अग्निष्टोम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
 
Line 1: Line 1:
'''अग्निष्टोम''' अथवा 'ज्योतिष्टोम' एक प्रकार का वैदिक [[यज्ञ]], जिसका [[वैदिक साहित्य]] के अतिरिक्त प्राचीन [[अभिलेख|अभिलेखों]] में भी उल्लेख मिलता है।<ref>{{cite web |url= http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%AE|title= अग्निष्टोम|accessmonthday= 17 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
'''अग्निष्टोम''' अथवा 'ज्योतिष्टोम' एक प्रकार का वैदिक [[यज्ञ]], जिसका [[वैदिक साहित्य]] के अतिरिक्त प्राचीन [[अभिलेख|अभिलेखों]] में भी उल्लेख मिलता है।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%AE|title= अग्निष्टोम|accessmonthday= 17 सितम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>


*यजुष्‌ और अथर्वन्‌ की यज्ञ पद्धति में 'अग्निष्टोम' का अग्न्याधान, [[वाजपेय]] आदि की तरह ही महत्व है।
*यजुष्‌ और अथर्वन्‌ की यज्ञ पद्धति में 'अग्निष्टोम' का अग्न्याधान, [[वाजपेय]] आदि की तरह ही महत्व है।

Latest revision as of 12:23, 25 October 2017

अग्निष्टोम अथवा 'ज्योतिष्टोम' एक प्रकार का वैदिक यज्ञ, जिसका वैदिक साहित्य के अतिरिक्त प्राचीन अभिलेखों में भी उल्लेख मिलता है।[1]

  • यजुष्‌ और अथर्वन्‌ की यज्ञ पद्धति में 'अग्निष्टोम' का अग्न्याधान, वाजपेय आदि की तरह ही महत्व है।
  • इस 'यज्ञ' को 'ज्योतिष्टोम' भी कहते हैं। यह पाँच दिनों तक मनाया जाता है।
  • प्राय: राजसूय तथा अश्वमेध यज्ञों के कर्ता इस यज्ञ का प्रतिपादन आवश्यक समझते थे।
  • वैदिक साहित्य के अतिरिक्त प्राचीन अभिलेखों (आंध्र) में भी इस यज्ञ का उल्लेख मिलता है।

प्रवर्ग्य विधि

प्रवर्ग्य विधि सोमयाग के अंगरूप में की जाती है। उसका स्थान कहाँ होना चाहिए, इस विषय में यजुर्वेदीय सूत्रों में कोई नियम नहीं है। बहुधा 'अग्निष्टोम' या 'ज्योतिष्टोम' के पश्चात् इसका विवरण स्वतन्त्र प्रश्न में दिया गया है। भारद्वाज सूत्र की हस्तलिखित प्रतियों में और प्रकाशित संस्करण में भी वह ज्योतिष्टोम के मध्य में दिया गया है। इस प्रकार भारद्वाज सूत्र में प्रवर्ग्य विधि स्वतन्त्र प्रश्न में वर्णित है। प्रतीत होता है कि किसी हस्तलेख के लेखक ने अपनी सुविधा के लिए उसे ज्योतिष्टोम के मध्य में रख दिया, जिसका अनुसरण अन्य लोगों ने किया, क्योंकि वस्तुत: प्रवर्ग्य का स्थान ज्योतिष्टोम के अन्त में होना चाहिए, न कि अनुष्ठान–क्रम को खण्डित करते हुए मध्य में।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अग्निष्टोम (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 17 सितम्बर, 2014।

संबंधित लेख