अंबर (वर्तमान आमेर): Difference between revisions

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==प्राकृतिक सौंदर्य==
==प्राकृतिक सौंदर्य==
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अंबर का प्राकृतिक सौंदर्य बहुत ही उच्च कोटि का है। दर्शनीय स्थानों में राजपूतों का [[क़िला|प्रासाद]] सुविख्यात है। इस प्रासाद को 1600 ई. में [[राजा मानसिंह]] ने बनवाया था। इसकी ऊँची मंजिल से चारों ओर का दृश्य अवर्णनीय रम्य चित्र उपस्थित करता है। यहाँ का 'दीवान-ए-आम' भी दर्शनीय भवन है। इसे [[मिर्ज़ा राजा जयसिंह]] ने बनवाया था। इसके खंभों की शिल्प कला [[इतिहास]] प्रसिद्ध है।
==वर्तमान आमेर नगरी==
==वर्तमान आमेर नगरी==
वर्तमान आमेर नगरी में कुछ पुराने आकर्षक ऐतिहासिक [[खंडहर|खंडहरों]] के अतिरिक्त और कुछ उल्लेखनीय नहीं है। यह नगरी इस समय लगभग उजड़ चुकी है। बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वंसोन्मुख हैं। [[इतिहास]] प्रसिद्ध अंबर नगरी अब एक स्मृति मात्र रह गई है। अंबर में नगरपालिका भी है।
वर्तमान आमेर नगरी में कुछ पुराने आकर्षक ऐतिहासिक [[खंडहर|खंडहरों]] के अतिरिक्त और कुछ उल्लेखनीय नहीं है। यह नगरी इस समय लगभग उजड़ चुकी है। बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वंसोन्मुख हैं। [[इतिहास]] प्रसिद्ध अंबर नगरी अब एक स्मृति मात्र रह गई है। अंबर में नगरपालिका भी है।

Latest revision as of 08:39, 24 April 2018

अंबर राजस्थान की एक प्राचीन विध्वस्त नगरी है। अंबर को वर्तमान में आमेर के नाम से जाना जाता है, जो 1728 ई. तक अंबर राज्य की राजधानी थी। यह राजस्थान की वर्तमान राजधानी जयपुर के उत्तर में लगभग पाँच मील की दूरी पर स्थित है। इसके पुराने इतिहास का अच्छी तरह पता नहीं चला है।

इतिहास

इस नगरी की स्थापना मीनाओं द्वारा हुई थी। 967 ई. में यह बहुत समृद्धिशाली राज्य था। मीणाओं ने सुरक्षा की दृष्टि से इस स्थान को उन विपत्तियों के दिनों में बड़ी बुद्धिमानी से चुना था। यह नगरी अरावली की एक घाटी में बसी है, जो लगभग चारों ओर से पर्वतों द्वारा घिरी हुई है। कई दिनों की लड़ाई के पश्चात्‌ राजपूतों ने इसे 1037 ई. में मीणाओं के राजा से जीत लिया और अपनी शक्ति को यहीं केंद्रित किया। तभी से यह राजपूतों की राजधानी बनी और राज्य का नाम भी अंबर राज्य पड़ा। 1728 ई. में जब इस राज्य की सत्ता सवाई जयसिंह द्वितीय के हाथ में गई, तो उन्होंने राजधानी को जयपुर में स्थानांतरित किया और इस कारण तब से अंबर की प्रसिद्धि घटती गई।[1]

प्राकृतिक सौंदर्य

अंबर का प्राकृतिक सौंदर्य बहुत ही उच्च कोटि का है। दर्शनीय स्थानों में राजपूतों का प्रासाद सुविख्यात है। इस प्रासाद को 1600 ई. में राजा मानसिंह ने बनवाया था। इसकी ऊँची मंजिल से चारों ओर का दृश्य अवर्णनीय रम्य चित्र उपस्थित करता है। यहाँ का 'दीवान-ए-आम' भी दर्शनीय भवन है। इसे मिर्ज़ा राजा जयसिंह ने बनवाया था। इसके खंभों की शिल्प कला इतिहास प्रसिद्ध है।

वर्तमान आमेर नगरी

वर्तमान आमेर नगरी में कुछ पुराने आकर्षक ऐतिहासिक खंडहरों के अतिरिक्त और कुछ उल्लेखनीय नहीं है। यह नगरी इस समय लगभग उजड़ चुकी है। बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वंसोन्मुख हैं। इतिहास प्रसिद्ध अंबर नगरी अब एक स्मृति मात्र रह गई है। अंबर में नगरपालिका भी है।

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अंबर (वर्तमान आमेर) (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 12 जून, 2015।

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