बिलग्राम का युद्ध

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:14, 17 April 2013 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''बिलग्राम का युद्ध''' मुग़ल बादशाह हुमायूँ और [[सूर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

बिलग्राम का युद्ध मुग़ल बादशाह हुमायूँ और सूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह के मध्य हुआ था।

  • यह युद्ध वर्ष 1540 ई. में लड़ा गया था।
  • इस युद्ध के परिणामस्वरूप हुमायूँ शेरशाह सूरी द्वारा पराजित हुआ।
  • बिलग्राम का युद्ध जीतने के बाद शेरशाह ने हुमायूँ को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया।
  • उत्तर भारत में द्वितीय अफ़ग़ान साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह द्वारा बाबर के चंदेरी अभियान के दौरान कहे गये ये शब्द अक्षरशः सत्य सिद्ध हुए कि- "अगर भाग्य ने मेरी सहायता की और सौभाग्य मेरा मित्र रहा, तो मै मुग़लों को सरलता से भारत से बाहर निकाला दूँगा।"


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः