एन. टी. रामाराव

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एन. टी. रामाराव
पूरा नाम नन्दमूरि तारक रामाराव
अन्य नाम एनटीआर
जन्म 28 मई, 1923
जन्म भूमि निम्माकुरु, कृष्ण ज़िला, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 18 जनवरी, 1996
मृत्यु स्थान हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
पति/पत्नी प्रथम-बासव तारकम, द्वितीय- लक्ष्मी पार्वती
संतान 8 पुत्र, 4 पुत्रियाँ
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि तेलुगु अभिनेता, राजनेता
पार्टी तेलुगु देशम पार्टी
पद मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश
कार्य काल 9 जनवरी 1983 - 1989 और 1994 में 9 माह तक।
शिक्षा स्नातक
विद्यालय आन्ध्र-क्रिश्चियन कॉलेज
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री
विशेष योगदान एन. टी. रामाराव का तेलुगु फ़िल्मों में विशेष योगदान रहा है। उनकी प्रतिभा और फ़िल्म जगत् में योगदान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके नाम पर एन.टी.आर. नेशनल अवॉर्ड दिया जाता है।
संबंधित लेख तेलुगु देशम पार्टी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, पद्म श्री, चंद्रबाबू नायडू
पहली फ़िल्म मना देसम
अन्य जानकारी एन. टी. रामाराव इतने लोकप्रिय थे, कि इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर थी उस समय भी आंध्र प्रदेश में उनकी ही सरकार बनी थी।
अद्यतन‎

एन. टी. रामाराव या नन्दमूरि तारक रामाराव (अंग्रेज़ी: N. T. Rama Rao, जन्म- 28 मई 1923 निम्माकुरु, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत; मृत्यु- 18 जनवरी 1996, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश) तेलुगु फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक और निर्माता थे। वे अभिनेता के साथ ही एक अच्छे राजनेता भी थे। एनटीआर के उपनाम से प्रसिद्ध रामाराव ने तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। राजनीति में आने से पहले वे तेलुगु फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता थे। उन्होंने हिन्दू देवताओं जैसे कृष्ण और राम के जीवन से सम्बंधित बहुत-सी फ़िल्मों में काम किया और दर्शकों के चहेते बन गए। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए, वे भारत सरकार के द्वारा सन 1968 में पद्म श्री से सम्मानित किए गये।[1]

परिचय

एन. टी. रामाराव का जन्म 28 मई 1923 को मद्रास प्रेसीडेंसी के कृष्ण ज़िले के एक छोटे से ग्राम निम्माकुरु में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही एक शिक्षक सुब्बाराव से ग्रहण की। उनके माता-पिता ने बचपन में ही उन्हें उनके मामा को गोद दे दिया था। गांव में अच्छी शिक्षा का प्रबंध नहीं था, इसलिए वे अपने गांव में महज पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए। इसके पश्चात् वह अपने दत्तक माता-पिता के साथ विजयवाड़ा चले गए जहाँ उन्होंने नगर निगम के विद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने सन 1940 में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए विजयवाड़ा के एस. आर. आर. और सी. वी. आर. कॉलेज में दाखिला लिया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए पढ़ाई के दौरान रामाराव अपने परिवार की मदद करने के लिए विजयवाड़ा के स्थानीय होटलों में दूध वितरण का कार्य करते थे। वर्ष 1945 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए आन्ध्र-क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। सन 1942 में उन्होंने अपने मामा की बेटी के साथ विवाह किया।

वैवाहिक स्थिति

एन. टी. रामाराव का सन 1942 में उनके मामा की बेटी बासव तारकम से विवाह हुआ, जिनसे उनके आठ बेटे और चार बेटियां हुईं। वर्ष 1985 में उनकी पत्नी बासव तारकम का देहांत हो गया। 1993 में सत्तर साल की उम्र में रामाराव ने लक्ष्मी पार्वती से पुनः विवाह किया, जो एक तेलुगु लेखक थीं। लेकिन एन.टी.आर. के परिवार ने लक्ष्मी को कभी भी स्वीकार नहीं किया।

फ़िल्मी सफर

एन.टी. रामाराव ने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत 1949 में 'मना देसम' नामक तेलुगु फ़िल्म से की थी, जिसमें उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई थी। इसके बाद उन्होंने एक अंग्रेज़ी नाटक 'पिजारो' पर आधारित और बी. ए. सुब्बाराव द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘पल्लेतुरी पिल्ला’ में अभिनय किया। इस फ़िल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की। इस फ़िल्म के बाद रामाराव एक लोकप्रिय अभिनेता बन गए। अपनी पहली पौराणिक फ़िल्म ‘माया बाज़ार’ में उन्होंने हिन्दू देवता कृष्ण का चरित्र निभाया था। यह फ़िल्म भी बहुत कामयाब हुई, जिसके बाद एन. टी. रामाराव ने अधिकांशत: हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित फ़िल्में की।

उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, भीष्म, अर्जुन, कर्ण, दुर्योधन, विष्णु, शिव आदि के किरदार निभाए। उन्होंने 17 फ़िल्मों में कृष्ण का चरित्र निभाया था, जिनमें प्रमुख फ़िल्में इस प्रकार हैं- ‘श्री कृष्णार्जुन युधम’, ‘कर्ण’ और ‘दानवीर सूर कर्ण’। कुछ समय बाद रामाराव ने पौराणिक फ़िल्मों को छोड़ ऐसे किरदारों को निभाया जो स्थापित व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ता है। ये फ़िल्में आम आदमी के बीच बहुत लोकप्रिय हुईं। इनमें प्रमुख इस प्रकार हैं- ‘देवुदु चेसिना मनुशुलु’, ‘अदावी रामुडु’, ‘ड्राईवर रामुडु’, ‘वेतागादु’, ‘सरदार पापा रायुडु’, ‘जस्टिस चौधरी’ इत्यादि।

लेखक व निर्माता

एन. टी. रामाराव ने फ़िल्मों में पटकथा लेखन भी किया है। उन्होंने फ़िल्म निर्माता के तौर पर कई फ़िल्में भी बनायीं और राजनीति में प्रवेश के बाद भी फ़िल्मों में कार्य करते रहे। उनकी प्रतिभा और फ़िल्म जगत् में योगदान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके नाम पर एन.टी.आर. नेशनल अवॉर्ड दिया जाता है।

प्रमुख फ़िल्में

[[चित्र:N-T-Rama-Rao-Stamp.jpg|thumb|250px|एन. टी. रामाराव पर डाक टिकट]]

क्रम संख्या फ़िल्म का नाम क्रम संख्या फ़िल्म का नाम
1. मना देसम 2. पल्लेतुरी पिल्ला
3. कर्ण 4. दानवीर सूर कर्ण
5. अदावी रामुडु 6. ड्राईवर रामुडु
7. सरदार पापा रायुडु 8. जस्टिस चौधरी
9. श्री कृष्णार्जुन युधम 10. देवुदु चेसिना मनुशुलु
11. वेतागादु 12. पाताल भैरवी

राजनीतिक कॅरियर

एन. टी. रामाराव ने सन 1982 में आंध्र प्रदेश को कांग्रेस के राज और आधिपत्य से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना कर राजनीति में प्रवेश किया। जब उन्होंने राजनैतिक जीवन आरम्भ किया तब वे तेलुगु सिनेमा के सफल और लोकप्रिय अभिनेता थे। चुनावों में उनकी पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली। 9 जनवरी 1983 को वे दस कैबिनेट मंत्रिओं और पांच राज्य मंत्रिओं के साथ आंध्र प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री बने। 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अपने पहले कार्यकाल के दौरान रामाराव ने जन मानस को एकत्र करना शुरू किया और महिलाओं और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने का कार्य किया। अगस्त 1984 में आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल रामलाल ने उन्हें हटाकर भास्कर राव को मुख्यमंत्री बना दिया पर भारी विरोध प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री ने राज्यपाल रामलाल को हटाकर शंकर दयाल शर्मा को नया राज्यपाल नियुक्त किया जिन्होंने रामाराव को सितम्बर 1984 में फिर से मुख्यमंत्री बनाया।

एन.टी. रामाराव इतने लोकप्रिय थे, कि इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर थी तब बस आंध्र प्रदेश में कांग्रेस नहीं जीत पाई। इतना ही नहीं तेलुगु देशम लोक सभा में मुख्य विपक्षी दल भी बन गया। वर्ष 1989 के चुनाव में विरोधी लहर के कारण तेलुगु देशम पार्टी चुनाव हार गयी और कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में वापस आ गयी। सन 1994 में एन. टी. रामाराव दोबारा सत्ता में लौटे। उनकी तेलुगु देशम पार्टी की 226 सीटों पर विजय हुई। इस बार ये महज 9 महीने के लिए ही मुख्यमंत्री पद रह पाए क्योंकि उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी के अन्दर भीतरघात कर रामाराव को पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद से हटा दिया।[1]

निधन

एन. टी. रामाराव का निधन 18 जनवरी 1996 को हैदराबाद, आंध्र प्रदेश में हुआ था।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 एन. टी. रामाराव (हिंदी) hindi.culturalindia.net। अभिगमन तिथि: 5 फ़रवरी, 2017।

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