विसर्जन (श्राद्ध): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{अस्वीकरण}} | {{श्राद्ध विषय सूची}}{{अस्वीकरण}} | ||
{{सूचना बक्सा त्योहार | {{सूचना बक्सा त्योहार | ||
|चित्र=Shradh-Kolaj.jpg | |चित्र=Shradh-Kolaj.jpg | ||
Line 49: | Line 49: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{श्राद्ध}} | {{श्राद्ध}} | ||
[[Category:हिन्दू कर्मकाण्ड]] [[Category:संस्कृति कोश]][[Category:श्राद्ध]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]] | [[Category:हिन्दू कर्मकाण्ड]] [[Category:संस्कृति कोश]][[Category:श्राद्ध]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 13:37, 6 September 2016
श्राद्ध विषय सूची
30px यह लेख पौराणिक ग्रंथों अथवा मान्यताओं पर आधारित है अत: इसमें वर्णित सामग्री के वैज्ञानिक प्रमाण होने का आश्वासन नहीं दिया जा सकता। विस्तार में देखें अस्वीकरण |
विसर्जन (श्राद्ध)
| |
अनुयायी | सभी हिन्दू धर्मावलम्बी |
उद्देश्य | श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है, उसी को 'श्राद्ध' कहते हैं।। |
प्रारम्भ | वैदिक-पौराणिक |
तिथि | भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से सर्वपितृ अमावस्या अर्थात आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक |
अनुष्ठान | श्राद्ध-कर्म में पके हुए चावल, दूध और तिल को मिश्रित करके जो 'पिण्ड' बनाते हैं। पिण्ड का अर्थ है शरीर। यह एक पारंपरिक विश्वास है, कि हर पीढ़ी के भीतर मातृकुल तथा पितृकुल दोनों में पहले की पीढ़ियों के समन्वित 'गुणसूत्र' उपस्थित होते हैं। यह प्रतीकात्मक अनुष्ठान जिन जिन लोगों के गुणसूत्र (जीन्स) श्राद्ध करने वाले की अपनी देह में हैं, उनकी तृप्ति के लिए होता है। |
संबंधित लेख | पितृ पक्ष, श्राद्ध के नियम, अन्वष्टका कृत्य, अष्टका कृत्य, अन्वाहार्य श्राद्ध, पितृ विसर्जन अमावस्या, तर्पण, माध्यावर्ष कृत्य, मातामह श्राद्ध, पितर, श्राद्ध और ग्रहण, श्राद्ध करने का स्थान, श्राद्ध की आहुति, श्राद्ध की कोटियाँ, श्राद्ध की महत्ता, श्राद्ध प्रपौत्र द्वारा, श्राद्ध फलसूची, श्राद्ध वर्जना, श्राद्ध विधि, पिण्डदान, गया, नासिक, आदित्य देवता और रुद्र देवता |
अन्य जानकारी | ब्रह्म पुराण के अनुसार श्राद्ध की परिभाषा- 'जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है', श्राद्ध कहलाता है। |
विसर्जन में तीन प्रकार के विसर्जन किये जाते हैं, जिनके नाम इस प्रकार है:-
- पिण्ड विसर्जन,
- पितृ विसर्जन,
- देव विसर्जन।
पिण्ड विसजर्न
नीचे लिखे मन्त्र के साथ पिण्डों पर जल सिञ्चित करें।
ॐ देवा गातुविदोगातुं, वित्त्वा गातुमित।
मनसस्पत ऽ इमं देव, यज्ञ स्वाहा वाते धाः॥[1]
[[चित्र:Shraddh-3.jpg|thumb|left|श्राद्ध संस्कार करता एक श्रद्धालु]]
पितृ विसर्जन
पितरों का विसर्जन तिलाक्षत छोड़ते हुए करें।
ॐ यान्तु पितृगणाः सवेर्, यतः स्थानादुपागताः।
सवेर् ते हृष्टमनसः, सवार्न् कामान् ददन्तु मे॥
ये लोकाः दानशीलानां, ये लोकाः पुण्यकमर्णाम्।
सम्पूणार्न् सवर्भोगैस्तु, तान् व्रजध्वं सुपुष्कलान्॥
इहास्माकं शिवं शान्तिः, आयुरारोगयसम्पदः।
वृद्धिः सन्तानवगर्स्य, जायतामुत्तरोत्तरा॥
देव विसर्जन
अन्त में पुष्पाक्षत छोड़ते हुए देव विसर्जन करें।
ॐ यान्तु देवगणाः सवेर्, पूजामादाय मामकीम्।
इष्ट कामसमृद्ध्यथरं, पुनरागमनाय च॥
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ -8.21
संबंधित लेख