डोरोथी हम्रे

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:27, 20 June 2020 by दिनेश (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|200px|डोरोथी हम्रे डोरोथी हम्रे (अंग्रेज़ी: Dorothy Hamre, जन्म- 1915; मृत्यु- 1989) प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिक थीं। बीसवीं सदी के छठे दशक में शिकागो यूनिवर्सिटी में कार्यरत विषाणु वैज्ञानिक डोरोथी हम्रे ने एक विषाणु का पता लगाया, जो श्वसन तंत्र में संक्रमण पैदा करता था। इस विषाणु को उन्होंने नाम दिया- ‘229 E’। असल में डोरोथी हम्रे मनुष्य के श्वसन तंत्र में होने वाले विषाणुजनित संक्रमणों का अध्ययन कर रही थीं। इसके लिए वर्ष 1962 में उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी के उन छात्रों के नमूने इकट्ठा करने शुरू किए, जो सामान्य सर्दी-जुकाम से पीड़ित होते थे। अपने अध्ययन के परिणाम चार साल बाद डोरोथी हम्रे ने चिकित्सा की महत्त्वपूर्ण पत्रिका ‘एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी एंड मेडिसिन’ में प्रकाशित किये थे।

परिचय

बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में दुनिया श्वसन प्रणाली से जुड़ी दूसरी संक्रमणजनित बीमारियों जैसे इंफ्लुएंज़ा और राइनो वाइरस के बारे में काफी कुछ जान चुकी थी। लेकिन कोरोना वाइरस से वैज्ञानिक संसार को परिचित कराने का श्रेय जाता है डोरोथी हम्रे को। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से विज्ञान की उच्च शिक्षा हासिल करने वाली डोरोथी ने कोलरैडो यूनिवर्सिटी से विषाणु विज्ञान पर शोध किया। शिकागो यूनिवर्सिटी के चिकित्सा विभाग से जुड़ने से पूर्व वे जीवाणु वैज्ञानिक के रूप में कई वैज्ञानिक संस्थानों में काम कर चुकी थीं।[1]

'नैशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़' (बेंगलुरु) में कार्यरत वैज्ञानिक पी. बलराम के अनुसार- "डोरोथी हम्रे के करीब पचास शोध आलेख ज़रूर ऑनलाइन उपलब्ध थे। लेकिन ख़ुद डोरोथी हम्रे के बारे में कोई जानकारी या उनकी कोई तस्वीर उपलब्ध नहीं थी। यह जानकारी जुटाने के क्रम में उन्होंने उन तमाम विश्वविद्यालयों, संस्थानों से संपर्क किया, जिनसे कभी डोरोथी हम्रे जुड़ी हुई थीं। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और नॉर्थ एरिज़ोना यूनिवर्सिटी की क्लाइन लाइब्रेरी से उन्हें डोरोथी हम्रे से जुड़े दस्तावेज़ और उनकी दुर्लभ तस्वीरें भी मिलीं।"

कोरोना विषाणु की खोज

साठ के दशक में ही इंग्लैंड के दो वैज्ञानिक डेविड टिरेल और मैल्कम बाइनो भी श्वसन तंत्र के संक्रमण से जुड़े विषाणुओं पर काम कर रहे थे। उन्होंने भी कोरोना वाइरस के एक प्रकार का पता लगाया, जिसे उन लोगों ने ‘B 814’ कहा। बाद में, वैज्ञानिक जून अल्मेडा ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल कर उस वाइरस की पहली तस्वीर ली। जो आज कोरोना वाइरस की उपलब्ध पहली तस्वीर है।

1975 में टिरेल, अल्मेडा आदि वैज्ञानिकों ने ‘इंटरवाइरोलॉजी’ पत्रिका में छपे एक लेख में श्वसन तंत्र के संक्रमण से संबंधित इन नए विषाणुओं के लिए एक नया नाम सुझाया ‘कोरोना वाइरस’। कोरोना वाइरस का नाम तो आज दुनिया भर की ज़ुबान पर है, लेकिन विडम्बना ये है कि कोरोना वाइरस का पता लगाने वाली वैज्ञानिक डोरोथी हम्रे को लोग भूल गए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः