चीनी का रोज़ा: Difference between revisions

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*गुंबद की भीतरी छत पर तस्‍वीरों और इस्‍लामिक लिखावट के चिह्न देखे जा सकते हैं।
*गुंबद की भीतरी छत पर तस्‍वीरों और इस्‍लामिक लिखावट के चिह्न देखे जा सकते हैं।
*गुंबद के ऊपर [[क़ुरान]] की कुछ [[आयत (क़ुरआन)|आयतें]] भी खुदी हुई हैं।
*गुंबद के ऊपर [[क़ुरान]] की कुछ [[आयत (क़ुरआन)|आयतें]] भी खुदी हुई हैं।
*[[भारत]] में यह अपने तरह का पहला निर्माण था, जिसमें विस्तृत रूप से चमकदार कांच के टाइल्स का प्रयोग किया गया था। इसलिए इसे भारत में भारतीय व पर्सियन वास्तुशिल्प शैली से बना ऐतिहासिक स्थल होने का गौरव प्राप्त है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/agra/attractions/chini-ka-rauza/ |title=चीनी का रोजा, आगरा |accessmonthday=01 अप्रैल |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.nativeplanet.com |language=हिन्दी }}</ref>
*मक़बरे का निर्माण आयताकार आकार में किया गया है और इसमें मुख्य रूप से भूरे पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इसकी दीवार को रंगीन टाइल्स से सजाया गया है और उन पर इस्लामिक लिखावट के चिन्ह देखे जा सकते हैं।
*मक़बरे का बीच का हिस्सा एक अष्टभुज आकृति है, जिसमें आठ वक्राकार गुफाएं हैं।
*इस मक़बरे की सबसे बड़ी खासियत इसकी अफ़ग़ान शैली में बनी गोल गुंबद है, जिस पर पवित्र इस्लामिक शब्द लिखे गए हैं।
*दुर्भाग्यवश यह मक़बरा अब काफ़ी उजड़-सा गया है, फिर भी यह अपनी मूल भव्यता को प्रदर्शित करता है।





Revision as of 12:11, 1 April 2017

thumb|250px|चीनी का रोज़ा मक़बरा चीनी का रोज़ा (अंग्रेज़ी: Chini Ka Rauza) आगरा, उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यह मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के मंत्री अल्लामा अफ़ज़ल ख़ान शकरउल्ला शिराज़ को समर्पित मक़बरा है।

  • शकरउल्ला शिराज़ पारसी कवि और विद्वान थे, जो बाद में बादशाह शाहजहाँ के प्रधानमंत्री भी बने।
  • सन 1635 में बने इस ख़ूबसूरत मक़बरे का नाम इसको बनाने में इस्‍तेमाल हुए पत्‍थरों के नाम पर पड़ा।
  • यह मक़बरा उस समय के मुग़ल वास्‍तुशिल्‍प पर पारसी प्रभाव का दर्शाता है।
  • एत्मादुद्दौला के मक़बरे से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित इस इमारत के ऊपर गोलाकार गुंबद है। इसे देखकर बताया जा सकता है कि यह आगरा की एकमात्र पारसी इमारत है।
  • गुंबद की भीतरी छत पर तस्‍वीरों और इस्‍लामिक लिखावट के चिह्न देखे जा सकते हैं।
  • गुंबद के ऊपर क़ुरान की कुछ आयतें भी खुदी हुई हैं।
  • भारत में यह अपने तरह का पहला निर्माण था, जिसमें विस्तृत रूप से चमकदार कांच के टाइल्स का प्रयोग किया गया था। इसलिए इसे भारत में भारतीय व पर्सियन वास्तुशिल्प शैली से बना ऐतिहासिक स्थल होने का गौरव प्राप्त है।[1]
  • मक़बरे का निर्माण आयताकार आकार में किया गया है और इसमें मुख्य रूप से भूरे पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इसकी दीवार को रंगीन टाइल्स से सजाया गया है और उन पर इस्लामिक लिखावट के चिन्ह देखे जा सकते हैं।
  • मक़बरे का बीच का हिस्सा एक अष्टभुज आकृति है, जिसमें आठ वक्राकार गुफाएं हैं।
  • इस मक़बरे की सबसे बड़ी खासियत इसकी अफ़ग़ान शैली में बनी गोल गुंबद है, जिस पर पवित्र इस्लामिक शब्द लिखे गए हैं।
  • दुर्भाग्यवश यह मक़बरा अब काफ़ी उजड़-सा गया है, फिर भी यह अपनी मूल भव्यता को प्रदर्शित करता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चीनी का रोजा, आगरा (हिन्दी) hindi.nativeplanet.com। अभिगमन तिथि: 01 अप्रैल, 2017।

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