उकसाव का इमोशनल अत्याचार -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>उकसाव का इमोशनल अत्याचार | [[चित्र:Facebook-icon-2.png|20px|link=http://www.facebook.com/bharatdiscovery|फ़ेसबुक पर भारतकोश (नई शुरुआत)]] [http://www.facebook.com/bharatdiscovery भारतकोश] <br /> | ||
[[चित्र:Facebook-icon-2.png|20px|link=http://www.facebook.com/profile.php?id=100000418727453|फ़ेसबुक पर आदित्य चौधरी]] [http://www.facebook.com/profile.php?id=100000418727453 आदित्य चौधरी] | |||
<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>उकसाव का इमोशनल अत्याचार<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div><br /> | |||
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स्थान: हमारे ही देश जैसे किसी देश की कोई जेल... | स्थान: हमारे ही देश जैसे किसी देश की कोई जेल... | ||
"नये क़ैदी की क्या ख़बर है हवलदार ? उसको टॉर्चर किया कि नहीं ?" | "नये क़ैदी की क्या ख़बर है हवलदार ? उसको टॉर्चर किया कि नहीं ?" | ||
"जी सर ! आतंकवादियों को टॉर्चर करने के लिए | "जी सर ! आतंकवादियों को टॉर्चर करने के लिए रूल-बुक में तीन तरीक़े दिए गए हैं। हमने तीनों कर लिए। ऑडर की कंप्लाइंस हो गयी सर, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ सर !..." | ||
"क्या-क्या किया तुमने ?" | "क्या-क्या किया तुमने ?" | ||
"सर ! पहले तो हमने 'लाफ़्टर असॉल्ट' याने 'हास्यास्त्र' यूज़ किया; इसमें मुल्ज़िम को गुदगुदी की जाती है, जिससे ज़्यादा हँसेगा तो ज़्यादा परेशान होगा... लेकिन वो हँसा ही नहीं... बात ये है सर कि उसको गुदगुदी होती ही नहीं है।" | "सर ! पहले तो हमने 'लाफ़्टर असॉल्ट' याने 'हास्यास्त्र' यूज़ किया; इसमें मुल्ज़िम को गुदगुदी की जाती है, जिससे ज़्यादा हँसेगा तो ज़्यादा परेशान होगा... लेकिन वो हँसा ही नहीं... बात ये है सर कि उसको गुदगुदी होती ही नहीं है।" | ||
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"फिर हमने उसपर 'म्यूज़िक अटॅक' याने 'संगीत प्रहार' को यूज़ किया; इसमें मुल्ज़िम को म्यूज़िक सुनवाया जाता है, जिससे वो नाचे और थक कर परेशान हो जाये... बड़े-बड़े आइटम नम्बर सुनाए... ढोल-तासे से लेकर सब सुनवाया लेकिन वो नहीं नाचा..." | "फिर हमने उसपर 'म्यूज़िक अटॅक' याने 'संगीत प्रहार' को यूज़ किया; इसमें मुल्ज़िम को म्यूज़िक सुनवाया जाता है, जिससे वो नाचे और थक कर परेशान हो जाये... बड़े-बड़े आइटम नम्बर सुनाए... ढोल-तासे से लेकर सब सुनवाया लेकिन वो नहीं नाचा..." | ||
"और ?" | "और ?" | ||
"और तो सर 'फूड कोर्ट पॉलिसी' बचती है, वो भी हमने दे दी... एक से एक बढ़िया खाने की | "और तो सर 'फूड कोर्ट पॉलिसी' बचती है, वो भी हमने दे दी... एक से एक बढ़िया खाने की चीज़ें उसके सामने रख दी कि शायद ज़्यादा खाने से परेशान हो जाए... पर ऐसा हुआ नहीं।" | ||
"और भी कुछ किया ?" | "और भी कुछ किया ?" | ||
"इससे ज़्यादा टॉर्चर हम किसी आतंकवादी को नहीं कर सकते, सर... एच. आर. सी. याने ह्यूमन राइट्स कमीशन की परमीशन नहीं है।" | "इससे ज़्यादा टॉर्चर हम किसी आतंकवादी को नहीं कर सकते, सर !... एच. आर. सी. याने ह्यूमन राइट्स कमीशन की परमीशन नहीं है।" | ||
"इसकी फ़ॅमली का पता चला ?" | "इसकी फ़ॅमली का पता चला ?" | ||
"इसकी फ़ॅमली में कोई नहीं है सर। माँ पहले ही मर गयी, बाप को इसने 13 साल की उमर में मार दिया था... रह गये थे भाई और इसकी बीवी... उन दोनों को भी इसने मार दिया।" | "इसकी फ़ॅमली में कोई नहीं है सर। माँ पहले ही मर गयी, बाप को इसने 13 साल की उमर में मार दिया था... रह गये थे भाई और इसकी बीवी... उन दोनों को भी इसने मार दिया।" | ||
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"शाबास ! आगे बताओ कैसे टॅकिल किया ?" | "शाबास ! आगे बताओ कैसे टॅकिल किया ?" | ||
"मैंने डाइरेक्ट उसके पैर पकड़ लिये... और तब तक नहीं छोड़े जब तक कि उसने अपने मुँह से ये नहीं कह दिया कि वो मेरे बाल-बच्चों से कुछ नहीं कहेगा..." | "मैंने डाइरेक्ट उसके पैर पकड़ लिये... और तब तक नहीं छोड़े जब तक कि उसने अपने मुँह से ये नहीं कह दिया कि वो मेरे बाल-बच्चों से कुछ नहीं कहेगा..." | ||
"गुड !तो इसका मतलब है कि आतंकवादी के पैर पकड़ कर, उससे अपनी बातें मनवाई जा सकती हैं !" | "गुड ! तो इसका मतलब है कि आतंकवादी के पैर पकड़ कर, उससे अपनी बातें मनवाई जा सकती हैं !" | ||
"जी सर ! इस तरीक़े से दूसरे आतंकवादी मान जाते होंगे पर ये तो फिर भी नहीं माना था सर !... बाद में, मेरे मोबाइल | "जी सर ! इस तरीक़े से दूसरे आतंकवादी मान जाते होंगे पर ये तो फिर भी नहीं माना था सर !... बाद में, मेरे मोबाइल से न जाने कितने इंटरनेशनल कॉल किए, तब कहीं जाकर बड़ी मुश्किल से राज़ीनामा हुआ" | ||
"तुम्हारा तो बिल बहुत बन गया होगा... उसके लिए इंटरनेट की व्यवस्था करवा दो ना, इंटरनेट कॉल बहुत सस्ता पड़ता है।" | "तुम्हारा तो बिल बहुत बन गया होगा... उसके लिए इंटरनेट की व्यवस्था करवा दो ना, इंटरनेट कॉल बहुत सस्ता पड़ता है।" | ||
"अब कुछ सुविधाएँ तो देनी ही पड़ेंगी ना इसको... उसकी वजह ये है सर कि बहुत सी बातों में इसकी आदत भाईचारे वाली है।" | "अब कुछ सुविधाएँ तो देनी ही पड़ेंगी ना इसको... उसकी वजह ये है सर कि बहुत सी बातों में इसकी आदत भाईचारे वाली है।" | ||
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चलिए हवलदार की इस 'हौलदली' को यहीं छोड़कर जेल से वापस चलते हैं... | चलिए हवलदार की इस 'हौलदली' को यहीं छोड़कर जेल से वापस चलते हैं... | ||
मेरे एक परिचित ने कहा कि कुछ आतंकवाद के विषय पर भी लिख दीजिए। मैंने कहा ठीक है, लिख देता हूँ...फिर कुछ सोचकर वो बोले "लिख कर रख लीजिए, जब कोई बम फटे तब लेख को भारतकोश पर लगा देना क्योंकि करंट टॉपिक्स पर लिखना ज़्यादा अच्छा रहता है।" | मेरे एक परिचित ने कहा कि कुछ आतंकवाद के विषय पर भी लिख दीजिए। मैंने कहा ठीक है, लिख देता हूँ...फिर कुछ सोचकर वो बोले "लिख कर रख लीजिए, जब कोई बम फटे तब लेख को भारतकोश पर लगा देना क्योंकि करंट टॉपिक्स पर लिखना ज़्यादा अच्छा रहता है।" | ||
मैं उनकी बात सुनकर स्तब्ध रह गया, मन में सोचा कि इसका सीधा मतलब तो यह है कि मैं अपने संपादकीय को भारतकोश पर प्रकाशित करने के लिए बम फटने की उम्मीद करूँ कि कब बम फटे और मैं अपना सम्पादकीय भारतकोश पर प्रकाशित करूँ? | मैं उनकी बात सुनकर स्तब्ध रह गया, मन में सोचा कि इसका सीधा मतलब तो यह है कि मैं अपने संपादकीय को भारतकोश पर प्रकाशित करने के लिए बम फटने की उम्मीद करूँ कि कब बम फटे और मैं अपना सम्पादकीय भारतकोश पर प्रकाशित करूँ? | ||
ऐसा लगने लगा है कि | ऐसा लगने लगा है कि जिस तरह भ्रष्टाचार की ख़बरें अब चौंकाने वाली नहीं रही, उसी तरह आतंक फैलाने वाली घटनाओं के लिए भी लोग सहज होते जा रहे हैं। चीन के महान् दार्शनिक और 'ताओ-ते-चिंग' के रचियता 'लाओत्से' के अनुसार- लगातार भाले की नोंक की चुभन भी चुभन नहीं रहती यदि उसे बार-बार धीरे-धीरे चुभाते रहें। इसी तरह संगीतकारों के बहरा हो जाने, चित्रकारों के अंधा हो जाने और हर समय तीव्र गंध युक्त वातावरण में रहने वालों की गंध पहचानने की क्षमता ख़त्म हो जाने के उदाहरण भी हैं। निरन्तर लम्बे समय तक दोहराने से उस प्रक्रिया की ओर ध्यान स्वत: ही कम हो जाता है। | ||
भ्रष्टाचार की यह स्थिति भारत में बहुत पहले ही हो गयी थी। इसको सबसे पहले बहादुरी के साथ राजीव गांधी ने स्वीकार किया था कि सरकारी पैसे की खेप का दस प्रतिशत पैसा ही जनता को वास्तव में मिल पाता है। इस सन्दर्भ में अटल बिहारी वाजपेयी का वक्तव्य कि भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा नहीं रहा, इस दौर की | भ्रष्टाचार की यह स्थिति भारत में बहुत पहले ही हो गयी थी। इसको सबसे पहले बहादुरी के साथ राजीव गांधी ने स्वीकार किया था कि सरकारी पैसे की खेप का दस प्रतिशत पैसा ही जनता को वास्तव में मिल पाता है। इस सन्दर्भ में अटल बिहारी वाजपेयी का वक्तव्य कि भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा नहीं रहा, इस दौर की राजनीतिक स्थिति को बख़ूबी स्पष्ट करता है। | ||
विश्व में आतंकवाद जिस तरह से बढ़ रहा है और लगभग प्रतिदिन किसी सम्प्रदाय या मज़हब, भाषा या क्षेत्र, नस्ल या जाति आदि के मुद्दों के आवरण ओढ़कर हमारे सामने आता है। यह रोज़ाना का क्रम एक गम्भीर स्थिति की पूर्व सूचना ही है कि शायद हम आतंकवाद की घटनाओं को भी अख़बारों में आने वाली सामान्य चोरी, राहजनी, लूट की घटनाएं मानकर ज़्यादा वजन न देते हुए अनदेखा कर दें। | विश्व में आतंकवाद जिस तरह से बढ़ रहा है और लगभग प्रतिदिन किसी सम्प्रदाय या मज़हब, भाषा या क्षेत्र, नस्ल या जाति आदि के मुद्दों के आवरण ओढ़कर हमारे सामने आता है। यह रोज़ाना का क्रम एक गम्भीर स्थिति की पूर्व सूचना ही है कि शायद हम आतंकवाद की घटनाओं को भी अख़बारों में आने वाली सामान्य चोरी, राहजनी, लूट की घटनाएं मानकर ज़्यादा वजन न देते हुए अनदेखा कर दें। | ||
कुछ घटनाक्रम निश्चय ही किसी दूसरी दिशा की ओर हमें ले जाते हैं जिससे इन आतंकवादी समस्याओं के पीछे कोई और कारण भी नेपथ्य में खड़ा स्पष्ट दिखाई देता है। 'इटली' में | कुछ घटनाक्रम निश्चय ही किसी दूसरी दिशा की ओर हमें ले जाते हैं जिससे इन आतंकवादी समस्याओं के पीछे कोई और कारण भी नेपथ्य में खड़ा स्पष्ट दिखाई देता है। 'इटली' में सन् 1969 के आसपास आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक अस्थिरता रही, नतीजे के रूप में चारों तरफ़ अराजकता, लूटपाट, अपहरण, हत्या जैसी आतंकी घटनाओं का बोलबाला हुआ, कारण था देश में बढ़ती बेरोज़गारी एवं आर्थिक विषमताएं। वर्ष 1978 में देश में आर्थिक सम्पन्नता एवं राजनीतिक स्थिरता का दौर शुरू हुआ। नतीजा रहा, इटली के आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां समाप्त प्राय: हो गईं। | ||
'कोलम्बिया' में सन् 1974 में देश की सत्ता और औद्योगिक प्रतिष्ठानों की आम जनता के साथ असमानता की खाई चौड़ी हो गयी- कोई बहुत ज़्यादा अमीर हो गया तो कोई बहुत ज़्यादा ग़रीब, नतीजा- देश के श्रमिकों, युवाओं आदि ने प्रतिबंधित नशीले पदार्थों के व्यवसायियों से हाथ मिलाकर काम करना शुरू कर दिया, | 'कोलम्बिया' में सन् 1974 में देश की सत्ता और औद्योगिक प्रतिष्ठानों की आम जनता के साथ असमानता की खाई चौड़ी हो गयी- कोई बहुत ज़्यादा अमीर हो गया तो कोई बहुत ज़्यादा ग़रीब, नतीजा- देश के श्रमिकों, युवाओं आदि ने प्रतिबंधित नशीले पदार्थों के व्यवसायियों से हाथ मिलाकर काम करना शुरू कर दिया, बेरोज़गारों के सशस्त्र गुटों ने कोलम्बिया के सार्वजनिक निर्माण और औद्योगिक निवेश को अपने हाथ में ले लिया। | ||
'जर्मनी', जहाँ के | 'जर्मनी', जहाँ के विद्वान् मैक्समूलर ने वेदों का अनुवाद किया, वहीं जर्मनी अनेक आतंकवादी घटनाओं और संगठनों का कारक भी बना, सन् 1968 में जर्मनी की राजनीतिक आर्थिक सत्ता का डांवाडोल होना। कारण- आर्थिक विषमताओं की पराकाष्ठा, आंद्रें बादर और उलरिक मीनहाफ़ द्वारा रेड आर्मी नामक संगठन की शुरुआत। नतीजा- देश में बैंक डकैती, अपहरण एवं फिरौती और बड़ी आतंकी घटनाओं का बोलबाला। वर्ष 1992 में दोनों जर्मनी एक हुए, राजनीतिक स्थिरता एवं आर्थिक सम्पन्नता का दौर शुरू हुआ तो आतंकी घटनाएं लगभग समाप्त प्राय: हो गईं। | ||
इस तरह से अनेक उदाहरणों से हम आतंकवाद के मूल अर्थ की भूमिका को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। सुनियोजित आतंकी हमलों में शेयर बाज़ार की सूझबूझ भी समानान्तर चलती है जो कि उसके आतंकवाद के आर्थिक पहलू को उजागर करती है। एक पहलू ऐसा है जिस पर हमें मुख्य रूप से ग़ौर करना चाहिए- किशोरावस्था और युवावस्था में युवकों और युवतियों में भरी शारीरिक ऊर्जा का उपयोग सही रूप में नहीं हो पा रहा | इस तरह से अनेक उदाहरणों से हम आतंकवाद के मूल में अर्थ की भूमिका को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। सुनियोजित आतंकी हमलों में शेयर बाज़ार की सूझबूझ भी समानान्तर चलती है जो कि उसके आतंकवाद के आर्थिक पहलू को उजागर करती है। एक पहलू ऐसा है जिस पर हमें मुख्य रूप से ग़ौर करना चाहिए- किशोरावस्था और युवावस्था में युवकों और युवतियों में भरी शारीरिक ऊर्जा का उपयोग सही रूप में नहीं हो पा रहा है जो कि पिछले समय में विभिन्न खेलों, दौड़ भाग, कसरत आदि प्रयोग में होता रहता था। अब नवयुवा के पास समय बिताने के लिए टीवी और कंप्यूटर जैसे मनोरंजन के साधन हैं। ज़रूरत इस बात की है कि युवा पीढ़ी को शारीरिक श्रमयुक्त शिक्षा, खेल, मनोरंजन आदि में ज़्यादा से ज़्यादा भाग लेना चाहिए जो कि अब कम ही हो पाता है। | ||
कुल मिलाकर जो स्थिति सामने आती है, वह यह स्पष्ट करती है कि आतंकवाद एक व्यवसाय के रूप में स्थापित हो चुका है। जो लोग आतंकवादियों के प्रति किसी धर्म या जाति अथवा क्षेत्र या भाषा के कारण न्यूनाधिक आस्था रखते हैं या मन में किसी प्रकार की कोई सहानुभूति रखते हैं तो वे सिर्फ़ एक निर्मम व्यवसायी की योजना के भागीदार ही हैं। हमें 'जॉन स्टूअर्ट मिल' की उक्ति को भी नहीं भूलना चाहिए कि व्यैक्तिकता को जो भी कुचले, वह तानाशाही है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाये। | कुल मिलाकर जो स्थिति सामने आती है, वह यह स्पष्ट करती है कि आतंकवाद एक व्यवसाय के रूप में स्थापित हो चुका है। जो लोग आतंकवादियों के प्रति किसी धर्म या जाति अथवा क्षेत्र या भाषा के कारण न्यूनाधिक आस्था रखते हैं या मन में किसी प्रकार की कोई सहानुभूति रखते हैं तो वे सिर्फ़ एक निर्मम व्यवसायी की योजना के भागीदार ही हैं। हमें 'जॉन स्टूअर्ट मिल' की उक्ति को भी नहीं भूलना चाहिए कि व्यैक्तिकता को जो भी कुचले, वह तानाशाही है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाये। | ||
आतंकवादी युवा ही होते हैं। युवा पीढ़ी, आतंकवाद के चक्रव्यूह में जिन कारणों से फँसती है उनके बारे में दो सोच हैं। एक तो वे कारण जो सामान्य रूप से प्रचारित किए जाते हैं जैसे कि सम्प्रदाय या मज़हब, भाषा या क्षेत्र, नस्ल या जाति आदि के मुद्दों से जुड़े कारण। दूसरे कारण, जैसे कि अशिक्षा, बेरोज़गारी और दुनिया को तुरन्त चमत्कृत करने की लालसा आदि, जो कि 'असली' कारण हैं। शिक्षा की कमी को मैं आतंकवाद के लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार मानता हूँ क्योंकि ख़ूबसूरत और कद्दावर पठानों का देश अफ़ग़ानिस्तान आज | आतंकवादी युवा ही होते हैं। युवा पीढ़ी, आतंकवाद के चक्रव्यूह में जिन कारणों से फँसती है उनके बारे में दो सोच हैं। एक तो वे कारण जो सामान्य रूप से प्रचारित किए जाते हैं जैसे कि सम्प्रदाय या मज़हब, भाषा या क्षेत्र, नस्ल या जाति आदि के मुद्दों से जुड़े कारण। दूसरे कारण, जैसे कि अशिक्षा, बेरोज़गारी और दुनिया को तुरन्त चमत्कृत करने की लालसा आदि, जो कि 'असली' कारण हैं। शिक्षा की कमी को मैं आतंकवाद के लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार मानता हूँ क्योंकि ख़ूबसूरत और कद्दावर पठानों का देश अफ़ग़ानिस्तान आज दुनिया के उन दस देशों में से एक है जिनमें साक्षरता का प्रतिशत विश्व में सबसे कम है। अफ़ग़ानिस्तान रेडियो से प्रसारित होने वाले 'पश्तो' गाने हम बचपन में सुना करते थे और अफ़ग़ानिस्तान से एक डोर सी बंधी हुई थी लेकिन आज, उस डोर के दूसरे छोर पर कोई मौजूद नहीं है... | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | ||
-आदित्य चौधरी | -आदित्य चौधरी | ||
<small> | <small>संस्थापक एवं प्रधान सम्पादक</small> | ||
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{{भारतकोश सम्पादकीय}} | |||
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Latest revision as of 14:21, 6 July 2017
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