पुदुचेरी विलय दिवस: Difference between revisions

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==विदेशी आधिपत्य==
==विदेशी आधिपत्य==
सम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद का विरोध स्वतंत्र [[भारत]] की प्रमुख निति थी। इसका स्वाभाविक परिणाम यह था कि भारत अपनी उस जमीन पर फिर से दावा करता, जो विदेशियों के कब्जे में थी। अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद भी [[गोवा]] पर [[पुर्तग़ाल]] का कब्जा था, जबकि पांडिचेरी (वर्तमान पुदुचेरी) पर फ़ाँस का आधिपत्य बरकरार था।
सम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद का विरोध स्वतंत्र [[भारत]] की प्रमुख निति थी। इसका स्वाभाविक परिणाम यह था कि भारत अपनी उस जमीन पर फिर से दावा करता, जो विदेशियों के कब्जे में थी। अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद भी [[गोवा]] पर [[पुर्तग़ाल]] का क़ब्ज़ा था, जबकि पांडिचेरी (वर्तमान पुदुचेरी) पर फ़ाँस का आधिपत्य बरकरार था।
==भारत में विलय==
==भारत में विलय==
भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद [[गोवा]] व पुदुचेरी के लोगों ने अपनी आजादी व भारत में विलय की मांग प्रारम्भ की और इसके लिए आंदोलन प्रारम्भ किये। [[1954]] ई में पुदुचेरी में माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया। भारत में विलय के लिए व्यापक आंदोलन उठ खड़ा हुआ।
भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद [[गोवा]] व पुदुचेरी के लोगों ने अपनी आजादी व भारत में विलय की मांग प्रारम्भ की और इसके लिए आंदोलन प्रारम्भ किये। [[1954]] ई में पुदुचेरी में माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया। भारत में विलय के लिए व्यापक आंदोलन उठ खड़ा हुआ।

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पुदुचेरी विलय दिवस
राजधानी पॉंडिचेरी
राजभाषा(एँ) तमिल भाषा, तेलुगु भाषा, मलयालम भाषा, फ्रांसीसी भाषा
स्थापना 1 नवंबर, 1964
जनसंख्या 973829
· घनत्व 1,979 /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 492 वर्ग किमी[1]
भौगोलिक निर्देशांक 11.93°N 79.83°E
ज़िले 4
मुख्य ऐतिहासिक स्थल अरिकमेडु
साक्षरता 81.49[1]%
उपराज्यपाल किरण बेदी[1]
मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी[1]
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

पुदुचेरी विलय दिवस प्रत्येक वर्ष भारत में 1 नवम्बर को मनाया जाता है। पुदुचेरी या पाण्डिचेरी लगभग तीन सौ सालों तक फ़्राँसीसी अधिकार में रहा। जनरल डूमा फ़्राँसीसी उपनिवेश पाण्डिचेरी का गवर्नर था। प्राचीन समय में फ़्राँस से व्यापार का यह प्रमुख केंद्र था। फ़ाँसीसी संस्कृति और वास्तुशिल्प के प्रमाण आज भी यहाँ कहीं-कहीं दिख जाते हैं। आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

विदेशी आधिपत्य

सम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद का विरोध स्वतंत्र भारत की प्रमुख निति थी। इसका स्वाभाविक परिणाम यह था कि भारत अपनी उस जमीन पर फिर से दावा करता, जो विदेशियों के कब्जे में थी। अंग्रेज़ों के चले जाने के बाद भी गोवा पर पुर्तग़ाल का क़ब्ज़ा था, जबकि पांडिचेरी (वर्तमान पुदुचेरी) पर फ़ाँस का आधिपत्य बरकरार था।

भारत में विलय

भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद गोवा व पुदुचेरी के लोगों ने अपनी आजादी व भारत में विलय की मांग प्रारम्भ की और इसके लिए आंदोलन प्रारम्भ किये। 1954 ई में पुदुचेरी में माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया। भारत में विलय के लिए व्यापक आंदोलन उठ खड़ा हुआ।

मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में फ़्राँसीसी दूतावास के सामने हर रोज प्रदर्शन होने लगे। नवम्बर, 1954 में फ़ाँस ने पुदुचेरी को भारत को सौंप दिया, जिसका लोगों ने व्यापक स्वागत किया। सन 1955 के गणतंत्र दिवस में पहली बार राजपथ पर पुदुचेरी की झाँकी निकाली गई। इस तरह पुदुचेरी का शांतिपूर्ण रूप से भारत में विलय हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 Dr. IQBAL SINGH (हिन्दी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 14, 2012।

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