Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान"

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||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|right|100px|टीपू सुल्तान]]'[[टीपू सुल्तान]]' '[[भारतीय इतिहास]]' में 'शेर-ए-मैसूर' के नाम से प्रसिद्ध है। वह प्रसिद्ध योद्धा [[हैदर अली]] का पुत्र था। हैदर अली की मृत्यु के बाद पुत्र टीपू सुल्तान ने [[मैसूर]] की सेना की कमान संभाली थी। टीपू अपने पिता की ही भांति योग्य एवं पराक्रमी था। '[[मैसूर युद्ध तृतीय|मैसूर की तीसरी लड़ाई]]' में भी जब [[अंग्रेज़]] [[टीपू सुल्तान]] को नहीं हरा पाए, तो उन्होंने [[मैसूर]] के इस शेर से 'मेंगलूर की संधि' नाम से एक समझौता किया। लेकिन 'फूट डालो और शासन करो' की नीति चलाने वाले अंग्रेज़ों ने संधि करने के कुछ समय बाद ही टीपू से गद्दारी कर डाली। [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने [[हैदराबाद]] के साथ मिलकर चौथी बार टीपू पर ज़बर्दस्त हमला किया और आख़िरकार '[[4 मई]], सन् 1799 ई.' को मैसूर का शेर [[श्रीरंगपट्टनम]] की रक्षा करते हुए शहीद हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुल्तान]]
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||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|right|100px|टीपू सुल्तान]] '[[टीपू सुल्तान]]' [[भारतीय इतिहास]] में 'शेर-ए-मैसूर' के नाम से प्रसिद्ध है। वह प्रसिद्ध योद्धा [[हैदर अली]] का पुत्र था। हैदर अली की मृत्यु के बाद पुत्र टीपू सुल्तान ने [[मैसूर]] की सेना की कमान संभाली थी। टीपू अपने पिता की ही भांति योग्य एवं पराक्रमी था। '[[मैसूर युद्ध तृतीय|मैसूर की तीसरी लड़ाई]]' में भी जब [[अंग्रेज़]] [[टीपू सुल्तान]] को नहीं हरा पाए, तो उन्होंने [[मैसूर]] के इस शेर से 'मेंगलूर की संधि' नाम से एक समझौता किया। लेकिन 'फूट डालो और शासन करो' की नीति चलाने वाले अंग्रेज़ों ने संधि करने के कुछ समय बाद ही टीपू से गद्दारी कर डाली। [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने [[हैदराबाद]] के साथ मिलकर चौथी बार टीपू पर ज़बर्दस्त हमला किया और आख़िरकार '[[4 मई]], सन् 1799 ई.' को मैसूर का शेर [[श्रीरंगपट्टनम]] की रक्षा करते हुए शहीद हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुल्तान]]
  
 
{[[बुद्ध]] में वैराग्य भावना किन चार दृश्यों के कारण बलवती हुई?
 
{[[बुद्ध]] में वैराग्य भावना किन चार दृश्यों के कारण बलवती हुई?
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-लंगड़ा, रोगी, लाश, संन्यासी
 
-लंगड़ा, रोगी, लाश, संन्यासी
 
-युवा, रोगी, लाश, संन्यासी
 
-युवा, रोगी, लाश, संन्यासी
||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|100px|अभिलिखित अभय मुद्रा में बुद्ध]][[गौतम बुद्ध]] का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। वे [[शुद्धोदन|राजा शुद्धोदन]] और महामाया के पुत्र थे। शुद्धोदन ने सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनाना चाहा, उसमें क्षत्रियोचित गुण उत्पन्न करने के लिये समुचित शिक्षा आदि का प्रबंध भी किया, किंतु सिद्धार्थ सदा किसी चिंता में डूबे दिखाई देते थे। अंत में [[पिता]] ने उन्हें [[विवाह]] बंधन में बांध दिया। एक दिन जब सिद्धार्थ रथ पर भ्रमण के लिये निकले तो उन्होंने मार्ग में जो कुछ भी देखा, उसने उनके जीवन की दिशा ही बदल डाली। एक बार एक दुर्बल वृद्ध व्यक्ति को, एक बार एक रोगी को और एक बार एक शव को देख कर वे संसार से और भी अधिक विरक्त तथा उदासीन हो गये। एक अन्य अवसर पर उन्होंने प्रसन्नचित्त संन्यासी को देखा। उसके चेहरे पर शांति और तेज़ की अपूर्व चमक विराजमान थी। इस दृश्य को देखकर सिद्धार्थ अत्यधिक प्रभावित हुए और उनके मन में वैराग्य की भावना बलवती हो उठी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बुद्ध]]
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||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|100px|अभिलिखित अभय मुद्रा में बुद्ध]] [[गौतम बुद्ध]] का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। वे [[शुद्धोदन|राजा शुद्धोदन]] और महामाया के पुत्र थे। शुद्धोदन ने सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनाना चाहा, उसमें क्षत्रियोचित गुण उत्पन्न करने के लिये समुचित शिक्षा आदि का प्रबंध भी किया, किंतु सिद्धार्थ सदा किसी चिंता में डूबे दिखाई देते थे। अंत में [[पिता]] ने उन्हें [[विवाह]] बंधन में बांध दिया। एक दिन जब सिद्धार्थ रथ पर भ्रमण के लिये निकले तो उन्होंने मार्ग में जो कुछ भी देखा, उसने उनके जीवन की दिशा ही बदल डाली। एक बार एक दुर्बल वृद्ध व्यक्ति को, एक बार एक रोगी को और एक बार एक शव को देख कर वे संसार से और भी अधिक विरक्त तथा उदासीन हो गये। एक अन्य अवसर पर उन्होंने प्रसन्नचित्त संन्यासी को देखा। उसके चेहरे पर शांति और तेज़ की अपूर्व चमक विराजमान थी। इस दृश्य को देखकर सिद्धार्थ अत्यधिक प्रभावित हुए और उनके मन में वैराग्य की भावना बलवती हो उठी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बुद्ध]]
  
 
{[[सम्राट अशोक]] की वह कौन-सी पत्नी थी, जिसने उसे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था?
 
{[[सम्राट अशोक]] की वह कौन-सी पत्नी थी, जिसने उसे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था?
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-गौतमी
 
-गौतमी
 
+[[कारुवाकी]]
 
+[[कारुवाकी]]
||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|100px|भारतीय संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि ]]'सम्राट अशोक' को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार के लिए जाना जाता है। जीवन के उत्तरार्ध में [[अशोक]] [[गौतम बुद्ध]] का [[भक्त]] हो गया था। कतिपय लेखों में उसके नज़दीकी रिश्तेदारों के नाम भी दिये गये हैं। इनमें उसकी दूसरी रानी [[कारुवाकी]] और उसके पुत्र तीवर के उल्लेख हैं। एक बाद के लेख में अशोक के पोते [[दशरथ मौर्य|दशरथ]] का नाम आया है। [[अशोक के अभिलेख|अशोक के लेखों]] में और जनश्रुतियों में भी अशोक की कई पत्नियाँ होने का उल्लेख है। सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उसकी पहली पत्नी का नाम 'देवी' था, जो वेदिसगिरि के एक धनी श्रेष्ठी की पुत्री थी। अशोक ने उसके साथ तब [[विवाह]] किया, जब वह [[उज्जैन]] में वाइसराय था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक का परिवार]], [[सम्राट अशोक]]
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||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|100px|भारतीय संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि ]]'सम्राट अशोक' को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार के लिए जाना जाता है। जीवन के उत्तरार्ध में [[अशोक]] [[गौतम बुद्ध]] का [[भक्त]] हो गया था। कतिपय लेखों में उसके नज़दीकी रिश्तेदारों के नाम भी दिये गये हैं। इनमें उसकी दूसरी रानी [[कारुवाकी]] और उसके पुत्र तीवर के उल्लेख हैं। एक बाद के लेख में अशोक के पोते [[दशरथ मौर्य|दशरथ]] का नाम आया है। [[अशोक के अभिलेख|अशोक के लेखों]] में और जनश्रुतियों में भी अशोक की कई पत्नियाँ होने का उल्लेख है। सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उसकी पहली पत्नी का नाम 'देवी' था, जो वेदिसगिरि के एक धनी श्रेष्ठी की पुत्री थी। अशोक ने उसके साथ तब [[विवाह]] किया, जब वह [[उज्जैन]] में वाइसराय था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक का परिवार]], [[अशोक|सम्राट अशोक]]
  
 
{निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन राजवंश कौन-सा है?
 
{निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन राजवंश कौन-सा है?
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+[[अशोक]]
 
+[[अशोक]]
 
-[[दशरथ]]
 
-[[दशरथ]]
||[[चित्र:Asoka's-Pillar.jpg|right|80px|अशोक का स्तम्भ, वैशाली]]'अशोक' [[प्राचीन भारत]] के [[मौर्य]] सम्राट [[बिंदुसार]] का पुत्र था, जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ हुए गृह-युद्ध के बाद 272 ई. पूर्व [[अशोक]] को राजगद्दी मिली और 232 ई. पूर्व तक उसने शासन किया। आरंभ में अशोक भी अपने पितामह [[चंद्रगुप्त मौर्य]] और [[पिता]] बिंदुसार की भाँति युद्ध के द्वारा साम्राज्य विस्तार करता चला गया। [[कश्मीर]], [[कलिंग]] तथा कुछ अन्य प्रदेशों को जीतकर उसने संपूर्ण [[भारत]] में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था, जिसकी सीमाएँ पश्चिम में [[ईरान]] तक फैली हुई थीं। दक्षिण में मौर्य प्रभाव के प्रसार की जो प्रक्रिया चंद्रगुप्त मौर्य के काल में आरम्भ हुई थी, वह अशोक के नेतृत्व में और भी अधिक पुष्ट हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]]
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||[[चित्र:Asoka's-Pillar.jpg|right|80px|अशोक का स्तम्भ, वैशाली]]'अशोक' [[प्राचीन भारत]] के [[मौर्य]] सम्राट [[बिंदुसार]] का पुत्र था, जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ हुए गृह-युद्ध के बाद 272 ईसा पूर्व [[अशोक]] को राजगद्दी मिली और 232 ईसा पूर्व तक उसने शासन किया। आरंभ में अशोक भी अपने पितामह [[चंद्रगुप्त मौर्य]] और [[पिता]] बिंदुसार की भाँति युद्ध के द्वारा साम्राज्य विस्तार करता चला गया। [[कश्मीर]], [[कलिंग]] तथा कुछ अन्य प्रदेशों को जीतकर उसने संपूर्ण [[भारत]] में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था, जिसकी सीमाएँ पश्चिम में [[ईरान]] तक फैली हुई थीं। दक्षिण में मौर्य प्रभाव के प्रसार की जो प्रक्रिया चंद्रगुप्त मौर्य के काल में आरम्भ हुई थी, वह अशोक के नेतृत्व में और भी अधिक पुष्ट हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]]
  
 
{निम्न में से किसने अपनी राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से [[मुंगेर]] स्थानान्तरित की?
 
{निम्न में से किसने अपनी राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से [[मुंगेर]] स्थानान्तरित की?
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-[[मीर ज़ाफ़र]]
 
-[[मीर ज़ाफ़र]]
 
+[[मीर क़ासिम]]
 
+[[मीर क़ासिम]]
||[[चित्र:Nawab-Mir-Qasim.jpg|right|100px|मीर क़ासिम]]'मीर क़ासिम' 1760 ई. से 1764 ई. तक [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] का नवाब रहा था। उसका पूरा नाम 'मीर मुहम्मद क़ासिम अली ख़ान' था। [[मीर क़ासिम]] को ब्रिटिश '[[ईस्ट इंडिया कम्पनी]]' की सहायता से नवाब बनाया गया था। शासन कार्यों में मीर क़ासिम, [[मीर ज़ाफ़र]] से अधिक योग्य तथा अधिक दृढ़ व्यक्ति था। उसने [[मालगुज़ारी]] की वसूली के नियम अधिक कठोर बना दिए और राज्य की आय लगभग दूनी कर दी। उसने फ़ौज का भी संगठन किया और [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकाता) के अनुचित हस्तक्षेप से अपने को दूर रखने के लिए राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से उठाकर [[मुंगेर]] ले गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मीर क़ासिम]]
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||[[चित्र:Nawab-Mir-Qasim.jpg|right|100px|मीर क़ासिम]] 'मीर क़ासिम' 1760 ई. से 1764 ई. तक [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] का [[नवाब]] रहा था। उसका पूरा नाम 'मीर मुहम्मद क़ासिम अली ख़ान' था। [[मीर क़ासिम]] को ब्रिटिश '[[ईस्ट इंडिया कम्पनी]]' की सहायता से नवाब बनाया गया था। शासन कार्यों में मीर क़ासिम, [[मीर ज़ाफ़र]] से अधिक योग्य तथा अधिक दृढ़ व्यक्ति था। उसने [[मालगुज़ारी]] की वसूली के नियम अधिक कठोर बना दिए और राज्य की आय लगभग दूनी कर दी। उसने फ़ौज का भी संगठन किया और [[कलकत्ता]] (वर्तमान [[कोलकाता]]) के अनुचित हस्तक्षेप से अपने को दूर रखने के लिए राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से उठाकर [[मुंगेर]] ले गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मीर क़ासिम]]
  
 
{किस ग्रन्थ में [[शूद्र|शूद्रों]] के लिए [[आर्य]] शब्द का प्रयोग हुआ है?
 
{किस ग्रन्थ में [[शूद्र|शूद्रों]] के लिए [[आर्य]] शब्द का प्रयोग हुआ है?
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-'[[भूमरा]]' ([[मध्य प्रदेश]]) से
 
-'[[भूमरा]]' ([[मध्य प्रदेश]]) से
 
-'[[तिगवा]]' (मध्य प्रदेश) से
 
-'[[तिगवा]]' (मध्य प्रदेश) से
||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|100px|right|चन्द्रगुप्त मौर्य]]'बयाना' [[राजस्थान]] के [[भरतपुर ज़िला|भरतपुर ज़िले]] में स्थित एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस स्थान का प्राचीन नाम 'बाणपुर' कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इसके अन्य नाम 'वाराणसी', 'श्रीप्रस्थ' या 'श्रीपुर' भी उपलब्ध हैं। 'ऊखा मन्दिर' से प्राप्त 956 ई. के एक [[अभिलेख]] से ज्ञात होता है कि यहाँ का राजा उस समय लक्ष्मण सेन था। [[बयाना]] से 1821 ई. में [[सोना|सोने]] के सिक्कों का भारी ढेर प्राप्त हुआ है, जो [[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] हैं। इससे [[गुप्त]] शासकों की आर्थिक समृद्धि का प्रमाण मिलता है। इनमें अधिक सिक्के [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के हैं। इन सिक्कों में कई नये प्रकार के सिक्के हैं, जो गुप्त शासकों की विविधता प्रमाणित करते हैं। इन सिक्कों से [[गुप्त वंश|गुप्तवंशीय]] [[कुमारगुप्त द्वितीय]] के इतिहास पर नया प्रकाश पड़ता है। अनुमान लगाया है कि लगभग 540 ई. के आस-पास [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के समय इस खज़ाने को ज़मीन में गाड़ दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बयाना]]
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||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|100px|right|चन्द्रगुप्त मौर्य]]'बयाना' [[राजस्थान]] के [[भरतपुर ज़िला|भरतपुर ज़िले]] में स्थित एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस स्थान का प्राचीन नाम 'बाणपुर' कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इसके अन्य नाम 'वाराणसी', 'श्रीप्रस्थ' या 'श्रीपुर' भी उपलब्ध हैं। 'ऊखा मन्दिर' से प्राप्त 956 ई. के एक [[अभिलेख]] से ज्ञात होता है कि यहाँ का राजा उस समय [[लक्ष्मण सेन]] था। [[बयाना]] से 1821 ई. में [[सोना|सोने]] के सिक्कों का भारी ढेर प्राप्त हुआ है, जो [[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] हैं। इससे [[गुप्त]] शासकों की आर्थिक समृद्धि का प्रमाण मिलता है। इनमें अधिक सिक्के [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के हैं। इन सिक्कों में कई नये प्रकार के सिक्के हैं, जो गुप्त शासकों की विविधता प्रमाणित करते हैं। इन सिक्कों से [[गुप्त वंश|गुप्तवंशीय]] [[कुमारगुप्त द्वितीय]] के इतिहास पर नया प्रकाश पड़ता है। अनुमान लगाया है कि लगभग 540 ई. के आस-पास [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के समय इस खज़ाने को ज़मीन में गाड़ दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बयाना]]
 
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Revision as of 10:10, 18 November 2014

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
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1 tipoo sultan ne aangrezoan ke sath yuddh karate hue kab viragati prapt ki?

1857 ee.
1793 ee.
1799 ee.
1769 ee.

2 buddh mean vairagy bhavana kin char drishyoan ke karan balavati huee?

boodha, rogi, mritak, sannyasi
andha, rogi, lash, sannyasi
lang da, rogi, lash, sannyasi
yuva, rogi, lash, sannyasi

3 samrat ashok ki vah kaun-si patni thi, jisane use sabase zyada prabhavit kiya tha?

chandalika
charulata
gautami
karuvaki

4 nimnalikhit mean se sabase prachin rajavansh kaun-sa hai?

maury vansh
gupt vansh
kushan vansh
kanv vansh

5 ashok ke shilalekhoan ko padhane vala pratham aangrez kaun tha?

j aaun tavar
jems priansep
hairi smith
charls maitak aauf

6 'shrinagar' ki sthapana kis shasak ne ki thi?

bindusar
skandagupt
ashok
dasharath

7 nimn mean se kisane apani rajadhani murshidabad se muanger sthanantarit ki?

alivardi khaan
sirajuddaula
mir zafar
mir qasim

8 kis granth mean shoodroan ke lie ary shabd ka prayog hua hai?

arthashastr
mudrarakshas
ashtadhyayi
vrihatkathamanjari

9 purushapur’ nimnalikhit mean se kisaka prachin nam tha?

patana
pataliputr
peshavar
panjab

10 guptakal ke sikkoan ka sabase b da dher kahaan se prapt hua hai?

'bayana' (bharatapur) se
'devagadh' (jhaansi) se
'bhoomara' (madhy pradesh) se
'tigava' (madhy pradesh) se

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan