संवर्तव्यापी
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संवर्तव्यापी का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत वन पर्व के अनुसार यह एक दुर्लभ तीर्थ का नाम है, जहाँ स्नान करने से मनुष्य सुन्दर रूप का भाजन बन जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 507 |
- ↑ महाभारत वन पर्व 85.31
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