अब मुस्कुरा दे -आदित्य चौधरी: Difference between revisions

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<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>अब मुस्कुरा दे -<small>आदित्य चौधरी</small></font></div>
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<poem style="color=#003333">
आँखें बंद कर ले 
आँखें बंद कर ले 
कि मैं तुझसे  
कि मैं तुझसे  
खोलने के लिए कहूँगा
खोलने के लिए कहूँगा
ज़रा चुप भी हो जा
ज़रा चुप भी हो जा
कि मैं तुझसे  
कि मैं तुझसे  
बोलने के लिए कहूँगा  
बोलने के लिए कहूँगा  
रूठती क्यों नहीं
रूठती क्यों नहीं
जल्दी रूठ
जल्दी रूठ
कि तुझे मनाना है
कि तुझे मनाना है
अब मुस्कुरा दे
अब मुस्कुरा दे
तुझको रुलाना है  
तुझको रुलाना है  
अब सो क्यों रही है
 
सो क्यों रही है
जल्दी उठ
जल्दी उठ
भूखा ही मरूँगा क्या
भूखा ही मरूँगा क्या
खाना नहीं बनाना है  
खाना नहीं बनाना है  
चल कपड़े तैयार कर दे
चल कपड़े तैयार कर दे
मुझे जल्दी नहाना है  
मुझे नहाना है  
जा दूsssर चली जा
 
जा दूऽऽऽर चली जा
कि तुझे आवाज़ देकर बुलाना है
कि तुझे आवाज़ देकर बुलाना है
अरे इतनी भी दूर नहीं
अरे इतनी भी दूर नहीं
क्या सचमुच मुझे छोड़कर जाना है  
क्या सचमुच मुझे छोड़कर जाना है  
अब जरा पास आ
 
अब ज़रा पास आ
तुझे कुछ बताना है
तुझे कुछ बताना है
कि ये जो घर है ना अपना
कि ये जो घर है ना अपना
इसे तुझी को तो मंदिर बनाना है  
इसे तुझी को तो मंदिर बनाना है  
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Latest revision as of 06:58, 24 September 2013

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अब मुस्कुरा दे -आदित्य चौधरी

आँखें बंद कर ले 
कि मैं तुझसे
खोलने के लिए कहूँगा

ज़रा चुप भी हो जा
कि मैं तुझसे
बोलने के लिए कहूँगा

रूठती क्यों नहीं
जल्दी रूठ
कि तुझे मनाना है

अब मुस्कुरा दे
तुझको रुलाना है

सो क्यों रही है
जल्दी उठ
भूखा ही मरूँगा क्या
खाना नहीं बनाना है

चल कपड़े तैयार कर दे
मुझे नहाना है

जा दूऽऽऽर चली जा
कि तुझे आवाज़ देकर बुलाना है
अरे इतनी भी दूर नहीं
क्या सचमुच मुझे छोड़कर जाना है

अब ज़रा पास आ
तुझे कुछ बताना है
कि ये जो घर है ना अपना
इसे तुझी को तो मंदिर बनाना है