असंसदीय संसद -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) m ("असंसदीय संसद -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि))) |
No edit summary |
||
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 23: | Line 23: | ||
"ओहोऽऽऽ? लगता है आपको हमें अपने कॉलेज की क्लासेज़ दिखानी होंगी तभी आपको विश्वास होगा... आइए चलते हैं..." | "ओहोऽऽऽ? लगता है आपको हमें अपने कॉलेज की क्लासेज़ दिखानी होंगी तभी आपको विश्वास होगा... आइए चलते हैं..." | ||
हम दोनों एक कक्षा में जा पहुँचे वहाँ एक अध्यापक छात्रों को पढ़ा रहा था। | हम दोनों एक कक्षा में जा पहुँचे वहाँ एक अध्यापक छात्रों को पढ़ा रहा था। | ||
"चुल्लू भर पानी में डूब मरो... ये असंसदीय है... सदन में आप असंसदीय शब्दों और वाक्यों का प्रयोग नहीं कर पाएँगे तो आपको वहाँ बोलना है कि 'कटोरी भर पानी में डुबकी ले कर प्राण त्याग दो' इस तरह आपने अपनी बात भी कह दी और आप असंसदीय भाषा बोलने से भी बच गए। असंसदीय शब्दों में अनेक मुहावरे आते हैं जैसे 'भैंस के आगे बीन बजाना' आप चाहें तो कह सकते हैं कि 'भैंसे की पत्नी के आगे संगीत कार्यक्रम करना'।" | "चुल्लू भर पानी में डूब मरो... ये असंसदीय है... सदन में आप असंसदीय शब्दों और वाक्यों का प्रयोग नहीं कर पाएँगे तो आपको वहाँ बोलना है कि 'कटोरी भर पानी में डुबकी ले कर प्राण त्याग दो' इस तरह आपने अपनी बात भी कह दी और आप असंसदीय भाषा बोलने से भी बच गए। असंसदीय शब्दों में अनेक मुहावरे आते हैं, जैसे 'भैंस के आगे बीन बजाना' आप चाहें तो कह सकते हैं कि 'भैंसे की पत्नी के आगे संगीत कार्यक्रम करना'।" | ||
प्रधानाचार्य मेरे प्रभावित होने की सीमा को बार-बार कुछ ऐसी दृष्टि से जांच रहे थे जैसे कि डॉक्टर थर्मोमीटर से बुख़ार और रक्तचाप यंत्र से रक्तचाप का निरीक्षण करते हैं। ऐसा लग रहा है जैसे मन ही मन कह रहे थे कि अच्छा अभी पूरी तरह प्रभावित होने में समय है, कुछ और दिखाता हूँ। | प्रधानाचार्य मेरे प्रभावित होने की सीमा को बार-बार कुछ ऐसी दृष्टि से जांच रहे थे जैसे कि डॉक्टर थर्मोमीटर से बुख़ार और रक्तचाप यंत्र से रक्तचाप का निरीक्षण करते हैं। ऐसा लग रहा है जैसे मन ही मन कह रहे थे कि अच्छा अभी पूरी तरह प्रभावित होने में समय है, कुछ और दिखाता हूँ। | ||
"आइए आपको सॅल्फ़ डिफ़ेंस डिपार्टमेंट की तरफ़ ले चलूँ।" प्रधानाचार्य आत्मविश्वास से बोले। | "आइए आपको सॅल्फ़ डिफ़ेंस डिपार्टमेंट की तरफ़ ले चलूँ।" प्रधानाचार्य आत्मविश्वास से बोले। | ||
Line 38: | Line 38: | ||
"ज़रा एक बात और बताइए कि हन्ड्रेड परसेन्ट सॅटिसफ़ॅक्शन तो ठीक है पर हन्ड्रेड परसेन्ट प्लेसमेन्ट का क्या चक्कर है?" | "ज़रा एक बात और बताइए कि हन्ड्रेड परसेन्ट सॅटिसफ़ॅक्शन तो ठीक है पर हन्ड्रेड परसेन्ट प्लेसमेन्ट का क्या चक्कर है?" | ||
"बात ये है सर! कि आजकल पार्टियाँ इतनी हो गई हैं कि हर कोई चुनाव लड़ सकता है, जिसे चाहिए टिकिट ले सकता है और हमारी सिफ़ारिश से तो टिकिट मिल ही जाती है।" प्रधानाचार्य के बताने से ऐसा लग रहा था जैसे सिनेमाघर में आई किसी नई फ़िल्म की टिकिट दिलाने की बात हो रही हो। | "बात ये है सर! कि आजकल पार्टियाँ इतनी हो गई हैं कि हर कोई चुनाव लड़ सकता है, जिसे चाहिए टिकिट ले सकता है और हमारी सिफ़ारिश से तो टिकिट मिल ही जाती है।" प्रधानाचार्य के बताने से ऐसा लग रहा था जैसे सिनेमाघर में आई किसी नई फ़िल्म की टिकिट दिलाने की बात हो रही हो। | ||
आइए अब अद्भुत शिक्षा संस्था को छोड़ कर भारतकोश पर चलें- | आइए अब अद्भुत शिक्षा संस्था को छोड़ कर भारतकोश पर चलें- | ||
ऐसा माना जाता है कि भारत में प्रजातंत्र है। मैंने 'माना जाता है' इसलिए लिखा है क्योंकि मुझे यह मानने में थोड़ी ही नहीं, बहुत अड़चन है। इसका सबसे मुख्य कारण है कि अपना प्रतिनिधि चुनने वाले सभी मतदाताओं को जब तक यह पता न हो कि वे किसे और क्यों चुन रहे हैं, तब तक प्रजातंत्र का कोई अर्थ है भी... यह मेरी समझ से बाहर है। प्रजातंत्र की शुरुआत कहाँ, कब, कैसे हुई, इस बहस में पड़ना मेरा उद्देश्य नहीं है बल्कि प्रजातंत्र का स्वरूप भारत में कैसा है, यह बात चर्चा का विषय है। पहले यह देखें कि प्रजातंत्र के बारे में कौन क्या | ऐसा माना जाता है कि भारत में प्रजातंत्र है। मैंने 'माना जाता है' इसलिए लिखा है क्योंकि मुझे यह मानने में थोड़ी ही नहीं, बहुत अड़चन है। इसका सबसे मुख्य कारण है कि अपना प्रतिनिधि चुनने वाले सभी मतदाताओं को जब तक यह पता न हो कि वे किसे और क्यों चुन रहे हैं, तब तक प्रजातंत्र का कोई अर्थ है भी... यह मेरी समझ से बाहर है। प्रजातंत्र की शुरुआत कहाँ, कब, कैसे हुई, इस बहस में पड़ना मेरा उद्देश्य नहीं है बल्कि प्रजातंत्र का स्वरूप भारत में कैसा है, यह बात चर्चा का विषय है। पहले यह देखें कि प्रजातंत्र के बारे में कौन क्या कहता है-<br /> | ||
"नि:सन्देह सशक्त सरकार और राजभक्त जनता से उत्कृष्ट राज्य का निर्माण होता है, परन्तु बहरी सरकार और गूँगे लोगों से लोकतंत्र का निर्माण नहीं होता।" -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य | "नि:सन्देह सशक्त सरकार और राजभक्त जनता से उत्कृष्ट राज्य का निर्माण होता है, परन्तु बहरी सरकार और गूँगे लोगों से लोकतंत्र का निर्माण नहीं होता।" -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य | ||
"जनतंत्र सदैव ही संकेत से बुलाने वाली मंज़िल है, कोई सुरक्षित बंदरगाह नहीं। कारण यह है कि स्वतंत्रता एक सतत् प्रयास है, कभी भी अंतिम उपलब्धि नहीं।" -फ़ेलिक्स | "जनतंत्र सदैव ही संकेत से बुलाने वाली मंज़िल है, कोई सुरक्षित बंदरगाह नहीं। कारण यह है कि स्वतंत्रता एक सतत् प्रयास है, कभी भी अंतिम उपलब्धि नहीं।" -फ़ेलिक्स फ्रॅन्कफ़र्टर | ||
"जनता के लिए सबसे अधिक शोर मचाने वालों को, उसके कल्याण के लिए सबसे उत्सुक मान लेना, सर्वमान्य प्रचलित त्रुटि है।" -एडमंड बर्क | "जनता के लिए सबसे अधिक शोर मचाने वालों को, उसके कल्याण के लिए सबसे उत्सुक मान लेना, सर्वमान्य प्रचलित त्रुटि है।" -एडमंड बर्क<br /> | ||
ऊपर दिए गए तीनों कथन, तीन बातें स्पष्ट करते है। पहली तो यह कि मतदाता पढ़ा-लिखा और जागरूक हो, तभी अच्छी लोकतांत्रिक सरकार मिल सकती है। दूसरी यह कि किसी देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में रहकर यदि उसकी जनता को परतंत्रता का अहसास रहता है तो वहाँ जनतंत्र अपनी गुणवत्ता खो चुका है। तीसरी यह कि प्रोपेगॅन्डा की राजनीति से बने प्रतिनिधि देश के लिए हितकारी नहीं हैं। सोचने वाली बात यह है कि ऊपर की तीनों बातें ही हमारे देश की परिस्थितियों पर खरी उतर रही हैं। मतदाता योग्य नहीं है, जनता को आज भी ऐसा लगता है जैसे कि अंग्रेज़ गए नहीं और प्रपंच और वितंडा को आधार बनाकर बने नेता हमारे सामने हैं। | ऊपर दिए गए तीनों कथन, तीन बातें स्पष्ट करते है। पहली तो यह कि मतदाता पढ़ा-लिखा और जागरूक हो, तभी अच्छी लोकतांत्रिक सरकार मिल सकती है। दूसरी यह कि किसी देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में रहकर यदि उसकी जनता को परतंत्रता का अहसास रहता है तो वहाँ जनतंत्र अपनी गुणवत्ता खो चुका है। तीसरी यह कि प्रोपेगॅन्डा की राजनीति से बने प्रतिनिधि देश के लिए हितकारी नहीं हैं। सोचने वाली बात यह है कि ऊपर की तीनों बातें ही हमारे देश की परिस्थितियों पर खरी उतर रही हैं। मतदाता योग्य नहीं है, जनता को आज भी ऐसा लगता है जैसे कि अंग्रेज़ गए नहीं और प्रपंच और वितंडा को आधार बनाकर बने नेता हमारे सामने हैं। | ||
जिस जनतांत्रिक देश के चुनाव में चुनाव-चिह्न का प्रयोग होता हो वहाँ लोकतंत्र का क्या अर्थ है। लगभग प्रत्येक राज्य में दो से अधिक पार्टियाँ हों, जाति और धर्म के आधार पर उम्मीदवारी सुनिश्चित की जाती हो, सामूहिक के बजाय व्यक्तिगत मुद्दे चुनावी मुद्दे बनते हों, चुनाव से पहले, फ़ौरी तौर पर नए मुद्दे गढ़े जाते हों और सरकार लम्बे अर्से से गठबंधन की मोहताज हो गई हो तो वहाँ जनहितकारी जनतंत्र की उम्मीद करना बहुत कठिन है। | जिस जनतांत्रिक देश के चुनाव में चुनाव-चिह्न का प्रयोग होता हो वहाँ लोकतंत्र का क्या अर्थ है। लगभग प्रत्येक राज्य में दो से अधिक पार्टियाँ हों, जाति और धर्म के आधार पर उम्मीदवारी सुनिश्चित की जाती हो, सामूहिक के बजाय व्यक्तिगत मुद्दे चुनावी मुद्दे बनते हों, चुनाव से पहले, फ़ौरी तौर पर नए मुद्दे गढ़े जाते हों और सरकार लम्बे अर्से से गठबंधन की मोहताज हो गई हो तो वहाँ जनहितकारी जनतंत्र की उम्मीद करना बहुत कठिन है। |
Latest revision as of 06:58, 3 March 2014
50px|right|link=|
20px|link=http://www.facebook.com/bharatdiscovery|फ़ेसबुक पर भारतकोश (नई शुरुआत) भारतकोश असंसदीय संसद -आदित्य चौधरी एक भव्य इमारत पर लगे साइन बोर्ड ने मुझे चौंका दिया। |
पिछले सम्पादकीय