दयाल बाग़, आगरा: Difference between revisions

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'''दयाल बाग़''' [[उत्तर प्रदेश]] में ऐतिहासिक स्थानों के लिए प्रसिद्ध [[आगरा]] में स्थित है। इसकी स्थापना राधास्वामी सत्संग के पांचवें संत गुरु हुजूर साहब जी महाराज (आनन्द स्वरूप साहब) ने की थी। दयाल बाग़ की स्थापना बसन्त पंचमी के दिन [[20 जनवरी]], सन [[1915]] को शहतूत का पौधा लगा कर की गई थी।
'''दयाल बाग़''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dayal Bagh'') [[उत्तर प्रदेश]] में ऐतिहासिक स्थानों के लिए प्रसिद्ध [[आगरा]] में स्थित है। इसकी स्थापना राधास्वामी सत्संग के पांचवें संत गुरु हुजूर साहब जी महाराज (आनन्द स्वरूप साहब) ने की थी। दयाल बाग़ की स्थापना [[बसन्त पंचमी]] के दिन [[20 जनवरी]], सन [[1915]] को शहतूत का पौधा लगा कर की गई थी।


*दयाल बाग़ राधास्वामी सत्संग का मुख्यालय है और राधास्वामी सत्संग के आठवें संत परम गुरु हुजूर साहब (डॉ. प्रेम सरन सतसंगी साहब) का निवास भी है।
*दयाल बाग़ राधास्वामी सत्संग का मुख्यालय है और राधास्वामी सत्संग के आठवें संत परम गुरु हुजूर साहब (डॉ. प्रेम सरन सतसंगी साहब) का निवास भी है।

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दयाल बाग़ (अंग्रेज़ी: Dayal Bagh) उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक स्थानों के लिए प्रसिद्ध आगरा में स्थित है। इसकी स्थापना राधास्वामी सत्संग के पांचवें संत गुरु हुजूर साहब जी महाराज (आनन्द स्वरूप साहब) ने की थी। दयाल बाग़ की स्थापना बसन्त पंचमी के दिन 20 जनवरी, सन 1915 को शहतूत का पौधा लगा कर की गई थी।

  • दयाल बाग़ राधास्वामी सत्संग का मुख्यालय है और राधास्वामी सत्संग के आठवें संत परम गुरु हुजूर साहब (डॉ. प्रेम सरन सतसंगी साहब) का निवास भी है।
  • स्वामी बाग़ समाधि हुजूर स्वामी जी महाराज (शिव दयाल सिंह सेठ) का स्मारक है। यह आगरा के बाहरी क्षेत्र में है, जिसे स्वामी बाग़ कहते हैं।
  • शिव दयाल सिंह राधा स्वामी मत के संस्थापक थे। उनकी समाधि उनके अनुयाइयों के लिये पवित्र है। सन 1908 में इसका निर्माण आरम्भ हुआ था और कहते हैं कि यह कभी समाप्त नहीं होगा। इसमें भी श्वेत संगमरमर का प्रयोग हुआ है। साथ ही नक्काशी व बेलबूटों के लिये रंगीन संगमरमर व कुछ अन्य रंगीन पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह नक्काशी व बेलबूटे एकदम जीवंत लगते हैं। यह भारत भर में कहीं नहीं दिखते हैं। पूर्ण होने पर इस समाधि पर एक नक्काशीकृत गुम्बद शिखर के साथ एक महाद्वार होगा। इसे कभी-कभार दूसरा ताज भी कहा जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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