जसपाल राणा: Difference between revisions

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जसपाल राणा ने अपने निशानेबाजी कॅरियर की शुरुआत [[जून]], [[1987]] में [[दिल्ली]] में होने वाले तीन सप्ताह के कोचिंग कैम्प से की थी। इसी कोचिंग के कारण चार माह बाद दिल्ली प्रदेश की निशानेबाजी चैंपियनशिप में जसपाल राणा ने एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक जीत लिया था। राणा मात्र 12 वर्ष की आयु में प्रसिद्धि पा गए थे, तब उन्होंने 31वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में [[1988]] में [[अहमदाबाद]] में रजत पदक जीता था। [[1989]] में उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत, तथा [[1990]] में 5 स्वर्ण पदक जीते। [[1992]] में मुंगेर में व [[1994]] में [[कानपुर]] में उन्होंने सर्वाधिक पदक प्राप्त कर रिकार्ड बना दिया। [[मुंगेर]] में उन्होंने 8 स्वर्ण, 1 रजत व एक कांस्य पदक जीता और कानपुर में कुल 11 स्वर्ण पदक जीते, जिसमें 7 व्यक्तिगत स्पर्धा में और 4 टीम स्पर्धा में थे। [[1993]] में जसपाल ने नया राष्ट्रीय रिकार्ड अहमदाबाद में बनाया। उन्होंने सेंटर फायर पिस्टल प्रतियोगिता में 590 प्वाइंट बनाकर विश्व रिकार्ड के बराबर रिकार्ड दो बार बनाया। पहला [[1995]] में [[कोयम्बटूर]] की राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में और दूसरा [[1997]] में [[बंगलौर]] में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में रिकार्ड स्कोर बनाया। [[1997]] के राष्ट्रीय खेलों में उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी’ घोषित किया गया।<ref name="a"/>
जसपाल राणा ने अपने निशानेबाजी कॅरियर की शुरुआत [[जून]], [[1987]] में [[दिल्ली]] में होने वाले तीन सप्ताह के कोचिंग कैम्प से की थी। इसी कोचिंग के कारण चार माह बाद दिल्ली प्रदेश की निशानेबाजी चैंपियनशिप में जसपाल राणा ने एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक जीत लिया था। राणा मात्र 12 वर्ष की आयु में प्रसिद्धि पा गए थे, तब उन्होंने 31वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में [[1988]] में [[अहमदाबाद]] में रजत पदक जीता था। [[1989]] में उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत, तथा [[1990]] में 5 स्वर्ण पदक जीते। [[1992]] में मुंगेर में व [[1994]] में [[कानपुर]] में उन्होंने सर्वाधिक पदक प्राप्त कर रिकार्ड बना दिया। [[मुंगेर]] में उन्होंने 8 स्वर्ण, 1 रजत व एक कांस्य पदक जीता और कानपुर में कुल 11 स्वर्ण पदक जीते, जिसमें 7 व्यक्तिगत स्पर्धा में और 4 टीम स्पर्धा में थे। [[1993]] में जसपाल ने नया राष्ट्रीय रिकार्ड अहमदाबाद में बनाया। उन्होंने सेंटर फायर पिस्टल प्रतियोगिता में 590 प्वाइंट बनाकर विश्व रिकार्ड के बराबर रिकार्ड दो बार बनाया। पहला [[1995]] में [[कोयम्बटूर]] की राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में और दूसरा [[1997]] में [[बंगलौर]] में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में रिकार्ड स्कोर बनाया। [[1997]] के राष्ट्रीय खेलों में उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी’ घोषित किया गया।<ref name="a"/>
==दोहा एशियाड में स्वर्ण==
==दोहा एशियाड में स्वर्ण==
कई वर्षों से जसपाल राणा का कॅरियर उतार की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा था। [[1994]] में उन्होंने स्वयं को साबित कर दिखाया था, उसके 12 वर्ष बाद जसपाल ने पुन: खुद को साबित कर दिखाया। वह एक शूटर के रूप में करीब-करीब गुमनामी में खो गए थे। उन्होंने [[दिसम्बर]], [[2006]] में दोहा एशियाड में ऐसा कमाल कर दिखाया कि सभी की आँखें खुली की खुली रह गईं। पिस्टल किंग के रूप में मशहूर हो चुके जसपाल ने दोहा में कमाल का निशाना साधा और तीन गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीतकर सभी देशवासियों को प्रसन्न कर दिया। उन्होंने 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल का गोल्ड 590 अंकों के नए विश्व रिकॉर्ड के साथ जीता। इसके अतिरिक्त पुरुषों की 25 मीटर स्टेन्डर्ड फायर पिस्टल स्पर्धा जीती। जसपाल राणा ने न केवल तीन स्वर्ण पदक 2006 के दोहा एशियाई खेलों में जीते, वरन 25 मीटर स्टैण्डर्ड पिस्टल टीम का रजत पदक भी जीता, जिसके अन्य सदस्य थे [[समरेश जंग]] और रौनक। उनसे ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी। अत: उनके पदकों ने सभी को चौंका दिया और उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि उनमें अभी भी दमखम है।
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जसपाल ने एक साक्षात्कार में बताया कि वह आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं, लेकिन [[धर्म]] में नहीं। उनके पिता '[[गीता]]' में बहुत विश्वास करते हैं। उन्होंने ही जसपाल को उन सिद्धान्तों को अपने जीवन में अपनाने की सलाह दी है। वह बहुत जल्दी अपना-आपा खो बैठते हैं। अत: जब भी वह ज्यादा क्रोधित होते हें, तब वह मेडिटेशन करते हैं। जसपाल राणा ने अपनी सफलता का श्रेय भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ को दिया। उनकी विजय के अवसर पर उनके पिता तथा कोच नारायण सिंह राणा बेहद प्रसन्न थे। उन्हें भी अपने पुत्र से इतने बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी। दोहा एशियाड से [[भारत]] वापस लौटने पर हवाई अड्‌डे पर जसपाल राणा का भव्य स्वागत किया गया था।<ref name="a"/>
जसपाल ने एक साक्षात्कार में बताया कि वह आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं, लेकिन [[धर्म]] में नहीं। उनके पिता '[[गीता]]' में बहुत विश्वास करते हैं। उन्होंने ही जसपाल को उन सिद्धान्तों को अपने जीवन में अपनाने की सलाह दी है। वह बहुत जल्दी अपना-आपा खो बैठते हैं। अत: जब भी वह ज्यादा क्रोधित होते हें, तब वह मेडिटेशन करते हैं। जसपाल राणा ने अपनी सफलता का श्रेय भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ को दिया। उनकी विजय के अवसर पर उनके पिता तथा कोच नारायण सिंह राणा बेहद प्रसन्न थे। उन्हें भी अपने पुत्र से इतने बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी। दोहा एशियाड से [[भारत]] वापस लौटने पर हवाई अड्‌डे पर जसपाल राणा का भव्य स्वागत किया गया था।<ref name="a"/>

Revision as of 07:41, 7 November 2017

जसपाल राणा
पूरा नाम जसपाल राणा
जन्म 28 जून, 1976
जन्म भूमि चिलामू, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड
पति/पत्नी रीना राणा
संतान देवांशी तथा युवराज
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र निशानेबाजी
शिक्षा इण्टर
विद्यालय आई.टी.बी.पी. पब्लिक स्कूल, मसूरी; केन्द्रीय विद्यालय, तुग़लकाबाद, दिल्ली
पुरस्कार-उपाधि 'अर्जुन पुरस्कार' (1994, 'यश भारती पुरस्कार' (1994), 'राजधानी रत्न पुरस्कार', 'इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार' आदि।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी वर्ष 1994 में 18 वर्ष की आयु से ही जसपाल राणा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने का सिलसिला शुरू कर दिया था।

जसपाल राणा (अंग्रेज़ी: Jaspal Rana; जन्म- 28 जून, 1976, चिलामू, टिहरी गढ़वाल) भारत के प्रसिद्ध निशानेबाज हैं। वर्ष 1995 की कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में 8 स्वर्ण जीतकर जसपाल राणा ने नया रिकॉर्ड बनाया था। भारत के दो अन्य निशानेबाजों राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और अभिनव बिन्द्रा ने ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजी का इतिहास रचा था, किंतु यदि यह कहा जाए कि जसपाल राणा ने इस भरोसे की नींव रखी थी तो ग़लत नहीं होगा। उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने एशियाई, विश्व कामनवेल्थ, राष्ट्रमण्डल व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक रिकार्ड स्थापित किए हैं।

जन्म तथा शिक्षा

जसपाल राणा का जन्म 28 जून, 1976 को अपने पैतृक गाँव चिलामू, टिहरी गढ़वाल ज़िला, उत्तराखण्ड के एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम नारायण सिंह राणा और माता श्यामा राणा हैं। जसपाल राणा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आई.टी.बी.पी. पब्लिक स्कूल, मसूरी तथा एयर फ़ोर्स स्कूल, कानपुर से प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने हाई स्कूल और इण्टर की परीक्षा केन्द्रीय विद्यालय, तुग़लकाबाद, दिल्ली से प्राप्त की।[1]

विवाह

जसपाल राणा का विवाह रीना राणा के साथ हुआ, जो एक फ़ैशन डिज़ायनर होने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज भी हैं। राणा दम्पत्ति दो बच्चों के अभिभावक हैं। उनकी बेटी का नाम देवांशी और बेटे का नाम युवराज है।

शूटिंग में सफलताएँ

जसपाल राणा को भारतीय शूटिंग टीम का ‘टार्च बियरर’ कहा जाता है। उन्होंने अनेक प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक जीत कर भारत का मान बढ़ाया है। उन्होंने 1995 के सैफ खेलों में चेन्नई में 8 स्वर्ण तथा 1999 के काठमांडू में सैफ खेलों में 8 स्वर्ण पदक जीतकर भारत को ढेरों स्वर्ण पदक जिताए हैं। जसपाल राणा का नाम भारत में निशानेबाजी के खेल में अग्रणी खिलाड़ियों में लिया जाता है। उन्होंने निशानेबाजी में पाई जन्मजात प्रतिभा को अपनी मेहनत व कुशलता से चमकाया और आगे बढ़ाया। वह ‘पिस्टल शूटिंग’ में जल्दी ही प्रसिद्धि पा गए। उनके पिता नारायण सिंह राणा ने उन्हें निशानेबाजी में शिक्षा देकर माहिर किया। जे.सी.टी. के समीर थापर ने उन्हें स्पांसर किया तथा सनी थामस और टिबोर गनाजोल ने कोचिंग प्रदान कर उनकी कुशलता को सर्वश्रेष्ठ स्तर तक पहुंचा दिया।[2]

जसपाल राणा ने राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 600 से अधिक पदक जीते हैं। उन्हें 1994 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। यद्यपि राणा ने अपने अधिकांश पदक ‘सेंटर फायर पिस्टल’ प्रतियोगिता में जीते हैं, लेकिन उन्होंने एयर पिस्टल, स्टैन्डर्ड पिस्टल, फ्री पिस्टल, रेपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिताओं में भी सफलता प्राप्त की है। वास्तव में उन्होंने सबसे पहले स्टैन्डर्ड पिस्टल प्रतियोगिता में ही सफलता पाकर प्रसिद्धि पाई, जब उन्होंने जूनियर वर्ग में 46वींं विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप में इटली के मिलान शहर में 1994 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उस समय उन्होंने विश्व का रिकार्ड स्कोर (569/600) बनाया था और अखबारों की सुर्खियों में छा गए थे।

रैपिड फायर पिस्टल में स्वर्ण

‘रैपिड फायर पिस्टल’ प्रतियोगिता में भी जसपाल राणा ने सफलता प्राप्त की है। इस प्रतियोगिता में एक ही समय में 5 निशानों पर आठ, छह और चार सेकंड के अंतराल पर निशाना लगाया जाता है। इसमें निशाना साधने और शूट करने से ज्यादा अपनी मांसपेशियों की याददाश्त पर निर्भर रहना पड़ता है। राणा ने इस प्रतियोगिता में दिल्ली में 1998 में 41वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिता में स्पर्ण पदक जीता था और प्रसिद्ध निशानेबाज कंवर लाल ढाका को हराया था।

राष्ट्रीय रिकार्ड

जसपाल राणा ने अपने निशानेबाजी कॅरियर की शुरुआत जून, 1987 में दिल्ली में होने वाले तीन सप्ताह के कोचिंग कैम्प से की थी। इसी कोचिंग के कारण चार माह बाद दिल्ली प्रदेश की निशानेबाजी चैंपियनशिप में जसपाल राणा ने एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक जीत लिया था। राणा मात्र 12 वर्ष की आयु में प्रसिद्धि पा गए थे, तब उन्होंने 31वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में 1988 में अहमदाबाद में रजत पदक जीता था। 1989 में उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत, तथा 1990 में 5 स्वर्ण पदक जीते। 1992 में मुंगेर में व 1994 में कानपुर में उन्होंने सर्वाधिक पदक प्राप्त कर रिकार्ड बना दिया। मुंगेर में उन्होंने 8 स्वर्ण, 1 रजत व एक कांस्य पदक जीता और कानपुर में कुल 11 स्वर्ण पदक जीते, जिसमें 7 व्यक्तिगत स्पर्धा में और 4 टीम स्पर्धा में थे। 1993 में जसपाल ने नया राष्ट्रीय रिकार्ड अहमदाबाद में बनाया। उन्होंने सेंटर फायर पिस्टल प्रतियोगिता में 590 प्वाइंट बनाकर विश्व रिकार्ड के बराबर रिकार्ड दो बार बनाया। पहला 1995 में कोयम्बटूर की राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में और दूसरा 1997 में बंगलौर में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में रिकार्ड स्कोर बनाया। 1997 के राष्ट्रीय खेलों में उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी’ घोषित किया गया।[2]

दोहा एशियाड में स्वर्ण

कई वर्षों से जसपाल राणा का कॅरियर उतार की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा था। 1994 में उन्होंने स्वयं को साबित कर दिखाया था, उसके 12 वर्ष बाद जसपाल ने पुन: खुद को साबित कर दिखाया। वह एक शूटर के रूप में करीब-करीब गुमनामी में खो गए थे। उन्होंने दिसम्बर, 2006 में दोहा एशियाड में ऐसा कमाल कर दिखाया कि सभी की आँखें खुली की खुली रह गईं। पिस्टल किंग के रूप में मशहूर हो चुके जसपाल ने दोहा में कमाल का निशाना साधा और तीन गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीतकर सभी देशवासियों को प्रसन्न कर दिया। उन्होंने 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल का गोल्ड 590 अंकों के नए विश्व रिकॉर्ड के साथ जीता। इसके अतिरिक्त पुरुषों की 25 मीटर स्टेन्डर्ड फायर पिस्टल स्पर्धा जीती। जसपाल राणा ने न केवल तीन स्वर्ण पदक 2006 के दोहा एशियाई खेलों में जीते, वरन् 25 मीटर स्टैण्डर्ड पिस्टल टीम का रजत पदक भी जीता, जिसके अन्य सदस्य थे समरेश जंग और रौनक। उनसे ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी। अत: उनके पदकों ने सभी को चौंका दिया और उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि उनमें अभी भी दमखम है।

जसपाल ने एक साक्षात्कार में बताया कि वह आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं, लेकिन धर्म में नहीं। उनके पिता 'गीता' में बहुत विश्वास करते हैं। उन्होंने ही जसपाल को उन सिद्धान्तों को अपने जीवन में अपनाने की सलाह दी है। वह बहुत जल्दी अपना-आपा खो बैठते हैं। अत: जब भी वह ज्यादा क्रोधित होते हें, तब वह मेडिटेशन करते हैं। जसपाल राणा ने अपनी सफलता का श्रेय भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ को दिया। उनकी विजय के अवसर पर उनके पिता तथा कोच नारायण सिंह राणा बेहद प्रसन्न थे। उन्हें भी अपने पुत्र से इतने बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी। दोहा एशियाड से भारत वापस लौटने पर हवाई अड्‌डे पर जसपाल राणा का भव्य स्वागत किया गया था।[2]

पुरस्कार व सम्मान

जसपाल राणा ने निशानेबाजी में अनेक राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय रिकार्ड क़ायम किए हैं।[1] उन्हें कई पुरस्कारों व सम्मानों से भी नवाजा गया है-

  1. अर्जुन पुरस्कार - 1994
  2. यश भारती पुरस्कार - 1994
  3. बिड़ला फाउंडेशन पुरस्कार - 1994
  4. इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार
  5. राजधानी रत्न पुरस्कार
  6. दून गौरव पुरस्कार

उन्हें वर्ष 1995-1996 के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की ओर से छात्रवृत्ति भी प्रदान की गई थी।

उपलब्धियाँ

  1. 1993 में उत्तर कोरिया के प्योंगयांग में अन्तरराष्ट्रीय शूटिंग टूर्नामेंट में 1 स्वर्ण व एक रजत पदक जीता।
  2. 1994 में इटली के मिलान शहर में विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में 569/600 का नया विश्व रिकार्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता।
  3. विक्टोरिया, कनाडा में 1994 में 19वें राष्ट्रमण्डल खेलों में नया राष्ट्रमण्डल रिकार्ड बनाते हुए दो स्वर्ण, 1 रजत व एक कास्सं पदक हासिल किया।
  4. 1994 में 12वें एशियाई खेलों में हिरोशिमा, जापान में एक स्वर्ण व एक कांस्य पदक राणा ने जीता और एशियाई खेलों में 588/600 अकों का नया रिकार्ड स्थापित किया।
  5. 1995 में इंडोनेशिया के जकार्ता शहर में हुई एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में नया एशियाई रिकार्ड बनाते हुए 1 स्वर्ण तथा 3 कांस्य पदक जीते।
  6. 1995 में नई दिल्ली में पहले राष्ट्रमंडल शूटिंग चैंपियनशिप में जसपाल राणा ने अनेक नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए आठ स्वर्ण पदक प्राप्त किए।
  7. उन्होंने पिस्टल में 574/600, फ्री पिस्टल में 535/600 अंक 1996 के अटलांटा ओलंपिक खेलों में प्राप्त किए।
  8. 1997 में मलेशिया के लंकावी में दूसरे राष्ट्रमंडल शूटिंग चैंपियनशिप में 4 स्वर्ण तथा 1 रजत पदक प्राप्त किया।
  9. 1998 में मलेशिया के राष्ट्रमण्डल खेलों में 2 स्वर्ण तथा 2 रजत पदक प्राप्त किए।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 जसपाल राणा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।
  2. 2.0 2.1 2.2 2.3 जसपाल राणा का जीवन परिचय (हिंदी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 10 सितम्बर, 2016।

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