल्ड रेस्टलिंग चैंपियशिप में ताँबे का तमगा, 2013 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मैडल और 2015 के एशियन चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल जीतीं। 18 अक्तूबर 2016, मंगलवार को हरियाणा कैबिनेट की मंजूरी पर गीता फोगाट के अंतर्राष्ट्रीय खेलों योगदान के बदले हरियाणा पुलिस का डिप्टी सुपरिनटेंडेंट बनाया गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गीता फोगाट (हिंदी) biography.com। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2017।



माधवी
पूरा नाम महावीर सिंह फोगाट
अन्य नाम महावीर फोगाट
जन्म भूमि भिवानी ज़िला, हरियाणा
पति/पत्नी दया कौर
संतान गीता, बबीता, रितु, संगीता और दुष्यंत
कर्म भूमि हरियाणा
खेल-क्षेत्र कुश्ती
पुरस्कार-उपाधि द्रोणाचार्य पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख गीता फोगाट
अन्य जानकारी महावीर सिंह फोगाट की पुत्री गीता फोगाट एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।
अद्यतन‎ 16:46, 27 जनवरी 2017 (IST)

महावीर सिंह फोगाट (अंग्रेज़ी: Mahavir Singh Phogat, जन्म- भिवानी ज़िला, हरियाणा) प्रसिद्ध रेसलर व ओलिंपिक में कोच के साथ एक द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता भी हैं। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है। दंगल फिल्म की कहानी हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगाट की जिंदगी पर आधारित है।[1]

जन्म एवं परिचय

महावीर सिंह फोगाट का जन्म हरियाणा में भिवानी ज़िले के छोटे से गाँव बलाली के हिन्दू-जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने बचपन से बहुत सी रूढ़िवादी व दकियानूसी बातों को अपने आसपास देखा था, उस समय वहां के लोग घर में बेटी होने पर उन्हें तुरंत मार देते थे। लेकिन वे खुद खुले विचारों वाले इन्सान थे, महावीर जी की शादी दया कौर से हुई थी। जिनसे उन्हें 2 बेटी गीता व बबिता हैं। महावीर जी ने कम उम्र से ही रेसलिंग की शुरुआत कर दी थी ये प्रसिद्ध रेसलिंग कोच गीता फोगाट के पिता हैं। इन्होने 2010 में हुए कॉमनवेल्थ खेल में महिला केटेगरी में भारत को पहली बार गोल्ड मैडल दिलाया था। गीता पहली महिला रेसलर है, जो ओलंपिक के लिए चुनीं गई। महावीर सिंह फोगाट की दूसरी बेटी बबिता कुमारी भी 2014 के कॉमनवेल्थ खेल में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।

जीवन का सफर

महावीर सिंह का जीवन बहुत संघर्ष से भरा हुआ रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। यही वजह है उनके जीवन से बहुत लोग प्रेरणा लेते हैं। महावीर सिंह के जीवन पर आधारित आमिर खान ने फिल्म भी बनाई है। महावीर सिंह रेसलर तो थे, लेकिन उनको उस हिसाब से लोकप्रियता नहीं मिली। उन्होंने अपने इस अधूरे सपने को अपनी बेटियों के द्वारा पूरा करना चाहा। साल 2000 में कर्णम मलेश्वरी के ओलिंपिक में मेडल जीतने के बाद महावीर ने अपनी बेटियों को रेसलर बनाने की ठानी। घरवाले बेटियों को कुश्ती सिखाने के खिलाफ थे। महावीर जी ने अपनी बेटियों को रेसलिंग का प्रशिक्षण देना शुरू किया, वे चाहते थे उनकी बेटियां सफल रेसलर बने और उनका व देश का नाम रोशन करें। इस निर्णय की वजह से महावीर जी को पुरे गाँव के गुस्से का शिकार होना पड़ा। यहाँ तक कि उनके गाँव वालों ने उन्हें वहां से बाहर निकाल दिया। दंगल फिल्म में पहलवान महावीर सिंह फोगाट की सच्ची और प्रेरणादायी कहानी बताई गई है कि वे कैसे समाज की परवाह किये बिना अपनी बेटियों को भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने के लिए कुश्ती में प्रशिक्षण देते हैं।

गाँव वालों का कहना था कि महावीर एक अच्छे पिता नहीं है, जिस उम्र में उन्हें अपनी लड़कियों की शादी करनी चाहिए, उस उम्र में ये उन्हें रेसलर बना रहे हैं, लड़कियों को हमेशा पर्दे में रहना चाहिए व घर संभालना चाहिए। इन सब बातों के परे महावीर ये सोचते थे कि अगर भारत देश की प्रधानमंत्री एक महिला हो सकती है, तो एक महिला एक रेसलर भी बन सकती है। महावीर जी ने 3 लोगों को ऐसा ट्रेन किया जिसके बाद वे लोग स्वर्ण पदक के विजेता बने। आज महावीर सिंह फोगाट का नाम भले ही दुनिया के हर कोने में गूंज रहा हो। महावीर फोगाट के लिए यह सब आसान नहीं था। उनके लिए सब कुछ जैसे पहली बार था। वे भारतीय कुश्ती संगठन द्वारा द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित किए गए हैं। वे अपने राज्य के कुश्ती चैंपियन के अलावा वे भारतीय कुश्ती टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। महावीर फोगाट दिल्ली के मशहूर चांदगी राम अखाड़ा की शान रह चुके हैं।

सफलता

महावीर जी की बेटी गीता फोगाट (55 किलो वर्ग) में भारत की ओर से स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान हैं। उन्होंने यह कारनामा कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में किया था। उसके बाद साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में बबीता ने स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा गीता भारत की ओर से ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाली पहली महिला पहलवान भी रह चुकी हैं। आज की तारीख में फोगाट बहने किंवदंती बन चुकी हैं और इसका श्रेय महावीर फोगाट की निष्ठा और दूरदृष्टि को भी जाता है।

जीवन पर आधारित फिल्म दंगल

दंगल फिल्म पहलवान महावीर सिंह फोगाट की जिंदगी पर आधारित है और आमिर खान ने महावीर सिंह की भूमिका दंगल फिल्म में निभाई है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह महावीर सिंह अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाकर उन्हें रेसलिंग का चैंपियन बनाते हैं।

सम्पादन कार्य

आमिर ने फोगाट फैमिली के लिए मुंबई में स्पेशल स्क्रीनिंग रखी थी। दोनों बहनें पिता के साथ यहां आई। द्रोणाचार्य अवॉर्डी महावीर यहां दंगल से पहले अपनी किताब 'अखाड़ा' को रिलीज करने पहुंचे थे।

अन्य जानकारी

महावीर जी ने अपनी बेटियों के अलावा भाई की बेटियों को भी प्रशिक्षण दिया। ऐसा नहीं है कि महावीर फोगाट सिर्फ अपनी बेटियों को ही दंगल में उतारते रहे। गीता और बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहलवान हैं। महावीर जी की बेटियाँ कहती हैं कि "फिल्म का ये गाना तो सच है, लेकिन हम जो भी हैं इसी हानिकारक बापू की ही बदौलत है। जो भी बने हैं इन्हीं के दम पर बने हैं।" महावीर फोगाट आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपनी खुद की चार बेटियों के साथ परिवार की पांच लड़कियों को इंटरनेशनल रेसलर बनाया है। इसमें से तीन तो ओलिंपियन है। गीता, बबीता और विनेश फोगाट जिन दावों के दम पर दुनिया को हिला रही हैं वो महावीर फोगाट की ही देन हैं।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महावीर सिंह फोगाट (हिंदी) bharatdiscovery.org। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2017।



माधवी
पूरा नाम बबिता फोगाट
जन्म 20 नवम्बर, 1989
जन्म भूमि भिवानी ज़िला, हरियाणा
अभिभावक पिता- महावीर सिंह फोगाट, माता- दया कौर
कर्म भूमि हरियाणा
खेल-क्षेत्र कुश्ती
प्रसिद्धि राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक, कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता।
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख महावीर सिंह फोगाट, गीता फोगाट
बहन गीता, रितु, संगीता
भाई दुष्यंत फोगाट
अन्य जानकारी 2009 से 2015 तक बबिता ने सभी कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स में हिस्सा लिया है, जहाँ उन्होंने बहुत से पदक व प्राइज अपने नाम किये।
अद्यतन‎ 16:46, 27 जनवरी 2017 (IST)

बबिता फोगाट (अंग्रेज़ी: Babita Phogat, जन्म- 20 नवम्बर, 1989, भिवानी ज़िला, हरियाणा) एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं जिन्होंने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता है। जहाँ उन्होंने 2012 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, और 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतें।

जन्म एवं परिचय

बबिता फोगाट का जन्म 15 दिसंबर, 1988 को हरियाणा में भिवानी ज़िले के छोटे से गाँव बलाली के हिन्दू-जाट परिवार में हुआ था। ये गीता फोगाट की बहन हैं। बबिता फोगाट पहलवान और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता महावीर सिंह फोगाट की बेटी हैं। उसकी सबसे छोटी बहन रितु फोगाट, वह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पहलवान है और 2016 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उसकी छोटी बहन, संगीता फोगाट भी एक पहलवान है।

सफलता

2009 से 2015 तक बबिता ने सभी कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स में हिस्सा लिया है, जहाँ उन्होंने बहुत से पदक व प्राइज अपने नाम किये।

समाजसेवा कार्य

बबिता फोगाट, उसकी बहन और चचेरे भाई के साथ-साथ, मानसिकता और हरियाणा में अपने गाँव में महिलाओं और लड़कियों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव के लिए योगदान दिया है। वे चाहती है कि उनके गाँव वालों की सोच बदले और वे लोग भी अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाये।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ